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महिलाओं को मुआवजा न दिए जाने से नाराजगी, अदालत ने लालफीताशाही को बताया बड़ी समस्या
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सेप्टिक टैंक में साफई के दौरान जान गंवानेवाले तीन मजदूरों की विधवा पत्नियों को मुआवजे के रुप में दस लाख रुपए की पूरी रकम न देने को लेकर नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि इसके लिए लालफीताशाह जिम्मेदार है। कोर्ट ने कहा कि यदि अदालत ने 17 सितंबर 2021 को चार सप्ताह के भीतर मुआवजा देने का आदेश जारी किया था तो शीघ्रता से यह मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए था। लेकिन लालफीता शाही के चलते ऐसा नहीं हो सका है। शुक्रवार को अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ के सामने मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान मजदूर की विधवा पत्नियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ईशा सिंह ने कहा कि कोर्ट ने हाथ से मैला उठाने की प्रथा के जारी होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार को मजूदरों की विधवा पत्नियों को दस-दस लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया था लेकिन अब तक उन्हें मुआवजे का पूरे पैसे नहीं मिल पाए है।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने कहा कि मजदूरों के परिजनों को अंतरिम मुआवजा दिया गया है। मुआवजे को मुआवजे की रकम को एक सप्ताह के भीतर दे दिया जाएगा। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 18 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि याचिका में महिलाओं ने दावा किया था कि उनके पति हाथ से मैला ढोने के कार्य से जुड़े थे और मुंबई के गोवंडी इलाके में स्थिति एक निजी हाउसिंग सोसायटी के सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान दिसंबर 2019 में उनकी मौत हो गई थी। तीन महिलाओं ने सरकार की ओर से प्रोहिबिशन आफ इम्पालॉयमेंट मैन्युअल एक्साकावेंजिंग एंड रिहैबिलिटेसन अधिनियम 2013 के तहत मुआवजे की मांग की थी।
Created On :   12 Nov 2021 8:33 PM IST