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देशव्यापी हड़ताल : बैंकों पर लगे रहे ताले, नागपुर और पुणे में प्रदर्शन, मुंबई में बेअसर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मजदूर संगठनों द्वारा बुधवार को आयोजित भारत बंद का देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कोई असर नहीं दिखा। सरकारी बैंकों समेत कुछ संस्थाओं में कामकाज जरूर प्रभावित हुआ लेकिन मुंबई की सड़कों पर लोगों की उसी तरह की भागदौड़ देखने को मिली। महानगर में यातायात सामान्य रहा और रेल, मोनोरेल, बेस्ट की बसें, टैक्सियां और ऑटो सामान्य रूप से चलते रहे। केंद्र सरकार की नीतियों को मजदूरों के खिलाफ बताते हुए वामपंथी और कांग्रेस से जुड़े कर्मचारी संगठनों ने इस बंद का आवाहन किया था। महाराष्ट्र में शिवसेना ने भी इसे समर्थन दिया था। बुधवार को बंद के दौरान हजारों की संख्या में मजदूर मुंबई के आजाद मैदान में जुटे। यहां पहुंचे ज्यादातर लोग असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर थे। इसके अलावा बैंक कर्मचारी संगठन विश्वास उटगी की अगुआई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए केंद्र सरकारी की नीतियों की आलोचना की। यहां नारेबाजी कर रहे लोगों में भारतीय कामगार सेना से जुड़े मजदूर, आंगनवाडी सेविकाएं और स्वयंसेविकाएं थीं। उटगी ने कहा कि देशभर के 25 करोड़ जबकि महाराष्ट्र के करीब चार करोड़ कर्मचारी इस बंद में शामिल हुए। असंगठित मजदूर, गोदी कर्मचारी, बैंक कर्मचारी, आशा वर्कर इस हड़ताल का हिस्सा बनीं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीतियां कानून के खिलाफ हैं। पिछले छह सालों में रोजगार बढ़ना तो दूर करीब 5 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं। सरकार सभी क्षेत्रो के निजीकरण की नीति पर चल रही है। बंद में शामिल रही राज्य सरकारी कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन के अध्यक्ष अशोक दगडे ने दावा किया कि राज्य में बंद 100 फीसदी सफल रहा है। चंद्रपुर से सिंधुदुर्ग तक सरकारी-अर्ध सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी हड़ताल में शामिल रहे। वहीं मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी प्रणय अशोक ने बताया कि बंद शांतिपूर्ण रहा है और मुंबई में किसी भी तरह की अप्रिय घटना सामने नहीं आई है
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पुणे में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने कामगारों का मोर्चा
वहीं पुणे में कामगारों ने कई मांगों को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय के सामने मोर्चा निकाला गया। कार्यालय के सामने निकाले गए मोर्चा में सीटू, भारतीय कामगार सेना, श्रमिक एकता महासंघ, आईटक, राष्ट्रीय श्रमिक एकता महासंघ, बीमा कामगार संगठन, बैंक एम्पाइज फेडरेशन, अंगनवाड़ी कर्मचारी संघ, न्यू ट्रेड युनियन एनिशिटिव, डिफेन्स कोऑर्डिनेशन कमेटी, नर्सेस फेडरेशन, राज्य सर्वश्रमिक संघ, पोस्टल एम्पाईज युनियन, बैंक कर्मचारी संघ, एआईबीईए समेत विविध संगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए थे। इस मौके पर मांग की गई कि अंगनवाड़ी सेविका, आशा कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारियों का दर्जा देकर उस अनुसार वेतन दिया जाए। कंपनियों द्वारा कर्मियों को गैरकानूनी तरीके से काम से निकाला जा रहा है। सभी उद्योगों में प्रति माह न्यूनतम हजार रूपए वेतन लागू किया जाए।

नागपुर के संविधान चौंक पर पहुंचे हजारों लोग
उधर नागपुर में जमकर नारेबाजी हुई। कर्मचारियों पर अत्याचार नहीं चलेगा, श्रम कायदा बल को रद्द किया गया। यह बात राज्य सरकार कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन महाराष्ट्र जिला नागपुर के अध्यक्ष और हड़ताल के निमंत्रक अशोक दगडे ने कही। वह बुधवार को देशव्यापी हड़ताल में संविधान चौक पर कामगार संगठन संयुक्त कृति समिति, नागपुर के बैनर तले संविधान चौक पर आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सीआईटीयू के विश्वानाथ आसई, इंटक के एस.क्यू.झामा, टीयूसीसी के मारोती वानखेडे, एआईटीयूओ के दिलीप माथुर और एआईयूटीयूसी के माधव भोंडे मंच पर प्रमुख रूप से उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि पेंशन फंड डेवलपमेंट बिल रद्द होना चाहिए और पुरानी पेंशन मिलना चाहिए। खाली पड़ी जगह को नहीं भरा जा रहा है, उन्हें भरने की जरूरत है। सप्ताह में 5 दिन कार्यालय होना चाहिए और किसानों को उनकी फसल का उचित दाम देना चाहिए। संविधान चौक पर हजारों की संख्या में हजारों की संख्या में कर्मचारी जमा हुए। हालांकि बारिश के कारण कई कर्मचारी कार्यक्रम के पहले ही चले गए। इस अवसर पर प्रमुख रूप से ज्ञानेश्वर महल्ले, नारायण समर्थ, बुधाजी सुरकर, सुनील व्यवहारे, मनीष किरपाल आदि उपस्थित थे।
- केन्द्रीय कार्यालय के करीब 6 हजार कर्मचारी
- राज्य, जिला, शिक्षण और शिक्षकेत्तर के करीब 75 हजार कर्मचारी
- बैंक, डिफेंस, ट्रेड यूनियन आदि करीब 3.5 लाख कर्मचारी
ये हुए प्रभावित
- सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल में करीब 24 से अधिक ऑपरेशन और प्रोसिजर टाले गए।
- शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) में करीब 33 ऑपरेशन को टाला गया।
- इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में करीब 9 मेजर 11 माइनर ऑपरेशन को टालना पड़ा।
केन्द्रीय कर्मचारियों की मांग
- सभी श्रमिकों को न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रति माह हो, सभी श्रमिकों को न्यूनतम पेंशन 10 हजार हो, स्थायी पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित करें, रिक्त सरकारी पदों को भरें, लेबर कोड बिल वापस लें, रेलवे, बैक, बीम, सार्वजनिक आदि क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाएं, स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिले, बढ़ती महंगाई पर रोक लगे, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौम एवं मजबूत करें, मनरेगा में न्यूनतम वेतन प्रतिदिन 6 सौ रुपए और 200 दिन के लिए दिया जाए
Created On :   8 Jan 2020 10:41 PM IST