मेडिकल छात्रों को अतिरिक्त अंक का मामला : हाईकोर्ट ने सरकार से कहा-सप्ताहभर में तय करो ग्रामीण-पिछड़े और दुर्गम इलाके

Decide the Rural, backward and inaccessible areas in one week - HC
मेडिकल छात्रों को अतिरिक्त अंक का मामला : हाईकोर्ट ने सरकार से कहा-सप्ताहभर में तय करो ग्रामीण-पिछड़े और दुर्गम इलाके
मेडिकल छात्रों को अतिरिक्त अंक का मामला : हाईकोर्ट ने सरकार से कहा-सप्ताहभर में तय करो ग्रामीण-पिछड़े और दुर्गम इलाके

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर राज्य के ग्रामीण, पिछड़े व दुर्गम इलाके तय करे। ताकि बुधवार से शुरु हो रही मेडिकल के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (पीजी) के प्रवेश में ऐसे मेडिकल छात्रों को लाभ मिल सके जिन्होंने ग्रामीण, पिछड़े व दुर्गम इलाकों में काम किया है। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया की 5 अप्रैल 2018 की अधिसूचना के अनुसार उपरोक्त इलाकों में एमबीबीएस के बाद मेडिकल अधिकारी के तौर पर काम करने वाले विद्यार्थियों को पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए ली जाने वाली नीट परीक्षा में मिले अंको में दस प्रतिशत अंक जोड़े जाते हैं। चूकी राज्य सरकार ने अब तक ग्रामीण व पिछड़े इलाके तय नहीं किए हैं, इसलिए छात्रों को इसका लाभ नहीं मिल रहा था। जिसके कारण जालना के प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र में कार्यरत डाक्टर उमाकांत मारवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि उसने दो साल जालना के एक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र में अपनी सेवा दी है। लेकिन सरकार ने अब तक यह तय नहीं किया है कि कौन सा इलाका ग्रामीण-पिछड़ा तथा दुर्गम है। इसलिए इन इलाकों में सेवा देने की एवज में मिलनेवाले अतिरिक्त अंक नहीं मिल पा रहे हैं। मंगलवार को यह याचिका न्यायमूर्ति भूषण गवई व न्यायमूर्ति एसके शिंदे की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे  अधिवक्ता वीएम थोरात ने कहा कि बुधवार से पीजी के दाखिले से जुड़ी प्रक्रिया की शुरुआत हो रही है। सरकार ने अब तक ग्रामीण व पिछड़े इलाके तय नहीं किए है जहां काम करने पर अतिरिक्त दस प्रतिशत अंक मिलते है। इससे मेरे मुवक्किल को काम करने के बावजूद दस प्रतिशत अंकों की बढोत्तरी नहीं मिल पाएगी। इस पर सरकारी वकील ने कहा कि सरकार ने इस विषय को लेकर एक कमेटी गठित की है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी। लोकसभा चुनाव के चलते अब आचार संहिता लग गई है। फिर भी सरकार ने इस संबंध में निर्णय लेने के लिए चुनाव आयोग के पास प्रस्ताव भेजा है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि ग्रामीण, पिछ़डे व दुर्गम इलाके तय करना कोई नीतिगत निर्णय नहीं है। इसके लिए सरकार को चुनाव आयोग की मंजूरी जरुरत नहीं है। इसलिए सरकार एक सप्ताह के भीतर उपरोक्त इलाके तय करे। 

राजनीतिक दलों के मंडलों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती पुलिस

राजनीतिक दलों से जुड़े मंडलों के खिलाफ ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई को लेकर पुलिस की निष्क्रियता पर बांबे हाईकोर्ट ने अप्रसन्नता जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि पुलिस हमें बताए कि भविष्य में ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगी? हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस आयुक्त को इस संबंध में दोबारा हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान गत वर्ष गणेश चतुर्थी व ईद ए मिलाद के दौरान हुए ध्वनि प्रदूषण के नियमों के उल्लंघन के लिए कार्रवाई न करने पर मुंबई पुलिस आयुक्त को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। हलफनामे स्पष्ट करने को कहा गया था कि ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों के उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई न करनेवाले अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी? मंगलवार को सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी ने मुंबई पुलिस आयुक्त का हलफनामा न्यायमूर्ति अभय ओक की खंडपीठ के सामने पेश किया। हलफनामे पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने असंतोष व्यक्त किया और कहा कि हलफनामे में कार्रवाई के पहलू को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। खंडपीठ ने कहा कि हमारी मंशा एक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की नहीं है। हम चाहते हैं कि भविष्य में ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों के उल्लंघन पर रोक लगे। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 20 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है। 

Created On :   12 March 2019 8:02 PM IST

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