विभाग ने घटाया मनरेगा के तहत होनेवाले कार्यों का लक्ष्य, 711 करोड़ के कार्यों का प्रस्ताव

Department has reduced the target of works to be done under MNREGA
विभाग ने घटाया मनरेगा के तहत होनेवाले कार्यों का लक्ष्य, 711 करोड़ के कार्यों का प्रस्ताव
अमरावती विभाग ने घटाया मनरेगा के तहत होनेवाले कार्यों का लक्ष्य, 711 करोड़ के कार्यों का प्रस्ताव

डिजिटल डेस्क, अमरावती। वित्तीय वर्ष 2020-21 व वित्तीय वर्ष 2021-22 में कोरोना संक्रमण के दौरान  केंद्र द्वारा चलाई जाने वाली  मनरेगा कई परिवारों के लिए पालनहार साबित हुई थी। मनरेगा की उपयोगिता को देखते हुए पिछले मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तावित कार्यों के लक्ष्य को 816 करोड़ से बढ़ाकर 1 हजार 2 करोड़ कर दिया गया था किंतु इस वर्ष जिप व जिला  रोगायो विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रारूप में केवल 711 करोड़ के कार्यों का प्रस्ताव रखा गया है। जिससे गत वर्ष की तुलना में आगामी वर्ष मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी जा सकती है। वर्ष 2021-22 के दौरान भी जिप निर्धारित कार्यों का केवल 53 प्रतिशत तक ही पूरा कर सकी है। अमरावती जिले में वर्ष 2021-22 के दौरान डेढ़ लाख मजदूरों को मनरेगा अंतर्गत 100 दिनों का रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन पिछले 11 महीने में 100 दिनों का रोजगार पानेवाले मजदूरों की संख्या केवल 61 हजार रह गई है। 

जबकि 38 हजार मजदूरों को 70 दिन या उससे अधिक दिनों का कार्य सौंपा गया है। कोरोना की तीसरी लहर के दौरान मनरेगा के मजदूरोें के पास काम की कोई कमी नहीं थी किंतु काेराेना की लहर थमते ही मजदूरों के हाथ खाली हाेने लगे हैं। संपूर्ण  वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक केंद्र व राज्य सरकार की ओर से मनरेगा की जिस 1 हजार 2 करोड़ की निधि को मंजूरी दी गई थी। इसमें से केवल 680 करोड़ रुपए के काम ही पूरे किए जा सके हैं जबकि निधि न मिल पाने के कारण अधिकत्तर कार्य प्रलंबित है। 

आगामी वर्ष के लिए मनरेगा का बजट घटने की वजह से ग्रामीण क्षेत्र में होने वाले कार्यों की गति अधिक प्रभावित हो सकती है। अमरावती जिले में अब तक मनरेगा के तहत सबसे सर्व श्रेष्ठ प्रदर्शन वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान देखा गया। जब मनरेगा के तहत  1 लाख 15 हजार मजदूरों को 100 दिन का काम उपलब्ध कराया गया था जबकि 83 हजार मजदूरों को 70 से अधिक दिनों का रोजगार प्राप्त हुआ था। इस समय प्रस्तावित बजट से 40 प्रतिशत अधिक राशि का उपयोग मनरेगा के तहत हुए कार्यों में किया गया। 

पलायन की बढ़ेगी समस्या : मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों का सबसे अधिक लाभ मेलघाट के मजदूरों को प्राप्त होता है। मेलघाट के नागरिक बड़ी संख्या में पलायन भी करते हैं। मनरेगा का काम कम हो जाने से पलायन की समस्या और भी गंभीर हो सकती है। 

केंद्र पर होती है निर्भरता 

श्रीराम लंके, जिला रोगायो अधिकारी के मुताबिक मनरेगा का बजट केंद्र सरकार के अधीन रहता है। इसीलिए केंद्र द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों के तहत ही यह प्रस्ताव तैयार किए जाते हैं। 


 

Created On :   6 Feb 2022 6:36 PM IST

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