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मलेरिया रोगियों की संख्या को लेकर विभाग में असमंजस, जानिए वजह
डिजिटल डेस्क, शहडोल। जिले में मलेरिया की स्थिति क्या है और प्रभावितों की वास्तविक संख्या कितनी है, इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग में असमंजस की स्थिति कायम है। अभी तक जिले में विभाग द्वारा सरकारी हॉस्पिटल्स के माध्यम से बनी स्लाइड के आधार पर मलेरिया प्रभावित मरीजों की संख्या 103 पाई गई है।
बताया जा रहा है कि यह संख्या इससे बहुत अधिक हो सकती है क्योंकि दर्जनों ऐसी निजी Pathalogies और Nursing Homes हैं जहां मलेरिया मरीजों का इलाज होता है। हालांकि विभाग ने निजी Pathalogies को निर्देश दे रखे हैं कि पॉजिटिव आने वाली रिपोर्टों से संबंधित सारी जानकारी जिला स्वास्थ्य विभाग को देना है। लेकिन इन निर्देशों को सरासर उल्लंघन किया जा रहा है। वास्तविक आंकड़े विभाग के पास नहीं पहुंचने के कारण मलेरिया उन्मूलन में परेशानियां आती हैं। शासकीय अमले की जांच रिपोर्ट के बाद मलेरिया प्रभावित इलाकों में अभियान तो चलाया जाता है लेकिन कई ऐसे इलाके छूट जाते हैं जहां मलेरिया का प्रकोप रहता है।
बुढ़ार, ब्यौहारी ज्यादा प्रभावित
मलेरिया विभाग की मानें तो मलेरिया का प्रकोप जिले के बुढ़ार और ब्यौहारी-बाणसागर में सबसे ज्यादा है। जनवरी से जुलाई माह तक बुढ़ार मं 15165 लोगों की स्लाइड बनाई गई, जिनमें 36 मलेरिया से पीड़ित पाए गए। वहीं ब्यौहारी क्षेत्र में 11414 लोगों के रक्तपरीक्षण के बाद 33 में पॉजिटिव पाया गया। शहडोल शहरी क्षेत्र में 3772 लोगों के परीक्षण में 6 पॉजिटिव मिले। सिंहपुर में 15806 की जांच के बाद 15 में मलेरिया पाया गया। गोहपारू में 8 और जयसिंहनगर में मात्र 5 लोगों में मलेरिया के लक्षण पाये गये। गत वर्ष भी बुढ़ार में सबसे ज्यादा 65 और ब्यौहारी में 61 लोग मलेरिया प्रभावित मिले थे। यह आंकड़े केवल सरकारी संसाधनों की जांच रिपोर्ट पर आधारित हैं, जो इससे कहीं अधिक हो सकती है। क्योंकि इनमें निजी स्तर पर कराए जाने वाली जांचें शामिल नहीं हैं।
प्रभावित क्षेत्रों में विशेष ध्यान
जिला मलेरिया अधिकारी आईबी सिंह ने बताया कि जिन इलाकों में मलेरिया के ज्यादा पॉजिटिव रिजल्ट सामने आते हैं वहां मलेरिया रोधी अभियान चलाया जाता है। पहले तो अल्फा स्टाइफर मेप्रिन पाउडर का छिड़काव नगरीय, जनपद निकायों के माध्यम से कराया जाता है। इसके बाद लार्वा रोध दवा टेमोफास का छिड़काव कराया जाता है। जानकारी के अनुसार कुछ निकाय इस दवा छिड़काव को लेकर उदासीन रवैया अपनाते हैं। विभाग द्वारा पत्र जारी करने के बाद भी धनपुरी, ब्यौहारी और जयसिंहनगर निकायों द्वारा दवा का उठाव नहीं किया गया है।
स्टाफ की कमी बनी समस्या
जानकारी के अनुसार मलेरिया विभाग में स्टाफ की भारी कमी अभियान में आड़े आ रही है। विभाग में नियमित 25 पदों के विरुद्ध 12 पद खाली पड़े हुए हैं। इसके अलावा संविदा के 10 स्वीकृत पदों में ऑपरेटर और Technician सहित आधे पद रिक्त हैं। वहीं 29 मलेरिया वर्करों की सेवाओं पर विराम लगाने से कार्य का बोझ आशा कार्यकर्ता, एएनएम एमपीडब्ल्यू पर आ गया है।
Created On :   22 Aug 2017 8:00 PM IST