बोर टाइगर रिजर्व के विकास के लिए निधि जारी करने की मांग

Demand to release funds for the development of Bor Tiger Reserve
बोर टाइगर रिजर्व के विकास के लिए निधि जारी करने की मांग
लोकसभा बोर टाइगर रिजर्व के विकास के लिए निधि जारी करने की मांग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वर्धा से सांसद रामदास तडस ने बुधवार को लोकसभा में अपने संसदीय क्षेत्र के बोर टाइगर रिजर्व के विकास के लिए निधि मुहैया कराने की मांग की। उन्होंने सदन को बताया कि बोर टाइगर भौगोलिक आकार से देश का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व प्रकल्प है, लेकिन यहां पर्यटकों की संख्या दिन-ब-दिन बढती जा रही है। इसे देखते हुए सरकार से अनुरोध है कि इस प्रकल्प के विकास के लिए व्याघ्र और वन संवर्धन को बढावा देने के लिए प्रोजेोक्ट टाइगर के तहत अतिरिक्त राशि मुहैया कराई जाए।उन्होंने कहा कि 2016 में स्थापित बोर टाइगर रिजर्व भारत का 47वां टाइगर रिजर्व प्रकल्प है। यह देश का सबसे छोटा टाइगर रिजर्व प्रकल्प है और अनेक जंगलों को जोड़ने वाला एक प्रमुख गेटवे भी है।

 

मुंबई में लाभार्थियों को नहीं मिल रहा प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ

मुंबई (उत्तर) से सांसद गोपाल शेट्‌टी ने बुधवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मुंबई शहर में लाभार्थियों को पक्के मकान उपलब्ध नहीं हो पाने की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में इस योजना के लिए अपात्र लोगों को भी घर उपलब्ध हो सके इसलिए 2018 में नियम बनाए गए, लेकिन वर्तमान राज्य सरकार इस पर अमल नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में वर्ष 2022 तक साढ़े ग्यारह लाख लोगों को पक्के घर उपलब्ध कराए जाने है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने 2018 में कानून में बदलाव करके जो नियम तैयार किए उसके तहत वर्ष 2011 तक इस योजना के लिए अपात्र रहे उनको भी पक्का घर मिलना था। केन्द्र सरकार ने लाभार्थियों को ढाई लाख रुपये देने का वादा किया है, लेकिन राज्य की व र्तमान महाविकास आघाडी सरकार इन नियमों पर अमल नहीं कर रही है। उन्होंने सदन को बताया कि इसके लिए वे लगातार आंदोलन कर रहे है और अभी यह मसला राष्ट्रीय मानवाधिकार के पास लंबित है। लोकसभा सदस्य ने इस मामले में केन्द्र सरकार से गुहार लगाई है कि वह इसमें हस्तक्षेप करें, ताकि दिसंबर 2021 समाप्त होने से पहले मुंबई के लोगों को पक्का घर उपलब्ध हो सक

महाराष्ट्र सरकार अपने हिस्से की लाभार्थियों को नहीं दे रही है सहायता राशि

अमरावती से सांसद नवनीत रवि राणा ने लोकसभा में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभार्थियों को मिलने वाली सहायता राशि के इंस्टालमेंट देने में राज्य सरकार की ओर से हो रही देरी की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से मिलने वाली हिस्सेदारी योजना के सभी लाभार्थियों को मिल रही है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने अपने हिस्से की दूसरी और तीसरी किस्त अब तक नहीं दी है। उन्होंने सदन को बताया कि पीएम आवास योजना में जितने अधिकारी सेवानिवृत्त हुए उन्हें सरकार ने जहां-जहां इस योजना का काम चल रहा है, वहां फिर से इस योजना की जिम्मेदारी का काम सौंपा है। उन्होंने कहा कि यह अधिकारी बिल्कूल भी गंभीरता से काम नहीं कर रहे है। अमरावती की बात करें तो क्षेत्र के सभी रिटायर लोगों को पेंशन भी लागू है, लेकिन लाभार्थियों को फायदा मिले, इसके लिए कोई काम नहीं कर रहे है। लिहाजा सरकार से अनुरोध है कि राज्य में जहां-हां आवास योजना का काम चल रहा है और वहां के लाभार्थियों को किस वजह से लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाए।
 
मराठवाडा के किसानों के लिए विशेष पैकेज दिया जाए-सय्यद ईमत्याज जलील

औरंगाबाद से सांसद सय्यद ईमत्याज जलील ने लोकसभा में मराठवाडा में बारिश से हुए किसानों के नुकसान की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए केन्द्र सरकार से मांग की है कि वह क्षेत्र के किसानों की नुकसान भरपाई के लिए एक विशेष पैकेज जारी करें। उन्होंने सदन को बताया कि मराठवाडा में पिछले एक साल में 756 किसानों ने आत्महत्या की है, जिसमें औरंगाबाद जिले में 150 और बीड जिले में 174 किसान शामिल है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के झगडों के बीच किसानों तक समय पर राहत नहीं पहुंच रही है। बारिश से फसल बर्बाद होती है तो महज पंचनामें किए जाते है। जब किसानों को मदद देने की बात आती है तो राज्य सरकारें अपनी जिम्मेदारी यह कहते हुए टालती है कि उन्हें केन्द्र सरकार का हिस्सा नहीं मिला है, इसलिए हम किसानों को बीमा का पैसा नहीं दे सकते है। उन्होंने कहा कि इन दोनों के झगडों के बीच अगर किसान आत्महत्या करते है, तो यह देश के लिए चिंता की बात है। उन्होंने आंदोलनरत किसानों द्वारा की जा रही एमएसपी की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि एक साल से जारी किसान आंदोलन के दौरान 750 किसानों की मौत हुई है, लेकिन आज किसानों की मौत हमारे लिए महज एक आंकडा बनकर रह गया है।

 

 

 

 


 

Created On :   1 Dec 2021 9:35 PM IST

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