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खतरनाक ऑनलाइन गेम्स : हद से गुजरने को आमादा हो रहे हैं स्कूली बच्चे
डिजिटल डेस्क, नागपुर। केस 1 पबजी खेलने वाला दसवीं का छात्र रोहन (परिवर्तित नाम) माता-पिता के मोबाइल छीन लेने से इतना आक्रामक हो गया कि अभिभावक को पूरी रात खुद को कमरे में बंद करके रखना पड़ा।
मनोवैज्ञानिक प्रो राकेश क्रिपलानी के मुताबिक बच्चों को इस तरह के खतरनाक गेम्स से दूर रखने के लिए अभिभावकों काे कुछ एहतियात रखनी चाहिए। मोबाइल में कंट्रोलर एप रखें और बच्चे के उम्र के अनुसार सेट करें। इससे बच्चे की उम्र के उपयुक्त वीडियाे और गेम्स ही ऑन और डाऊनलोड होंगे। दस मोबादल में बैंकिग एप न रखें। अगर बैंकिग एप होगा तो सीधे कनेक्ट होने का खतरा रहता है। इसके साथ ही परिवार में बातचीत खुशनुमा माहौल, माता-पिता के आपसी संबंध को अच्छा बनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। बच्चों को किसी न किसी स्पोटर्स से जोड़ना चाहिए।
गेम के बढ़ते आकर्षण के कारण
मनोवैज्ञानिको के अनुसार बच्चों में इस तरह के खतरनाक गेम के प्रति बढ़ते आकर्षण के कई कारण हैं। इनमें ऑनलाइन दुनिया में उनके मन की उन इच्छाओं का पूरा होना, जो वास्तविक जीवन में नहीं पूरे हो पा रहे हों। इसके साथ जल्दी पैसा कमाने की ललक भी युवाओं को इस तरफ मोड़ रही है। पबजी जैसे गेम में करोड़ों रुपए जीतने की बातों से बच्चाें को लगता है कि करियर बनाने के लिए पढ़ाई करने से ज्यादा अच्छा है कि पबजी खेलकर कुछ ही समय में करोड़ो की रकम जीत जी जाए। इसके साथ ही परिवार में अच्छा माहौल नहीं होना, माता-पिता के अत्यधिक व्यस्त होने के कारण बच्चों का अकेलापन, सामाजिक मेलजोल की कमी, किसी तरह का तनाव भी कारण होते हैं। इसके साथ ही दोस्तों के साथ भी इस आदत की गिरफ्त में आ जाते हैं।
केस 2
नौवीं कक्षा के छात्र ने पहले जाना बंद कर दिया और स्कूल से शिकायत आने पर स्कूल में मारपीट और तोड़फोड़ की। इसके बाद में घर में चीजें फेकना शुरू कर दिया। उसने अपनी मां को धमकी दी अगर उसकी बात नहीं सुनी गई तो वह या खुद को किसी और को नुकसान पहुंचा देगा। नागपुर में बड़ी संख्या में बच्चे व किशोर पबजी समेत खतरनाक और हिंसक ऑनलाइन खेलों की गिरफ्त में हैं। मनोचिकित्सक प्रो राकेश क्रिपलानी के अनुसार पिछले छह माह में उनके पास इन गेम्स के लत की हद में पहुंच जाने 30 से 35 मामले आए इनमें आधे पबजी के थे। उन्होंने बताया कि गेम के कारण बच्चों में अत्यधिक आक्रामक व्यवहार, नियंत्रण के बाहर हो जाने, पढ़ाई में पिछड़ने, स्कूल नहीं जाने जैसी शिकायतें हैं। यहां तक कि साइबर साइकॉलजी पर स्कूलों में वर्कशॉप लेने के दौरान 50 फीसदी बच्चों ने इस तरह के गेम्स खेलने की बात स्वीकार की है इनमें 2 फीसदी लड़कियां भी शामिल हैं। सितंबर में पबजी खेलने की आदत से ग्रस्त एक लड़की के आत्महत्या कर ली थी।
Created On :   8 Nov 2019 10:06 PM IST