मेट्रो कारशेड की जमीन का विवाद : राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में किया यह दावा

Dispute of Metro Carshed land: State Government claims this in High Court
मेट्रो कारशेड की जमीन का विवाद : राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में किया यह दावा
मेट्रो कारशेड की जमीन का विवाद : राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में किया यह दावा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट में दावा किया है कि मेट्रो कारशेड के लिए निर्धारित की गई कांजुरमार्ग की 102 एकड़ जमीन का मालिकाना हक उसके पास है। राजस्व रिकार्ड में इस जमीन के महाराष्ट्र सरकार के होने का उल्लेख है। हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर केंद्र सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने अवैध तरीके से मेट्रो के कारशेड की जमीन का स्थनांतरण अपने तरीके से किया है। क्योंकि जमीन का स्वामित्व केंद्र सरकार के पास है। यह जमीन पहले खार जमीन(साल्टपेंट लैंड) थी। जिसका कब्जा केंद्र सरकार के पास था। याचिका में मांग की गई है कि 102 एकड़ जमीन केंद्र सरकार को लौटाई जाए। और इसे स्थनांतरित करने से जुड़े आदेश को रद्द किया जाए। याचिका के मुताबिक मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने एक आवेदन में माना है कि जमीन का मालिकाना हक केंद्र सरकार के पास है। यही नहीं प्राधिकरण ने जमीन के लिए बजारभाव से मुआवजा देने की भी पेशकस की थी। पहले मेट्रोकारशेड आरे में बनना था बाद में इससे जुड़े निर्णय में बदलाव किया गया है।

बुधवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने दावा किया कि राजस्व रिकार्ड दर्शाते है कि कांजुरमार्ग की जमीन का मालिकाना हक काफी पहले से राज्य सरकार के पास है। इसलिए जमीन को मेट्रो कारशेड के लिए स्थनांतरित किए जाने निर्णय वैध है। जहां तक बात एमएमआरडीए के आवेदन के आधार पर किए गए दावे की है तो वह आधारहीन है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यह मामला संपत्ति के मालिकाना हक से जुड़ा है। इसलिए क्यों न इसका निपटारा सिविल कोर्ट में हो, क्योंकि मामले से जुड़े तथ्य विवादित प्रतीत होते है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 11 दिसंबर 2020 तक के लिए स्थगित कर दी है। 

 

Created On :   9 Dec 2020 4:28 PM GMT

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