कई गांवों के सरपंच बने ठेकेदार ! ग्रामीण क्षेत्र की वास्तविकता

Contractor became Sarpanch of many villages! rural reality
कई गांवों के सरपंच बने ठेकेदार ! ग्रामीण क्षेत्र की वास्तविकता
रिसोड़ कई गांवों के सरपंच बने ठेकेदार ! ग्रामीण क्षेत्र की वास्तविकता

डिजिटल डेस्क, रिसोड़, सतीश मांदले। ग्रामीण क्षेत्र में ग्रामपंचायत स्तर पर अनेक विकास कार्य शासकीय योजना से चलाए जाते हैं और यह काम भी ग्रामपंचायत को दिए होते हैं। यह विकास कार्य करते समय अनेक गावों के सरपंच और महिला सरपंचों के पति काम करते दिखाई दे रहे हैं। उनके स्वयं घोषित ठेकेदार बनते तहसील के देहातों में दिखाई दे रहे हैं। ग्रामपंचायत मनरेगा, घरकुल, विद्युत पथदियों के कार्य व अनेक प्रकार के कार्य गांव में किए जाते है इसके लिए ग्रामपंचायत स्वयं काम करनेवाली यंत्रणा है और कोई भी शासकीय ठेकेदार अथवा निविदा प्रक्रिया इसके लिए चलाई नही जाती। इस कारण यह काम उन गावों के तथाकथित ठेकेदार करते दिखाई दे रहे है। इसमें कुछ गावों के सरपंच अथवा महिला सरपंच के पति का समावेश है तो कुछ रोज़गार सेवक भी इन विकास कार्यों पर ठेकेदार के रुप में घुमते नज़र आते है

कुल मिलाकर ग्रामपंचायत काम करनेवाली यंत्रणा होने से सभी कामकाज सरपंच, रोज़गार सेवक ही कर रहे है । कुछ दिन पूर्व मांडवा सरपंच द्वारा बारहवें वित्त आयोग से सड़क कार्य में अनियमितता करने से उन्हें पद गंवाना पड़ा था। इस मामले से स्वयंघोषित ठेकेदारों मंे हडकंप मच गया था । कार्यालयीन स्तर पर गांव और कार्य की फाईलों की थैलियां लेकर यह ठेकेदार पंचायत समिति, तहसील कार्यालय में खुलेआम घुमते दिखाई देते है। ग्रामपंचायत विकास कार्य प्रारुप ढांचे में ड़ालने से लेकर संपूर्ण शासकीय यंत्रणा चलाए जाने तक के कार्य ग्रामसेवक करते है, मात्र यह स्वयंघोषित ठेकेदार स्वयं ही मै-मै करते रहते है, जिससे अनेक गावों के कार्य का दर्जा गिर गया है । ऐसे तथाकथित ठेकेदारों पर अंकुश कौन लगाएंगा ? ऐसा प्रश्न गांव के नागरिकों के समक्ष उपस्थित हो रहा है ।

Created On :   18 April 2023 12:52 PM GMT

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