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डॉ बोधनकर ने डागा अस्पताल को गिफ्ट किया बेबी डमी, जानिए-कैसे होती है ट्रेनिंग
डिजिटल डेस्क,नागपुर। उपराजधानी में बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और आपात स्थिति में उनके बचाव को लेकर जाने-माने डॉक्टर उदय बोधनकर अपनी ओर से हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। इसकी ताजा कड़ी में डॉक्टर उदय बोधनकर ने डागा मेमोरियल सरकारी महिला अस्पताल को अमेरिका में निर्मित बेबी डमी (सीपीआर पुतला) गिफ्ट किया है। इस लार्डेल जूनियर रेसुसी डमी की कीमत 1.5 लाख रूपए बताई गई है। इस खास मौके पर अस्पताल अधीक्षक डॉ सीमा परवेकर एवं विभागाध्यक्ष बाल रोग एवं एससीएनयू प्रभारी डॉ विनीता जैन को बेबी डमी सौंपी गई। जिसे लेकर मेडिकल से जुड़ी पूरी टीम ने डॉक्टर बोधनकर का आभार जताया।
सीपीआर प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा, रक्तस्राव नियंत्रण, चोकिंग उपचार, एपिनेफ्रीन ऑटो-इंजेक्टर के उपयोग और नालोक्सोन के उपयोग का भी निर्देश देता है।
जब तक कि रोगियों को उचित देखभाल नहीं मिल पाती, सीपीआर अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है
ये कुछ मिनट में मरीज के परिणाम और जीवित रहने में काफी अंतर ला सकते हैं।
बच्चे की छाती पर उंगली रखकर उसे पंप कराने की कोशिश, सीपीआर डमी से छाती में पंपिंग करना बताया जाता है।
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जैसे पहले मुह से फेंफड़ों में पंप करने का चलन था, जो अब एक नलीका और एयर पंप के माध्यम से दिया जा सकता है।
कैसे दी जाती है ट्रेनिंग
सीपीआर प्रशिक्षण यह मिशन सिखाता है कि कार्डियक अरेस्ट जैसी आपातकालीन स्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया करें।
ट्रेनिंग सैशन के दौरान खास तौर से अतिरिक्त सिविल सर्जन डॉ नितिन गुलहाने और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुलभा, काउंसलर संजीवनी सातपुते भी उपस्थित थीं। डागा मेमोरियल राजकीय महिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए डॉ. उदय बोधनकर के मार्गदर्शन में सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ।
अब बेबी डमी का उपयोग सीपीआर - कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण देने के लिए किया जाएगा। जो अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों, स्टाफ नर्सों और हेल्थकेयर वर्कर्स को ट्रेंड किया जाएगा।
तब मेडिकल अस्पताल के एचओडी एम.एस रावत हुआ करते थे। अपने आप में यह पहला प्रयोग था, जिसमें आपात स्थिति के दौरान बच्चे की जान कैसे बचाई जा सके, इसकी ट्रेनिंग दी गई थी।
डॉक्टर बोधनकर की पहल पर साल 1988 के दौरान संतरानगरी में पहली बार खास तरह का प्रयोग किया गया था, जो एक ट्रेनिंग सैशन था। उस दौरान शिकागो से भारत आए डॉक्टर धर्मपुरी विद्यासागर ने इसकी ट्रेनिंग दी थी।
डॉक्टर उदय बोधनकर ने दैनिक भास्कर को बताया कि आपात स्थिति में दम तोड़ रहे बच्चे की जान बचाई जा सकती है। यह प्रयोग किस्मत से नई जिन्दगी मिलने जैसा है।
Created On :   28 Jan 2022 12:22 AM IST