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हाईकोर्ट ने कहा - डॉक्टर की पर्ची के बगैर भी हो कोरोना जांच, रेमडेसिविर को लेकर जारी हों दिशा निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य में किसी को भी डॉक्टर की वैध पर्ची के अभाव में कोरोना की जांच से वंचित न किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि कोरोना के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं की उपलब्धता से जुडी जानकारी एक पोर्टल पर उपलब्ध कराए। क्योंकि स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही हैं। अदालत ने राज्य सरकार को रेमडेसिविर इंजेक्शन के इस्तेमाल व उपलब्धता के बारे में भी एडवाइजरी जारी करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने कोरोना के उपचार में कुप्रबंधन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। इसके अलावा खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार को हलफनामा दायर कर बताने को कहा है कि महाराष्ट्र में कोरोना के उपचार के लिए कितने बेड, कितना रेमडेसिविर इंजेक्शन, टीका व ऑक्सीजन उपलब्ध है।
दो हजार मैट्रीक टन पहुंच सकती है ऑक्सीजन की मांग
इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना से निपटने के लिए हर संभव व प्रभावी कदम उठा रही हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर कोरोना की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में रोजाना 1200 मैट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। जबकि रोजाना ऑक्सीजन की जरूरत 1500 मैट्रिक टन है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए दूसरे राज्यो से ऑक्सीजन मंगाई जा रही है। आनेवाले दिनों में ऑक्सीजन की मांग रोजाना दो हजार मैट्रिक टन पहुंचने की आशंका है। इसलिए ट्रेन के जरिए भी ऑक्सीजन मंगाई जा रही है। केन्द्र सरकार से 269000 रेमडेसिविरइंजेक्शन मिले हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को यह बताने की जरुरत है कि रेमडेसिविर कोई जादुई दवाई नहीं है।
बीएमसी के पास है पर्याप्त रेमडेसिविर इंजक्शन
वहीं मुंबई मनपा के वकील ने कहा कि उनके पास कुछ दिनों के लिए पर्याप्त इंजेक्शन है। इस बीच याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ को बताया कि डॉक्टर की पर्ची के बिना कोरोना की जांच नहीं हो रही है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि डॉक्टर की पर्ची के अभाव में किसी को कोरोना की जांच से वंचित न किया जाए। वर्तमान में सबको इसका एहसास करने की जरुरत है कि आपात स्थिति है। इसलिए सरकार रेमडेसिविर के इस्तेमाल व उपलब्धता को लेकर एडवाइजरी जारी करें।
कैदियो को एक से दूसरी जेल में भेजने के आवेदन पर 48 घंटे में ले निर्णय
इस बीच हाई कोर्ट ने कहा कि जेल में भीड़ कम करने के लिए कैदियों को एक जेल से दूसरे जेल में भेजने के आवेदन पर मैजिस्ट्रेट 48 घंटे में ले निर्णय। इस दौरान कोर्ट ने पाया कि राज्य में लॉकडाउन के बावजूद साल 2020 में अपराध की दर बढ़ी है। हालांकि राज्य में चोरी, अपहरण, लूट धोखाधड़ी, छेड़छाड़ व दुष्कर्म के अपराध घटे हैं। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा सरकार जेल में भीड़ कम करने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के सुझावों पर विचार करें।
सनसनीखेज न बनाई जाए खबरें
हाईकोर्ट ने मीडिया से अपील की है कि कोरोना संकट के बीच समाचारों को सनसनीखेज न बनाए। यह वक़्त खबरों को सनसनीखेज बनाने का नहीं है। खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उपरोक्त बात कहीं। खंडपीठ ने कहा कि हम काफी कठिन समय से गुजर रहे हैं।इसलिए अधिक जिम्मेदारी दिखाने की जरूरत है। खंडपीठ ने कहा कि कोरोना ने न्यायपालिका को भी प्रभावित किया है।कोरोना के चलते कुछ कोर्ट कर्मचारियों की मौत भी हुई है। कई न्यायाधीश कोरोना संक्रमित हैं। इसलिए इस समय थोड़ा संवेदनशील होने की जरूरत है। खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही सुनवाई की रिकॉर्डिंग न कि जाए।
Created On :   22 April 2021 8:36 PM IST