दीपावली : रेल - सड़क से लेकर हवाई यात्रा तक हुई कई गुना महंगी

Deepawali: Road to air travel became more expensive
दीपावली : रेल - सड़क से लेकर हवाई यात्रा तक हुई कई गुना महंगी
दीपावली : रेल - सड़क से लेकर हवाई यात्रा तक हुई कई गुना महंगी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दिवाली के कारण ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में ट्रेनों का फ्लैक्सीबल किराया हर दिन बढ़ रहा है। मुख्यता: नागपुर से मुंबई, दिल्ली जाने वाली दुरंतो व राजधानी ट्रेनों का किराया 3 हजार रुपए को पार करने की स्थिति में है। ऐसे में जिस तरह मुंबई, पुणे व दिल्ली से नागपुर पहुंचने में यात्रियों की जेब ढीली हुई थी, ठीक वापसी के वक्त भी यही हाल रहेगा। हालांकि नागपुर से चलने वाली कुछ ही ट्रेनों में फ्लैक्सीबल किराया है, लेकिन यह गाड़ियां मुंबई व दिल्ली की ओर जाती हैं, इसलिए इसका असर यात्रियों पर ज्यादा पड़ रहा है। दुरंतो, राजधानी व शताब्दी एक्सप्रेस में फ्लैक्सीबल किराया लागू है। यानी जैसे-जैसे 50 प्रतिशत टिकटों की बिक्री होती है, वैसे-वैसे टिकटों का किराया भी बढ़ते जाता है। हालांकि 50 प्रतिशत किराए में वृद्धि होने के बाद टिकटों का किराया नहीं बढ़ाया जाता है। लेकिन 50 प्रतिशत तक टिकटें बेची जाने से टिकट खरीदने के लिए यात्रियों को डेढ़ हजार रुपए तक खर्च करना पड़ता है। इन दिनों भी ऐसा ही हो रहा है। 29 अक्टूबर से अगले माह कुछ दिनों तक दुरंतो व राजधानी एक्सप्रेस में किराया आसमान छूएगा। स्टेशन से प्रति दिन नागपुर-मुंबई-नागपुर दुरंतो एक्सप्रेस चलती है। वहीं बंगलुरु-दिल्ली, मद्रास-दिल्ली, बिलासपुर-दिल्ली व सिकंदराबाद-दिल्ली के लिए राजधानी चलती है। नागपुर से मुंबई जाने वाली दुरंतो एक्सप्रेस का आम दिनों का किराया एसी-2 का 1965 रुपए है। वहीं एसी-3 का 1390 रुपए है। दिवाली के बाद इन ट्रेनों में टिकट हासिल करने के लिए यात्रियों ने एसी-2 में 2865 व एसी-3 में 1880 रुपए तक किराया दिया है। इसी तरह दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में फ्लैक्सीबल किराए के नाम पर एसी-2 में 3260, वहीं एसी-3 में 2325 रुपए यात्रियों को किराया देना पड़ रहा है, जिससे यात्रियों की जेब ढीली हो रही है> नियमानुसार कोई भी यात्री वेटिंग टिकट लेकर सफर नहीं कर सकता है। उसे बिना टिकट समझा जाता है। रेलवे इन पर कार्रवाई भी करता है। ऑनलाइन बनने वाला टिकट खुद ब खुद कैंसिल भी हो जाता है, लेकिन कुछ यात्री मैनुअली टिकट बनाते हैं। इन्हीं टिकटों के सहारे वह आरक्षित बोगियों में चढ़ जाते हैं और आरक्षित बर्थ पर डेरा जमा लेते हैं। जगह नहीं मिलने पर नीचे ही बैठकर या सो कर सफर करते हैं। जिससे आरक्षित बोगियों में जनरल बोगियों सा माहौल बन रहा है। ऐसे में महीनों पहले टिकट निकालने वाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

 

यात्रियों को महंगा पड़ रहा खाना

रेलवे स्टेशन पर दिवाली के कारण यात्रियों की भीड़ बढ़ गई है, लेकिन महीनों से बंद जन आहार व खान-पान स्टॉल्स की कमी के कारण यात्रियों को प्लेटफार्म नंबर एक पर बने एक ही रेस्त्रां पर निर्भर रहना पड़ रहा है। यहां से रोजाना 100 से ज्यादा गाड़ियां होकर गुजरती हैं, जिसमें प्लेटफार्म नंबर एक से ज्यादा से ज्यादा गाड़ियां क्रास होती हैं। यहां गाड़ियां कुछ मिनटों के लिए रुकती भी है। ऐसे में लंबी दूरी से आने वाले यात्रियों के लिए प्लेटफार्म नंबर एक पर खान-पान व्यवस्था पर्याप्त रहना जरूरी है। इसे देखते हुए रेलवे ने यहां जनआहार खोला था। जहां सस्ती पुरी-भाजी से लेकर रेलवे नियमों पर सस्ता खाना मिलता था। इसके अलावा यहां एक निजी रेस्त्रां भी है। ऐसे में यात्रियों को खान-पान के लिए कई भटकना नहीं पड़ता था, लेकिन महीनों से जन आहार बंद पड़ा है। ऐसे में यात्रियों को प्लेटफार्म नंबर एक पर बने फूड हब पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। जहां जन आहार की तुलना में महंगे आइटम्स होते हैं, लेकिन कोई विकल्प नहीं रहने के कारण यात्रियों को यहीं से ही महंगा खाना खरीदना पड़ रहा है।

Created On :   26 Oct 2019 11:57 AM GMT

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