नाव चला कर स्कूल जाने वाली बेटियों को मिली मोटर बोट

Daughters going to school by boat got a motor boat
नाव चला कर स्कूल जाने वाली बेटियों को मिली मोटर बोट
हाईकोर्ट के दखल के बाद जागी सरकार नाव चला कर स्कूल जाने वाली बेटियों को मिली मोटर बोट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट की दखल के बाद अब महाराष्ट्र के सतारा जिले के घने जंगलों के बीच चार किमी नाव चलाकर स्कूल जाने को मजबूर छात्राओं को अब मोटर बोट मिल गई है। वहीं राज्य सरकार ने कोर्ट में दावा किया है कि उसने गांव में रहनेवाले बच्चों पुनर्वास व छात्रावास की सुविधा की पेशकश की थी लेकिन बच्चों के अभिभावकों ने इस सुविधा को लेने से मना कर दिया है। हाईकोर्ट ने बीते 31 जनवरी को इस मामले का संज्ञान लिया था और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि लड़कियों को सुरक्षित व अनुकुल वातावरण प्रदान करके ही ‘बेटी बचाओं-बेटी पढाओं’ जैसे लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। दरअसल न्यूज चैनल पर प्रसारित एक खबर में दावा किया गया था कि सतारा जिले के जवली तहसील में स्थित खिरखिंदी गांव की लड़किया अपनी जान जोखिम में डालकर रोजाना खुद चार किमी नाव चलाकर स्कूल पहुंचती हैं। लड़कियां स्कूल जाने के लिए कोयना बांध के एक छोर से अपनी यात्रा की शुरुआत करती है। और घने जंगल के बीच चार किमी की लंबी यात्रा को तय करती है। खबर के मुताबिक इन जंगलों में बाघ व भालु जैसे जंगली जानवर भी पाए जाते है। कोर्ट ने इस खबर का संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया था। 

मंगलवार को यह याचिका न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रहे अधिवक्ता संजीव कदम ने कहा कि शिवसेना नेता व मंत्री एकनाथ शिंदे ने बच्चों के लिए मोटर बोट दी है। जबकि राज्य सरकार ने एक हलफनामा में कहा है कि कई गैरसरकारी संस्थाओं ने बच्चों की मदद के लिए हाथ बढाए हैं। जिसके तहत उन्हें बोट, लाइफ जैकेट व साइकिल प्रदान की गई है।

तो बढ़ाएंगे दायरा 

इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यदि उनके सामने इस तरह के राज्य के अन्य हिस्सों के मामले भी लाए गए तो वे याचिका का दायर बढाएंगे। इससे पहले खंडपीठ के सामने सातारा के खिरखिंदी गांव से जुड़े मामले को लेकर सरकार की ओर से तीन हलफनामे दायर किए गए। इसमें से एक हलफनामा वन विभाग ने दायर किया, दूसरा हलफनामा शिक्षा व तीसरा हलफनामा संबंधित तहसीलदार ने दायर किया। वन विभाग ने दावा किया कि जिस गांव में छात्राएं रहती है वह बाघ संरक्षित क्षेत्र (टाइगर रिजर्व) में आता है।  इसलिए इस गांव के लोगों को ठाणे जिले के भिवंडी इलाके में स्थानांतरित किया गया है। लेकिन 6 परिवार यहां अब तक आने को तैयार नहीं है। इन्हें जमीन व घर दोनों दिए गए हैं। लेकिन इन परिवारों के 6 विद्यार्थी अभी वहीं पर है। वहां पर सड़क बनाना भी संभव नहीं है। विद्यार्थियों को छात्रावास की भी पेशकश की गई है लेकिन उनके माता-पिता इसके लिए राजी नहीं है। कोर्ट ने अब इस याचिका पर सुनवाई 16 जून को रखी है। 


 

Created On :   12 April 2022 8:17 PM IST

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