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नागपुर अधिवेशन में हिस्सा नहीं ले सकेंगे देशमुख, सीबीआई कार्यालय में लगानी होगी हाजरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की जमानत पर रिहाई का रास्ता भले साफ हो गया है लेकिन बांबे हाईकोर्ट की ओर से जमानत के साथ लगाई गई शर्तों के चलते राकांपा नेता देशमुख नागपुर में जारी अधिवेशन में शामिल नहीं हो पाएंगे। देशमुख की ओर से हाईकोर्ट में पक्ष रखनेवाले अधिवक्ता अनिकेत निकम बताया कि जमानत की शर्तों के तहत मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक देशमुख को मुंबई में ही रहना होगा। इस लिहाज से देशमुख नागपुर में जारी विधानमंडल के अधिवेशन में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। 12 दिसंबर 2022 को जमानत देते समय हाईकोर्ट ने देशमुख को अपना पासपोर्ट जमा करने के साथ ही सीबीआई के साथ जांच में सहयोग करने व सीबीआई के कार्यलाय में हाजरी लगाने का भी निर्देश दिया है।
वाझे का बयान भरोसे लायक नहीं
जमानत से जुड़े अपने 16 पन्नों के आदेश में न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक ने कहा है कि मामले में सरकारी गवाह बने बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाझे की पृष्ठभूमि के मद्देनजर उसके बयान पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। वाझे के बयान की प्रामाणिकता को मुकदमे की सुनवाई के दौरान परखा जाएगा। इसके अलावा देशमुख वर्तमान में गृहमंत्री नहीं है इसलिए उनके द्वारा मामले की जांच को प्रभावित करने की भी संभावना नहीं है।
न्यायमूर्ति ने कहा कि सीबीआई को आरोपी(देशमुख) को जेल में रखने की कीमत पर जांच करने की छूट नहीं दी जा सकती है। न्यायमूर्ति ने कहा कि आरोपी की समाज में जड़े है। उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। आरोपी पर जिन धाराओं के तहत आरोप है उसमें आजीवन कारावास अथवा मृत्युदंड की बजाय सिर्फ सात साल के कारावास की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा इस मामले से जुड़े मुकदमे की सुनवाई में विलंब होगा। इसलिए आरोपी को जमानत दी जाती है। न्यायमूर्ति ने अपने आदेश में देशमुख की सेहत का भी संज्ञान लिया है। इसके अलावा इस मामले से जुड़े मुकदमे की सुनवाई में विलंब होगा। इसलिए आरोपी को जमानत दी जाती है।
Created On :   27 Dec 2022 10:01 PM IST