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नाबालिग बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने वाले स्कूल बस ड्राइवर की सजा पर रोक से इनकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने स्कूल जानेवाली दो बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए गए एक स्कूल बस ड्राइवर की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले से जुड़े गवाहों की गवाही पर अविश्वास नहीं दर्शाया जा सकता है। इसलिए अंतरिम राहत के तौर पर आरोपी की सजा पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। निचली अदालत ने इस मामले में आरोपी को अगस्त 2019 में दस साल की सजा सुनाई थी। जिस पर रोक लगाकर जमानत पर रिहा किए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था। स्कूल के शिक्षक ने आठ व नौ साल की बच्चियों के साथ बात करने के बाद बस ड्राइवर तुलसीराम मनेरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। निचली अदालत ने आरोपी को इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 व पाक्सों कानून की धाराओं के तहत दस साल के कारावास की सजा सुनाई थी।
न्यायमूर्ति पीडी नाईक के सामने आरोपी के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है। मेरे मुवक्किल पिछले पांच साल से जेल में है। घटना को लेकर कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है। पीड़ित बच्चों के शरीर में चोट के निशा नहीं है। पीड़ित बच्चियों को गवाही के लिए सीखाया-पढाया गया है। उनकी गवाही में काफी विरोधाभास है।
वहीं सरकारी वकील ने आरोपी के आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी पर गंभीर आरोप है। पीड़ित बच्चियों ने आरोपी के कारण अचानक स्कूल आना बंद कर दिया था। स्कूल के शिक्षक के पूछने पर बच्चियों ने आरोपी के घिनौनी करतूत का खुलासा किया है। आरोपी ने एक तरह से उससे जुड़े भरोसे को तोड़ा है। इसलिए आरोपी को राहत न दी जाए। मामले से जुड़े सभी पक्षों व प्रकरण से जुड़े गवाहों के बयान पर गौर करने के बाद कहा कि उनके बयान पर अविश्वास नहीं दर्शाया जा सकता है। इसलिए आरोपी की ओर से सजा पर रोक लगाने के आवेदन को खारिज किया जाता है। हालांकि न्यायमूर्ति ने आरोपी की अपील पर शीघ्रता से सुनवाई करने का निर्देश दिया है।
Created On :   29 March 2022 8:54 PM IST