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कोरोना के कोहराम से नेचर री-क्लेम की थ्योरी पर शुरू हुई चर्चा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना वायरस ने लोगों को घरों में रोक दिया है। इसके साथ ही दुनिया भर में नेचर री-क्लेम की थ्योरी पर चर्चा शुरू हो गई है। विभिन्न प्रकार की मानवीय गतिविधियों के रुकने से प्रकृति पुराने रूप में लौट रही है। नागपुर के भी लोगों ने वाहनों से खाली सड़कों और लाोगों से खाली बाजार के कारण रविवार को शोर नहीं चिड़ियों की चहचहाहट सुनी। एक दिन पूरी तरह बंद रहे गतिविधियों के कारण शहर के प्रदूषण स्तर में भी कमी दर्ज की गई। भास्कर डॉट काम ने शहर के पर्यावरणविदों से जानी उनकी राय।
सबकी जरूरत पूरी हो सकती है, लालच नहीं
जनता कर्फ्यू ने लोगों को सोचने का मौका दिया है कि प्रकृति में मानव अन्य जीवों के साथ सहअस्तित्व में जी रहा है। पृथ्वी पर उसका एकाधिकार नहीं है। लोगों को प्रकृति के साथ जीने पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। मानव अपने को कितना भी शक्तिशाली मान ले, लेकिन प्रकृति के नियमों की अवहेलना उन्हें इस मुकाम पर ला खड़ा करती है, जब उन्हें वायरस से भयभीत होना पड़ रहा है। चाहे कोरोना हो कैंयर जैसी अन्य भयावह बीमारियां, अधिकतर मनुष्यों के प्रकृति में अनचाहे दखल का परिणाम है। गांधी जी ने कहा था कि प्र्रकृति के पास इतना है जिससे सबकी जरूरत पूरी हो सकती है लेकिन लालच की नहीं।
-डॉ. जयदीप दास, पर्यावरणविद व मानद वन्यजीव वार्डन
नेचर कर सकता है क्वारंटाइन का फैसला
बढ़ते मानवीय दखल से प्रकृति का सहजीवन नष्ट होता जा रहा है। बढ़ते कांक्रीट के जंगलों ने पेड़ों और हरियाली को समाप्त कर दिया है। ऐसे में प्रकृति क्वारंटाइन का फैसला कर सकती है। स्थिति उसी का उदाहरण है। यह समय लोगों के लिए रुककर सोचने का है। हम जिस मुकाम पर हैं अगर तत्काल सुधार के लिए कदम नहीं उठाते हैं, तो परेशानी और भयावह हो सकती है। -डॉ. अभीक घोष, पर्यावरण प्रेमी
प्रदूषण स्तर में कमी
औद्योगिक इकाइयों, बाजार, निर्माणकार्य और यातायात के बंद रहने के कारण शहर के प्रदूषण स्तर में निश्चित तौर पर आई आई है। लोगों ने आज शोर की जगह चिड़ियों की आवाजें सुनीं। मनुष्य पेड़ों से लेकर पशु पक्षियों तक की जगह छीनते जा रहे हैं। प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। यह मौका है, जब लोगों को अपनी जीवनशैली पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और प्रकृति में संतुलन को फिर वापस लाने के उपायों पर विचार करना चाहिए।
-लीना बुधे, संस्टेनेबल डेवलपमेंट
Created On :   23 March 2020 3:56 PM IST