27 साल बाद कांग्रेस ने लगाई भाजपा के गढ़ में सेंध, सहानुभूति लाभ से हुई वंचित

Congress made a dent in BJPs stronghold after 27 years, deprived of sympathy benefit
27 साल बाद कांग्रेस ने लगाई भाजपा के गढ़ में सेंध, सहानुभूति लाभ से हुई वंचित
पुणे जिले की कसबापेठ सीट 27 साल बाद कांग्रेस ने लगाई भाजपा के गढ़ में सेंध, सहानुभूति लाभ से हुई वंचित

डिजिटल डेस्क, मुंबई, विजय सिंह कौशिक। पुणे जिले के कसबापेठ सीट पर 27 साल कांग्रेस उम्मीदवार भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने में सफल रहे हैं। भाजपाविधायक मुक्ता तिलक के निधन से रिक्त हुएकसबा पेठ उपचुनाव में तिलक परिवार के बाहर से उम्मीदवार खड़ा करना भाजपा को भारी पड़ा है। जबकि चिंचवड सीट पर शिवसेना के बागी के सहारे भाजपा की नैया पार हो सकी।

भाजपा की बजाय धंगेकर को मिला सहानुभूति का लाभ 

शिवसेना से मनसे और मनसे से हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए रविंद्र धंगेकर ने कांग्रेस के लिए मुश्किल सीट मानी जा रही कसबापेठ सीट जीत कर महा आघाडी को खूशी मनाने का मौका दिया है। धंगेकर वर्ष 2009 और 2014 में इस सीट से बतौर मनसे उम्मीदवार लड़ चुके थे। 2009 में उन्हें 25,998 और 2014 के विधानसभा चुनाव में 46,820 वोट मिले थे। लगातार दो चुनावों में मिली हार से चलते इस बार धंनगेकर को लेकर मतदाताओं में सहानुभूति थी। जबकि इस सीट से विधायक रही दिवंगत मुक्ता तिलक के परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवारी न दिए जाने से ब्राम्हण मतदाता भाजपा से नाराज हो गए थे। बीते 27 सालों से कसबापेठ सीट पर भाजपा का  वर्चस्व रहा है। साल 1995 से लेकर साल 2019 के बीच हुए छह विधानसभा के चुनाव में भाजपा लगातार यह सीट जीतती रही है।भाजपा के पुणे सीट से वर्तमान सांसद गिरीश बापट लगातार पांच बार कसबा पेठ सीट से विधायक रह चुके हैं। हालांकि साल 1991 में कसबा पेठ पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे वसंत थोरात ने भाजपा उम्मीदवार गिरीश बापट को हरा दिया था। लेकिन चार साल बाद हुई विधानसभा चुनाव में बापट इस सीट से विधायक चुने गए।

28 हजार मतों से मुक्ता ने जीता था चुनाव 

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा-शिवसेना युति कीउम्मीदवार रहीं मुक्ता तिलक को 75 हजार 492 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार अरविंद शिंदे ने 47 हजार 296 मत हासिल किए थे। वहीं मनसे उम्मीदवार अजय शिंदे को 8 हजार 284 वोट मिला थे। 28 हजार 196 वोटों से यह चुनाव जीतने वाली मुक्ता को 50 प्रतिशत मत मिले थे। वहीं साल 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस- राकांपा की आघाड़ी और भाजपा-शिवसेना की युति के गठबंधन टूटने के चलते सभी दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार गिरीश बापट को 73 हजार 594 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार रोहित तिलक ने 31 हजार 322 वोट हासिल किए थे। मनसे के प्रत्याशी रवींद्र धांगेकर को 25 हजार 998 वोट मिले थे। राकांपा के उम्मीदवार दीपक मानकर ने 15 हजार 865 और शिवसेना के प्रत्याशी प्रशांत बढे को 9 हजार 203 वोट मिला था। इसके पहले साल 2009, साल 2004, साल 1999 और साल 1995 के विधानसभा चुनाव मेंभाजपा के उम्मीदवार गिरीश बापट को ही जीत मिली थी।

चिंचवड सीट पर कायम रहा जगताप परिवार का दबदबा  

पुणे की ही एक अन्य सीट चिंचवड सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा यह सीट बचाने में कामयाब रही है। हालांकि इसमें शिवसेना के बागी उम्मीदवार राहुल कलाटे ने भी मदद की है।कलाटे ने बतौर निर्दलिय उम्मीदवार 16914 वोट हासिल किया है।जबकि गुरुवार को हुई मतगणना में भाजपा उम्मीदवार अश्विनी जगताप को 8958 वोटों से जीत मिली। इस सीट पर दिवंगत जगताप का दबदबा रहा है। लक्ष्मण ने इस सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीता था। इस उपचुनाव में भाजपा ने लक्ष्मण जगताप की पत्नी अश्विनी जगताप को उम्मीदवारी दीथी।साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण जगताप ने 1 लाख 50 हजार 723 वोट हासिल किए थे। निर्दलीय उम्मीदवार राहुल कलाटे ने 1 लाख 12 हजार 225 वोट हासिल किए थे। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार लक्ष्मण जगताप को 1 लाख 23 हजार 786 वोट मिले थे। शिवसेना के टिकट पर लड़ने वाले राहुल कलाटे ने 63 हजार 489 मत हासिल किया था। राकांपा उम्मीदवार विट्ठल ऊर्फ नाना काटे को 42 हजार 553 वोट मिला था। कांग्रेस के प्रत्याशी कैलाश कदम को 8 हजार 643 को वोट मिला था। जबकि साल 2009 के विधानसभा में लक्ष्मण जगताप ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत हासिल की थी। चिंचवड सीट साल 2009 में बनी थी। जिसके बाद अब तक के तीन चुनाव में लक्ष्मण जगताप ही जीत रहे थे।

भाजपा को6 में दो उपचुनावों में मिली जीत 

साल 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद अभी तक राज्य में 6 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इसमें से पांच सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार उतारे थे। जबकि एक सीट पर भाजपा के प्रत्याशी ने नामांकन वापस ले लिया था। भाजपा को 6 में से केवल दो उपचुनाव में जीत मिल पाई है। सोलापुर की पंढरपुर सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार समाधान आवताड़े ने राकांपा के प्रत्याशी भागीरथ भालके को हराया था। अब पुणे की चिंचवड सीट पर भाजपा उम्मीदवार अश्विनी नाईक को जीत मिली है। नांदेड़ की देगलूर सीट के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार जितेश अंतापुरकर ने भाजपा उम्मीदवार सुभाष साबने को पराजित कर दिया था। कोल्हापुर उत्तर सीट के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार जयश्री जाधव ने भाजपा के प्रत्याशी सत्यजीतकदम को हराया था। इसके बाद मुंबई की अंधेरी पूर्व सीट के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी मुरजी पटेल ने पर्चा वापस ले लिया था। इस सीट पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)उम्मीदवार ऋतुजा लटकेको जीत मिली थी। 

 

Created On :   2 March 2023 9:30 PM IST

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