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कोरोना वैक्सीन के चलते डॉक्टर बेटी की मौत पर पिता ने मांगा एक हजार करोड़ का मुआवजा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कोविडरोधी टीका कोविशिल्ड बनाने वाले सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ और माइक्रोसाफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने यह नोटिस कोरोना के टीके के कथित रुप से विपरीत असर के चलते जान गंवाने वाली डाक्टर बेटी के पिता दिलीप लुनावत की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जारी की है। याचिका में लूनावत ने बेटी की मौत के लिए एक हजार करोड़ रुपए के अंतरिम मुआवजे की मांग की है। याचिका में दावा किया गया है कि कोविशिल्ड के कुप्रभाव के चलते उनकी बेटी की जान गई है। याचिका में श्री गेट्स को एसआईआई के साझीदार के तौर पर प्रतिवादी बनाया गया है। क्योंकि बिलगेट्स फाउंडेशन ने कोविशिल्ड के निर्माण के लिए निधी प्रदान की है। न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने जब यह याचिका सुनवाई के लिए आयी तो खंडपीठ ने याचिका के प्रतिवादी अदर पुनावाला और बिल गेट्स को नोटिस जारी किया। जिसे गेट्स ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता ने स्वीकार किया। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर सुनवाई 17 नवंबर 2022 को रखी है।
अधिवक्ता निलेश ओझा के माध्यम से दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ता दिलीप लूनावत ने दावा किया है कि उनकी बेटी की मौत कोरोना के टीके के कुप्रभाव के कारण हुई है। याचिका में लूनावत ने कहा है कि उनकी 33 वर्षीय बेटी स्नेहल नाशिक के एक डेंटल कालेज में सीनियर लेक्चरर थी। याचिका के अनुसार स्नेहल ने नाशिक में 28 जनवरी 2021 को कोविशिल्ड की पहली खुराक ली थी। इसके बाद उन्हें सिर में काफी दर्द महसूस हुआ था। इस बीच स्नेहल की सेहत लगातार खराब होती चली गई। फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनकी मस्तिष्क की सर्जरी की गई और उन्हें वेंटिलेकर पर रखा गया। फिर भी उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। और बाद में स्नेहल की मौत हो गई।
याचिका में मुख्य रुप से केंद्र सरकार,राज्य सरकार व कोविश्लड बनानेवाली सिरम इंस्टीट्यूट ऑप इंडिया व इसके सहयोगी बिल गेट्स को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में लूनावत ने कहा है कि उनकी बेटी स्वास्थय सेवा से जुडी थी इसलिए बेटी की इच्छा न होने के बावजूद उसे टीका लेने के लिए बाध्य किया गया। याचिका में टीके की सुरक्षा को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट पर गलत बयान देने का भी आरोप लगाया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि आल इंडिया इंस्टीट्यू ऑप मेडिकल साइंस व ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने वैक्सीन के सुरक्षित होने के संबंध में गलत बयान दिया है। याचिका में कहा गया है कि वैक्सीन का कोई कुप्रभाव नहीं है यह कहना गलत है।
याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार की आफ्टर फालोइंग इम्यूनाइजेशन कमेटी ने माना है कि स्नेहल की मौत कोरोना के टीके के विपरीत असर के कारण हुई है। याचिका में मांग की गई है कि स्नेहल को शहीद घोषित किया जाए और सरकार को उसके परिजनों को मुआवजा देने के लिए कहा जाए। जिसे सरकार फिर संबंधित अधिकारी व टीका बनानेवाली कंपनी से वूसल करे।
Created On :   2 Sept 2022 7:05 PM IST