- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- खंडपीठ के सामने होगी देशमुख मामले...
खंडपीठ के सामने होगी देशमुख मामले की सुनवाई, परमबीर को 4 अक्टूबर तक राहत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की ओर से मनी लांड्रिग से जुड़े मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से जारी किए गए समन को रद्द किए जाने की मांग से जुड़े आवेदन पर खंडपीठ (दो न्यायमूर्ति की पीठ) के सामने सुनवाई होगी। मंगलवार को न्यायमूर्ति एस.के शिंदे ने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट प्रशासन (रजिस्ट्री) की ओर से उठाई गई आपत्ति सही है। हाईकोर्ट रजिस्ट्री की ओर से जारी एक टिप्पणी (नोट) के मुताबिक इस आवेदन पर सुनवाई खंडपीठ के सामने होनी चाहिए। पिछली सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एकल न्यायमूर्ति एसके शिंदे को इस टिप्पणी की जानकारी दी थी। इस पर न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा था कि पहले वे कोर्ट रजिस्ट्री की ओर से उठाई गई आपत्ति को निपटाएगे। इसके बाद आवेदन पर सुनवाई करेंगे। इसके तहत न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा कि इस आवेदन पर खंडपीठ के सामने सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति ने कोर्ट रजिस्ट्री को खंडपीठ के सामने देशमुख के आवेदन को सुनवाई के लिए रखने का निर्देश दिया है। वहीं पिछली सुनवाई के दौरान देशमुख की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी व अधिवक्ता अनिकेत निकम ने दावा किया था कि एकल न्यायाधीश के पास इस आवेदन पर सुनवाई करने का अधिकार है। किंतु न्यायमूर्ति शिंदे ने इस मामले में कोर्ट रजिस्ट्री की आपत्ति को सही माना है। गौरतलब है कि आवेदन में ईडी के समन को रद्द करने के अलावा देशमुख ने कोर्ट से आग्रह किया है कि इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल(एसआईटी) का गठन किया जाए। जिसमें मुंबई के बाहर के ईडी के अधिकारियों को शामिल किया जाए। आवेदन में देशमुख ने कोर्ट से निवेदन किया है कि ईडी को आनलाइन (इलेक्ट्रानिक मोड) तरीके से मेरे बयान दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। आवेदन में देशमुख ने कहा है कि ईडी की ओर से उन्हें समय-समय पर जारी किए गए समन को रद्द किया जाए। ईडी अब तक देशमुख पांच समन जारी कर चुकी है लेकिन देशमुख एकबार भी ईडी के कार्यालय में प्रत्यक्ष रुप से उपस्थित नहीं हुए है।
पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को मिली राहत 4 अक्टूबर तक जारी रहेगी
बांबे हाईकोर्ट ने जाति उत्पीड़न से जुड़े मामले में आरोपी पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त को गिरफ्तारी से मिली राहत को 4 अक्टूबर 2021 तक बरकरार रखा है। समयाभाव के चलते मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। जिसके चलते न्यामूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई को स्थगित कर दिया। सिंह ने कोर्ट में याचिका दायर कर खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आग्रह किया है। अकोला में तैनाती के दौरान पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे ने साल 2015 की एक घटना को लेकर सिंह के खिलाफ जाति उत्पीड़न की (एट्रासिटी) की शिकायत दर्ज कराई है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील जेपी याज्ञनिक ने कहा कि सरकार की ओर से सिंह के खिलाफ कार्रवाई न करने के आश्वासन को 4 अक्टूबर तक जारी रखा जाएगा। इससे पहले सिंह की ओर से पैरवी कर वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने खंडपीठ से सिंह को मिली राहत जारी रखने का आग्रह किया।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शुक्ला की मिली राहत रहेगी कायम
इसी तरह खंडपीठ ने पुलिस महकमे में पुलिसकर्मियों की तैनाती व तबादले से जुड़े मामले को लेकर कथित तौर पर रिपोर्ट लीक करने व फोन टैपिंग से जुड़े के मामले को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट पहुंची वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला को कड़ी कार्रवाई से मिली अतंरिम राहत को भी 4 अक्टूबर तक कायम रखा है। राज्य सरकार ने कोर्ट ने आश्वस्त किया है कि वह इस मामले में फिलहाल शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई नही करेंगी।
सीआईडी ने पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त सिंह के खिलाफ वारंट तामील कराने पुलिस से मांगी मदद
उधर परमबीर सिंह तक जमानती वारंट पहुंचाने के लिए महाराष्ट्र अपराध अन्वेषण ब्यूरो (सीआईडी) ने मलबार हिल पुलिस स्टेशन से मदद मांगी है। सीआईडी के पुलिस अधीक्षक मारुति जगताप की ओर से सोमवार को मलबार हिल पुलिस स्टेशन को मदद के बारे में पत्र लिखा गया। बता दें कि मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह का घर मलबार पुलिस स्टेशन की हद में आता है। पत्र में वारंट सिंह के घर पहुंचाने के लिए दो पुलिसकर्मियों की मांग की गई है। सिंह चंडीगढ में हो सकते हैं ऐसे में अगर मलबार हिल स्थित घर पर वे नहीं मिले तो वारंट लेकर एक टीम चंडीगढ भी भेजी जा सकती है। बता दें कि सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भेजकर राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। आरोपों की जांच के लिए राज्य सरकार ने एक सदस्यीय चांदीवाल आयोग का गठन किया है। बार-बार समन भेजे जाने के बावजूद जब सिंह बयान दर्ज कराने आयोग के सामने पेश नहीं हुए तो उन पर दो बार 25-25 हजार और एक बार 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। इसके बाद आयोग ने 7 सितंबर को जमानती वारंट जारी कर दिया। वारंट अमल के लिए राज्य सीआईडी के पास भेजा गया है। जिसे सिंह तक पहुंचाने के लिए सीआईडी ने मलबार हिल पुलिस स्टेशन से मदद मांगी है। अगर जमानती वारंट मिलने के बावजूद सिंह आयोग के सामने पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामला : जांच एनआईए को सौपने के विरोध में दायर याचिका पर राज्य सरकार नहीं दायर करेंगी जवाब
वहीं राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वह भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौपने को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर जवाब नहीं देगी। इस बारे में आरोपी सुरेंद्र गडलिंग व सुधीर धवले ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। गौरतलब है कि पुणे पुलिस से इस मामले की जांच एनआईए को सौपी गई है। जिसे दोनों आरोपियों ने अधिवक्ता सतीश तलेकर व माधवी अयप्पन के मार्फत याचिका दायर कर चुनौती दी है। याचिका में दावा किया गया है कि मामले में आरोपपत्र दायर करने के बाद प्रकरण की जांच एनआईए को सौपी गई है। यह नियमों के विपरीत है। मंगलवार को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सरकारी वकील अरुणा पई ने कहा कि राज्य सरकार गडलिंग व धवले की ओर से दायर की गई याचिका पर कोई जवाब नहीं दायर करेगी। सरकारी वकील को ओर से दी गई इस जानकारी पर हैरानी जाहिर करते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता तलेकर ने इस पर हैरानी जाहिर की। और इसे रिकार्ड में लेने का आग्रह किया। किंतु खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 27 सितंबर 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है।
हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद रोजना मिलेगे जल के दस टैंकर
वहीं बांबे हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद महीने में दो बार सिर्फ दो घंटे पानी पानेवाले ठाणे जिले के कांबे गांव को अब रोजाना पानी के दस टैंकर भेजे जा रहे है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद गांव में टैंकर के जरिए पानी भेजने की दिशा में कदम उठाया गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि आजादी के 75 साल बाद पानी के लिए लोगों का अदालत खटखटाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले से जुड़ी याचिका के जवाब में दायर हलफनामे के जरिए सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि दस सितंबर 2021 से इलाके में पानी के रोजना दस टैंकर भेजे जा रहे है। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने न्यायमूर्ति एस.जे काथावाला की खंडपीठ के सामने हलफनामा रखा है। जिसमें गांव में पानी की आपूर्ति व्यवस्थित करने के लिए उठाए जानेवाले कदमों की जानकारी दी गई है।
रद्द हुए उपभोक्ता फोरम में जजों की नियुक्ति के नियम
उधर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने केंद्र सरकार के उपभोक्ता संरक्षण नियम 2020 को रद्द करके 4 सप्ताह में नए नियम बनाने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता एड. महेंद्र लिमये की याचिका पर सुनवाई के बाद न्या. सुनील शुक्रे और न्या. अनिल किल्लोर की खंडपीठ ने यह निर्णय दिया है। नागपुर खंडपीठ ने उक्त नियमों को असंवैधानिक करार देते हुए इन्हें समानता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला माना है और इन नियमों के तहत आयोजित की गई नियुक्ति प्रक्रिया को भी खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार द्वारा 2 फरवरी 2021 को जारी नोटिफिकेशन को भी चुनौती दी थी, जिसके तहत राज्य उपभोक्ता फोरम और जिला उपभोक्ता फोरम में कुल 33 जजों की नियुक्ति की जा रही थी। पूर्व में हाईकोर्ट ने इस मामले में यह कह कर आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में जजों के पद भरने को कहा था। ऐसे में याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली थी। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि नागपुर खंडपीठ में विचाराधीन उपभोक्ता फोरम से संबंधित याचिका पर नागपुर खंडपीठ गुणवत्ता के आधार पर फैसला सुना सकती है। सर्वोच्च न्यायालय के किसी आदेश की इस पर रोकटोक नहीं है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
Created On :   14 Sept 2021 8:18 PM IST