ई-निविदा के बिना ही जारी किए गए करोड़ों के ठेके

Crores of contracts issued without e-tendering
ई-निविदा के बिना ही जारी किए गए करोड़ों के ठेके
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प ई-निविदा के बिना ही जारी किए गए करोड़ों के ठेके

डिजिटल डेस्क, अमरावती। मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत आनेवाले गुगामल वन्यजीव विभाग में ई निविदा जारी किए बिना ही करोड़ों रुपए के कार्यों का ठेका जारी कर दिया गया। विशेष यह कि मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के सदस्य, सचिव के आदेशों को कार्यकारी संचालकों ने धता बताया गया है। यह कार्य बिना किसी प्रक्रिया के कैसे शुरू किए गए। इसको लेकर व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत ही सवाल उठने लगे हैं। डाॅ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन वन विकास योजना अंतर्गत वन्यप्राणियों काे होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने के लिए गुगामल वन्यजीव विभाग में तारूबंधा व हरिसाल परिक्षेत्र में सुरक्षाबंदी का कार्य शुरू किया गया था। इस कार्य की लागत 1 करोड़ 50 लाख 83 हजार आंकी गई थी। ठेका जारी करने से पहले ई-निविदा की प्रक्रिया आवश्यक होने के बावजूद उसे पूरा नहीं किया गया। इसके तहत चिखलदरा, तारूबंधा, हरिसाल व ढाकणा परिक्षेत्र में संरक्षण तथा सड़क के काम किए गए। इस पर 8 लाख 86 हजार 320 रुपए खर्च हुए। मामले में सदस्य सचिव मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अमरावती द्वारा त्रुटी निकालते हुए बिलों को नामंजूर कर दिया। इसके बावजूद इन्हीं वन्य परिक्षेत्रों में जून 2020 के दौरान सड़क दुरूस्ती के नाम पर 27 लाख 65 हजार का कार्य किया गया। विशेष यह कि इसके लिए भी निविदा नहीं निकाली गई थी। इसके बावजूद सदस्य सचिव के आदेशों को नजरअंदाज करते हुए वन विभाग की ओर से बिलों का भुगतान कर दिया गया।

सदस्य सचिव ने रोका बिल

2018-19 में निसर्ग संवर्धन व पशु संवर्धन अंतर्गत 23 लाख 65 हजार 738 रुपए आदिवासी टीएसपी के तहत 3 लाख 91 हजार 517 रुपए व 2019-20 में 37 लाख 20 हजार 197 रुपए उपलब्ध कराए गए। इस पूरी राशि का खर्च पूर्व नियोजित नहीं था। इसीलिए इन कार्यों को शुरू करने से पूर्व ई निविदा का पूर्ण करना बंधनकारक है। निविदा न होने के कारण सदस्य सचिव ने बिलांे पर रोक लगाई थी।

 

Created On :   17 Jan 2022 5:44 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story