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दरेकर ने मुंबई बैंक के मजदूर सीट से निदेशक पद का दिया इस्तीफा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार के सहकारिता विभाग की जांच में मजदूर के रूप में अपात्र घोषित किए जाने के बाद विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने मुंबई जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में निर्वाचित हुए प्रतिज्ञा मजदूर सहकारी संस्था सीट से निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके पहले सोमवार को मुंबई विभाग के सहकारी संस्था के विभागीय सहनिबंधक बाजीराव शिंदे ने दरेकर को प्रतिज्ञा मजदूर सहकारी संस्था के सदस्य के रूप में अपात्र घोषित किया था। शिंदे ने दरेकर को प्रतिज्ञा मजदूर सहकारी संस्था के सदस्य पद से हटाने के लिए मुंबई शहर के सहकारी संस्था के जिला उपनिबंधक को प्राधिकृत किया है। इस पर मंगलवार को विपक्ष के नेता व मुंबई बैंक के अध्यक्ष दरेकर ने कहा कि सहकारी विभाग ने बदले की भावना के तहत मेरे खिलाफ कार्रवाई की है। मैं सहकारिता विभाग के इस आदेश के खिलाफ अदालत में जाऊंगा। दरेकर ने कहा कि मैं मुंबई बैंक के चुनाव में दो निर्वाचन क्षेत्रों से निर्वाचित हुआ था। सोमवार को मुंबई बैंक का चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद मैंने प्रतिज्ञा मजदूर सहकारी संस्था सीट से निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया है। क्योंकि सहकारिता कानून के तहत दो सीटों से निर्वाचित होने के बाद एक सीट से 30 दिनों के भीतर इस्तीफा देना पड़ता है। वहीं आम आदमी पार्टी (आम) के प्रदेश सचिव धनंजय शिंदे ने दरेकर से विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देने की मांग की है। शिंदे ने कहा कि देरी से ही सही पर लगभग 23 साल बाद सहकारिता विभाग ने जांच के बाद दरेकर को मजदूर सहकारी सीट से मुंबई बैंक का चुनाव लड़ने के लिए अपात्र पाया है। इसलिए अब दरेकर को नैतिकता के आधार पर विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। शिंदे ने राज्य सरकार से मुंबई बैंक के पूरे निदेशक मंडल को बर्खास्त करने की भी मांग की है। शिंदे ने दावा करते हुए कहा कि मुंबई बैंक का चुनाव गलत मतदाता सूची के आधार पर हुआ है। इसलिए नई मतदाता सूची तैयार करके दोबारा मुंबई बैंक का चुनाव कराया जाना चाहिए। दरअसल दरेकर ने खुद को मजदूर बताते हुए प्रतिज्ञा मजदूर सहकारी संस्था सीट से मुंबई बैंक के निदेशक का चुनाव लड़ा था। इसके बाद आप के नेता शिंदे ने राज्य के सहकार आयुक्त कार्यालय को पत्र लिखकर दरेकर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। शिंदे ने आरोप लगाया था कि दरेकर ने साल 2016 के विधान परिषद के चुनाव के हलफनामे में अपने व परिवार की करोड़ों की संपत्ति बताई थी। दरेकर ने मुंबई बैंक के चुनाव में निदेशक पद के लिए मजदूर सहकारी सीट से चुनाव लड़ा है। जबकि दरेकर अपने आप को मजदूर बताकर इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए पात्र नहीं है।
सहकारिता विभाग के आदेश में क्या है
मुंबई विभाग के सहकारी संस्था के विभागीय सहनिबंधक बाजीराव शिंदे ने अपने जांच आदेश में कहा है कि मजदूर का मतलब प्रत्यक्ष रूप से शारीरिक मेहनत व श्रम करने वाला व्यक्ति होता और उनकी उपजीविका का प्रमुख साधन मजदूरी होती है। लेकिन दरेकर ने विधान परिषद का चुनाव लड़ते समय हलफनामे में अपने और परिवार की संपत्ति 2 करोड़ 13 लाख रुपए बताई है। विधान परिषद के सदस्य रूप में मानधन व भत्ता सहित उन्हें हर महीने लगभग 2 लाख 50 हजार रुपए मिलते हैं। इसलिए प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि दरेकर मजदूर नहीं हैं।
दरेकर के खिलाफ फौजदारी हो- नवाब मलिक
सहकारिता विभाग की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद राकांपा प्रवक्ता तथा प्रदेश के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर दरेकर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के अनुसार कार्रवाई करने की मांग की है। मलिक ने राज्य के गृह मंत्री दिलीप वलसे- पाटील और प्रदेश के सहकारिता मंत्री बालासाहब पाटील को भी इस संबंध में पत्र लिखा है। मलिक ने कहा कि सहकारी संस्था के विभागीय विभागीय सहनिबंधक ने दरेकर को मजदूर के रूप में अपात्र घोषित कर दिया है। क्योंकि दरेकर प्रतिज्ञा मजदूर सहकारी का सदस्य बनने के लिए मजदूर होने के मापदंडों को पूरा नहीं करते हैं। लेकिन दरेकर ने झांसा देकर सहकारी संस्था का सदस्यता हासिल की है। उनके खिलाफ धोखाधडी के आरोपों के तहत भारतीय दंड संहिता के तहत उचित कार्रवाई की जाए।
Created On :   4 Jan 2022 9:09 PM IST