- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- महाराष्ट्र राज्य कुश्ती एसोसिएशन की...
महाराष्ट्र राज्य कुश्ती एसोसिएशन की कमेटी को रद्द करने का फैसला अवैध
- हाईकोर्ट ने डब्ल्यूएफआई के निर्णय को किया निरस्त
- भाजपा सांसद बृजभूषण को झटका, शरद पवार को मिली राहत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के 30 जून 2022 के उस फैसले को अवैध माना है जिसके तहत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार की अगुवाई वाले महाराष्ट्र राज्य कुश्ती एसोसिएशन की निर्वाचित कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि डब्ल्यूएफआई का फैसला खेल भावना के अनुरूप नहीं है। इसलिए इसे निरस्त किया जाता है। न्यायमूर्ति एस के शिंदे ने कहा कि डब्ल्यूएफआई का 30 जून का फैसला अतार्किक है। इसलिए इसे लागू नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति ने स्पष्ट किया है कि राकांपा प्रमुख पवार की अगुवाई वाले एसोसिएशन की कार्यकारी कमेटी अपना कार्यकाल ख़त्म होने तक एसोसिएशन का कामकाज देख सकती है। करीब चार दशक से एसोसिएशन पर श्री पवार का नियंत्रण है। जबकि भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष हैं। डब्ल्यूएफआई की 30 जून 2022 की बैठक में महाराष्ट्र राज्य कुश्ती एसोसिएशन की कार्यकारी कमेटी को बर्खास्त करने का फैसला किया था। श्री पवार इस एसोसिएशन के अध्यक्ष है। डब्ल्यूएफआई के फैसले के खिलाफ एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका में डब्ल्यूएफआई के फैसले को मनमानी पूर्ण बताया गया था। क्योंकि एसोसिएशन के कार्यकारी कमेटी का चुनाव 2019 में हुआ था और उसका कार्यकाल 2023 तक है। याचिका के मुताबिक डब्ल्यूएफआई ने नियमों के विपरीत जाकर एसोसिएशन की कार्यकारणी को भंग किया है। एसोसिएशन का पक्ष सुने बिना ही कमेटी को भंग किया गया है। इसके अलावा एसोसिएशन की कमेटी का चुनाव कराने के लिए दिया गया निर्देश भी अवैध है।
न्यायमूर्ति शिंदे ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि इस मामले में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया है। इस मामले में डब्ल्यूएफआई का फैसला काफी कठोर है। डब्ल्यूएफआई को एसोसिएशन के पदाधिकारियों को अपनी बात रखने का अवसर देना चाहिए था। इस तरह न्यायमूर्ति ने डब्ल्यूएफआई के निर्णय को अवैध माना। कोर्ट ने डब्ल्यूएफआई द्वारा एसोसिएशन की कमेटी का नए सिरे से चुनाव कराने के निर्देश को भी अवैध माना और उसे निरस्त कर दिया।
Created On :   10 Nov 2022 8:17 PM IST