डॉक्टर उदय बोधनकर ने दैनिक भास्कर को बताया कि आपात स्थिति में दम तोड़ रहे बच्चे की जान बचाई जा सकती है। यह प्रयोग किस्मत से नई जिन्दगी मिलने जैसा है।
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- Dr Bodhankar gifted a baby dummy to Daga Hospital, know how it is trained
आपात स्थिति में बच्चों को जीवनदान: डॉ बोधनकर ने डागा अस्पताल को गिफ्ट किया बेबी डमी, जानिए-कैसे होती है ट्रेनिंग
डिजिटल डेस्क,नागपुर। उपराजधानी में बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और आपात स्थिति में उनके बचाव को लेकर जाने-माने डॉक्टर उदय बोधनकर अपनी ओर से हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। इसकी ताजा कड़ी में डॉक्टर उदय बोधनकर ने डागा मेमोरियल सरकारी महिला अस्पताल को अमेरिका में निर्मित बेबी डमी (सीपीआर पुतला) गिफ्ट किया है। इस लार्डेल जूनियर रेसुसी डमी की कीमत 1.5 लाख रूपए बताई गई है। इस खास मौके पर अस्पताल अधीक्षक डॉ सीमा परवेकर एवं विभागाध्यक्ष बाल रोग एवं एससीएनयू प्रभारी डॉ विनीता जैन को बेबी डमी सौंपी गई। जिसे लेकर मेडिकल से जुड़ी पूरी टीम ने डॉक्टर बोधनकर का आभार जताया।


डॉक्टर बोधनकर की पहल पर साल 1988 के दौरान संतरानगरी में पहली बार खास तरह का प्रयोग किया गया था, जो एक ट्रेनिंग सैशन था। उस दौरान शिकागो से भारत आए डॉक्टर धर्मपुरी विद्यासागर ने इसकी ट्रेनिंग दी थी।

तब मेडिकल अस्पताल के एचओडी एम.एस रावत हुआ करते थे। अपने आप में यह पहला प्रयोग था, जिसमें आपात स्थिति के दौरान बच्चे की जान कैसे बचाई जा सके, इसकी ट्रेनिंग दी गई थी।

ट्रेनिंग सैशन के दौरान खास तौर से अतिरिक्त सिविल सर्जन डॉ नितिन गुलहाने और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुलभा, काउंसलर संजीवनी सातपुते भी उपस्थित थीं। डागा मेमोरियल राजकीय महिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए डॉ. उदय बोधनकर के मार्गदर्शन में सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ।
अब बेबी डमी का उपयोग सीपीआर - कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण देने के लिए किया जाएगा। जो अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों, स्टाफ नर्सों और हेल्थकेयर वर्कर्स को ट्रेंड किया जाएगा।

कैसे दी जाती है ट्रेनिंग
सीपीआर प्रशिक्षण यह मिशन सिखाता है कि कार्डियक अरेस्ट जैसी आपातकालीन स्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया करें।

जैसे पहले मुह से फेंफड़ों में पंप करने का चलन था, जो अब एक नलीका और एयर पंप के माध्यम से दिया जा सकता है।

दौनो हथेलियों से हृदय को झटके से सुचारू करने का प्रयार

बच्चे की छाती पर उंगली रखकर उसे पंप कराने की कोशिश, सीपीआर डमी से छाती में पंपिंग करना बताया जाता है।

सीपीआर प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा, रक्तस्राव नियंत्रण, चोकिंग उपचार, एपिनेफ्रीन ऑटो-इंजेक्टर के उपयोग और नालोक्सोन के उपयोग का भी निर्देश देता है।
जब तक कि रोगियों को उचित देखभाल नहीं मिल पाती, सीपीआर अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है
ये कुछ मिनट में मरीज के परिणाम और जीवित रहने में काफी अंतर ला सकते हैं।

भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।