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देशमुख के खिलाफ दर्ज FIR रद्द कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंची राज्य सरकार, चौथी बार ईडी के समन पर नहीं हुए पेश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी सरकार पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार ने मुंबई हाईकोर्ट से सीबीआई द्वारा देशमुख के खिलाफ दर्ज एफआईआर में से कुछ पैराग्राफ हटाने की गुहार लगाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की मांग को ठुकरा दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दाखिल राज्य सरकार की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। देशमुख के खिलाफ दर्ज एफआईआर में सीबीआई ने कहा है कि सचिन वाझे को पुलिस महकमें में लेने और पुलिस अधिकारियों के तबादले में पूर्व गृहमंत्री की भूमिका थी। इन दो मुद्दों को एफआईआर में से हटाने के लिए राज्य सरकार ने मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि ये दोनों मुद्दे मंत्रालय और प्रशासकीय कार्यवाही का हिस्सा है। इसलिए एफआईआर में इन मुद्दों को शामिल करके सीबीआई जान-बूझकर जांच करना चाहती है। इतना ही नहीं मविआ सरकार को अस्थिर करने के लिए ही सीबीआई ने देशमुख के खिलाफ मामला दर्ज किया है। महाराष्ट्र सरकार के वकील सचिन पाटील ने बताया कि मुंबई हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने आज स्वीकार किया है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका का दिया हवाला
राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख चौथी बार भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश नहीं हुए। देशमुख के वकील इंदरपाल सिंह उनका जवाब लेकर दक्षिण मुंबई स्थित ईडी के ऑफिस पहुंचे। पत्र में देशमुख ने ईडी पर आरोप लगाया है कि उसने मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट में कोर्ट में उनकी अर्जी पर सुनवाई से ठीक पहले जानबूझकर यह समन भेजा है जिससे उनके खिलाफ पूर्वाग्रह तैयार किया जा सके और मीडिया इसे उसकी ओर से जांच में असहयोग बताकर सनसनीखेज तरीके से पेश करे।
देशमुख ने पत्र में लिखा है कि वे कानून का पालन करने और मामले की जांच में पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन जांच न सिर्फ निष्पक्ष होनी चाहिए बल्की दिखनी भी चाहिए। देशमुख ने कहा कि वे ऑडियो/विजुअल माध्यम से अब भी अपना बयान दर्ज करने के लिए तैयार हैं लेकिन उन्हें कम से कम ईडी द्वारा दर्ज ईसीआईआर की प्रति या उन दस्तावेजों की सूची दी जाए जो मुझसे मंगाए गए हैं। देशमुख ने कहा कि कोर्ट के निर्देश के मुताबिक वे मामले में जांच एजेंसी को पूरा सहयोग करेंगे।
पारदर्शिता बनाए रखे ईडी
उन्होंने आगे लिखा है कि देश की स्तरीय जांच एजेंसी होने के चलते ईडी को पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए। देशमुख के अलावा उसके बेटे ऋषिकेश को भी ईडी ने पूछताछ के लिए समन भेजा था लेकिन वे भी जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए। मुंबई के रेस्टारेंट और बारों से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली के मामले में दर्ज सीबीआई की एफआईआर के आधार पर ईडी ने देशमुख के खिलाफ मनी लांडरिंग के आरोप में ईसीआईआर दर्ज कर छानबीन शुरू की है। मामले में ईडी देशमुख के निजी सचिव और निजी सहायक को गिरफ्तार कर चुकी है उनकी चार करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति भी जब्त की जा चुकी है। मामले में राहत के लिए देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी है। देशमुख के वकील ने ईडी को बताया कि मामले की सुनवाई के लिए देशमुख दिल्ली में हैं।
Created On :   2 Aug 2021 8:07 PM IST