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पूरक पोषण आहार योजना खटाई में, चार माह से नहीं मिला अनुदान, जेब से खर्च कर रहा स्कूल प्रबंधन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार ने अकालग्रस्त क्षेत्र में विद्यार्थियों को पूरक पोषण आहार योजना शुरू की है। इस योजना का पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को लाभ दिया जा रहा है। चार महीने से इस योजना का अनुदान नहीं मिला है। मुख्याध्यापक अपनी जेब से खर्च कर विद्यार्थियों को पूरक पोषण-आहार आपूर्ति कर रहे हैं। सरकार ने योजना ताे शुरू कर दी, लेकिन अनुदान नहीं मिलने से योजना उधार पर चल रही है।
पेंच में फंसे मुख्याध्यापक
पिछले वर्ष अकालग्रस्त घोषित किए गए गांवों में गर्मी की छुट्टी के दौरान विद्यार्थियों को पूरक पोषण-आहार आपूर्ति की सरकार ने योजना बनाई। अकालग्रस्त घोषित होने से नागपुर जिले की हिंगना, उमरेड, काटोल और कलमेश्वर तहसीलों इस योजना के िलए चयन िकया गया। गर्मी की छुट्टियों में विद्यार्थी स्कूल नहीं जाने से पोषण-आहार नहीं दिया जा सका, इसलिए स्कूल खुलने के बाद सप्ताह में नियमित पोषण-आहार के साथ सप्ताह में 3 दिन पूरक पोषण-आहार के रूप में दूध, अंडे और फल देने का निर्णय लिया गया। इस पर प्रतिदिन प्रति विद्यार्थी 5 रुपए अनुदान देय है। स्कूल शुरू होकर एक सत्र समाप्त हो गया है। मुख्याध्यापक अपनी जेब से पूरक पोषण-आहार का खर्च कर रहे हैं। सरकार से अनुदान की फूटी कौड़ी नहीं मिली है। मुख्याध्यापकों पर विद्यार्थियों काे पूरक पोषण-आहार देना अनिवार्य किया गया है। इसमें चूक जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटक रही है। वेतन की रकम परिवार के पालन-पोषण पर लगाए या पूरक पोषण-आहार पर खर्च करें, इस पेंच में मुख्याध्यापक फंसे हुए हैं।
सरकार की मानसिकता नहीं
पूरक पोषण-आहार के अतिरिक्त नियमित पाेषण-आहार के इंधन और सब्जी के लिए देय अनुदान भी नहीं मिला है। योजना चलाने में सरकार की मानसिकता नहीं रहने की भावना मुख्याध्यापकों में पनप रही है।
सरकार की कार्यप्रणाली से असंतोष
नियमित तथा पूरक पोषण-आहार योजना की निधि उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। मुख्याध्यापकों के कंधों पर जिम्मेदारी डालकर महीनों तक अनुदान का भुगतान नहीं किया जा रहा है। मुख्याध्यापक अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं। सरकार योजना चलाने में समर्थ नहीं है, तो बंद कर देनी चाहिए, मुख्याध्यापकों पर व्यर्थ बोझ डाला जा रहा है। सरकार की लचर कार्यप्रणाली से मुख्याध्यापकों में असंतोष है।
मुख्याध्यापकों का वेतन सरकारी कोषागार नहीं
अकालग्रस्त क्षेत्र में नियमित और पूरक पोषण-आहार का अनुदान 4-4 महीने नहीं िकया जाना बड़ी दु:खद है। मुख्याध्यापकों की जेब पर खर्च का बोझ डालने के िलए मुख्याध्यापकों का वेतन सरकारी कोषागार नहीं है।
लीलाधर ठाकरे, जिलाध्यक्ष, महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षक समिति
Created On :   11 Nov 2019 1:46 PM IST