आर्थिक स्थिति के चलते पालक नहीं दिला सके मोबाइल, ऑफलाइन के लिए नहीं हैं शिक्षक

Due to financial situation, parents could not get mobile
आर्थिक स्थिति के चलते पालक नहीं दिला सके मोबाइल, ऑफलाइन के लिए नहीं हैं शिक्षक
आर्थिक स्थिति के चलते पालक नहीं दिला सके मोबाइल, ऑफलाइन के लिए नहीं हैं शिक्षक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आर्थिक हालात के सामने मजबूर पालक बच्चों को मोबाइल ही उपलब्ध नहीं करा सके, दूसरी ओर शिक्षकों को कोरोना ड्यूटी पर लगाया गया है जिसके चलते ऑफलाइन शिक्षा का भी विद्यार्थी लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। मनपा स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चों को कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है। जून महीने से मनपा स्कूलों में पढ़ने वाले तीसरी कक्षा से बारहवीं कक्षा के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। जबकि हकीकत यह है कि आधे बच्चों के पास एंड्राइड मोबाइल ही नहीं है। जिनके पास मोबाइल नहीं है, उनके लिए ऑफलाइन शिक्षा की व्यवस्था किए जाने का दावा किया जा रहा है। इस दावे की भी पोल खुलने लगी है। 

एक नजर आंकड़ों पर भी 

मनपा द्वारा 157 स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। इनमें 128 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों का समावेश है। इनके अलावा 29 माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूल हैं। इन स्कूलों में 1938 बच्चे दसवीं व बारहवीं की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनमें दसवीं के बच्चों की संख्या 1723 और बारहवीं के बच्चों की संख्या 215 है। सभी स्कूलों में मिलाकर पहली से बारहवीं तक के कक्षा के बच्चों को मराठी, हिंदी, उर्दू व अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा दी जाती है। कुल 18,178 बच्चे मनपा स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

नहीं आता उपयोग करना

कोरोना के कारण सभी वर्ग को आर्थिक परेशानी से जूझना पड़ा है। मनपा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पालक मजदूर, गरीब वर्ग के हैं। यह लोग सुबह काम पर जाते हैं, तो शाम को ही लौटते हैं। किसी दिन काम मिलता है, किसी दिन काम नहीं मिलता। पैसे नहीं होने के कारण वे एंड्राइड मोबाइल नहीं खरीद पा रहे हैं। जिनके पास मोबाइल है, उनकी अपनी समस्याएं हैं। पालकों को मोबाइल का उपयोग करना ही नहीं आता। इसलिए उन्हें दूसरों की मदद लेनी पड़ती है। सूत्रों ने बताया कि किसी स्कूल में 100 बच्चे हैं, तो वहां के 50 बच्चों के पालकों के पास ही मोबाइल हैं। 

आर्थिक स्थिति ठीक नहीं

केस 1- हरिचंद्र हटवार मजदूरी करते हैं। उनका बेटा 9वीं कक्षा में और बेटी 10वीं कक्षा में पढ़ते हैं। दोनों मनपा स्कूल के विद्यार्थी हैं। राेज कमाना, रोज खाना ऐसा गुजारा हो रहा है। कोराेना ने उनके आर्थिक हालत और कमजोर कर दी है। जून महीने से मनपा ने ऑनलाइन शिक्षा प्रारंभ होने के कारण उन्हें जियो कंपनी का एक एंड्रायड मोबाइल खरीदना पड़ा। इसी मोबाइल से बेटा और बेटी ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। तीन महीने में उन्हें 650 का रिचार्ज करवाना पड़ता है। कभी पैसे नहीं होने पर दो-तीन दिन तक पढ़ाई नहीं हो पाती। दूसरी समस्या नेटवर्क नहीं होने की है। अचानक स्पीड कम हो जाती है, तो पढ़ाई में बाधा पैदा होती है। दोनों बच्चे हर रोज दो से तीन घंटे तक मोबाइल का उपयोग करते हैं।

आंखों पर पड़ रहा असर

केस 2- गयाचरण हजारे का छोटा बेटा 10वीं में पढ़ रहा है। उनके बड़े बेटे विनय ने बताया कि उनका भाई ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है। लेकिन इसमें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कभी नेटवर्क नहीं मिलता, तो कभी नेट पैक खत्म होने पर पढ़ाई रुक जाती है। उन्हें हर महीने 219 रुपए का नेट पैक भरना पड़ रहा है। नेटवर्क की परेशानी आने पर दूसरे के वाईफाई का उपयोग करना पड़ता है। तब काम चलता है। बच्चे चाहते हैं कि स्कूल जल्द से जल्द शुरू हो, ताकि ऑनलाइन की परेशानी से छुटकारा मिल सके। हर रोज दो घंटे मोबाइल के साथ चिपके रहना पड़ता है, इससे आंखों पर विपरीत असर पड़ने की आशंका बनी रहती है।

दूसरों के घर जाकर की पढ़ाई

केस 3- दत्तात्रय कावरे एक निजी संस्थान में कार्यरत है। उनकी बेटी 7वीं कक्षा में और बेटा 10वीं कक्षा में पढ़ रहा है। जून महीने में ऑनलाइन शिक्षा शुरू हुई, लेकिन दत्तात्रय अपने बच्चों को मोबाइल खरीदकर नहीं दे पाए। अगस्त के अंतिम सप्ताह में उसने अपने बच्चों को मोबाइल खरीदकर दिया। तब तक उसके बच्चे अपने मित्रों व सहेलियों के घर जाकर पढ़ाई करते रहे। अब दोनों बच्चे एक ही मोबाइल का उपयोग करते हैं। उसे हर महीने 199 रुपए का नेट पैक खरीदना पड़ता है। सभी को ऑनलाइन शिक्षा के चक्कर में होने वाली परेशानी से यह बच्चे भी जूझ रहे हैं। नेटवर्क, आर्थिक समस्या से इन्हें भी दो-चार होना पड़ रहा है।

कभी धीमा तो कभी नेटवर्क ही गायब

ऑनलाइन पढ़ाई का कोई समय नहीं है। मनपा के शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन ग्रुप तैयार किया है। इसमें हर स्कूल के शिक्षकों और मुख्याध्यापकों को शामिल किया गया है। ग्रुप में समन्वयक भी है। समन्वयक यह देखता है कि किस स्कूल के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा ले रहे हैं, शिक्षकों का कितना योगदान मिल रहा है। जिन पालकों के पास मोबाइल हैं, उनका ग्रुप संबंधित स्कूल ने बनाया है। इन पर शिक्षा विभाग द्वारा हर रोज शिक्षा सामग्री भेजी जाती है। इसमें शिक्षकों द्वारा निर्मित सामग्री, यू-ट्यूब पर उपलब्ध आवश्यक सामग्री आदि का समावेश होता है। हर रोज कोर्स के हिसाब से कक्षा व विषय से जुड़ी अलग-अलग सामग्री भेजी जाती है, लेकिन यह सामग्री तभी खुलेगी जब नेटवर्क होगा। बच्चों को नेटवर्क की समस्या से जूझना पड़ रहा है। कभी धीमा नेटवर्क तो कभी नेटवर्क गायब रहता है। 

ऐसा चल रहा ऑफलाइन सिस्टम

ऑनलाइन के अलावा जिनके पास मोबाइल नहीं है, ऐसे बच्चों के लिए ऑफलाइन शिक्षा व्यवस्था का दावा किया गया है। इस बारे में सूत्रों ने बताया कि शिक्षा विभाग के विशेषज्ञ शिक्षक हर सप्ताह एक वर्कशीट तैयार करते हैं। यह वर्कशीट लेकर शिक्षक अलग-अलग बस्तियों में जाते हैं। अधिकतर उन क्षेत्रों में जाते हैं जहां मनपा स्कूलों में पढ़ने वाले 5-7 बच्चे एकत्रित हो सकें। वहां किसी स्थान पर बैठकर बच्चों को पढ़ाया जाता है। वर्कशीट की जेरॉक्स दी जाती है। हर रोज अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर बच्चों को होमवर्क दिया जाता है। अगली बार कब आएंगे, यह बताया जाता है। एक बस्ती में सप्ताह में एक बार चक्कर लगता है। इस बात पर शिक्षकों की राय है कि इस समय कोरोना ड्यूटी पर मनपा के 300 से अधिक शिक्षकों को काम पर लगाया गया है। यही शिक्षक ऑफलाइन शिक्षा भी देने जा रहे हैं। सैकड़ों बच्चे दोनों तरह की शिक्षा से वंचित हैं।

वाईफाई का नहीं मिल रहा पासवर्ड

संजयनगर प्रायमरी व माध्यमिक स्कूल पूर्व नागपुर में बनने जा रही स्मार्ट सिटी परिसर में है। स्कूल में 542 प्रायमरी और करीब 1500 बच्चे हाईस्कूल में पढ़ते हैं। स्कूल के एक शिक्षक के अनुसार निर्माणाधीन स्मार्ट सिटी में फरवरी महीने में वाईफाई लगाया गया है। बताया गया था कि हर दिन दो घंटे तक लोगों को मुफ्त सेवा दी जाएगी। इसके बाद लॉकडाउन हुआ। जून महीने से ऑनलाइन शिक्षा शुरू हुई तो जिनके पास मोबाइल हैं, उन्होंने फ्री वाईफाई सेवा का लाभ उठाना चाहा, लेकिन लाभ नहीं मिल पा रहा। बताया जाता है कि वाईफाई एक्टिव होता है, लेकिन नेट शुरू नहीं हो पाता है। नेट शुरू करने के लिए पासवर्ड मांगा जाता है। लेकिन स्मार्ट सिटी प्रकल्प के किसी अधिकारी ने पासवर्ड नहीं दिया। दूसरी ओर शिक्षा विभाग ने 1938 बच्चों को टैब देने की घोषणा की थी। इस बात को तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन बच्चों को टैक नहीं मिले हैं।

शिक्षा कार्य प्रभावित हुआ है

संजय भाटी, समन्वयक शिक्षक, सर्व शिक्षा अभियान के मुताबिक मनपा स्कूलों में गरीब व मजदूर वर्ग के पालकों के बच्चे पढ़ते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती है। उनके लिए महंगे मोबाइल खरीदना संभव नहीं हाेता। जिन लोगों के पास मोबाइल है, वे ऑनलाइन शिक्षा ले रहे हैं। जिनके पास मोबाइल नहीं है, उनके लिए ऑफलाइन शिक्षा की व्यवस्था की गई है। कोरोना के कारण सभी तरह की समस्या आ चुकी है। शिक्षा कार्य भी प्रभावित हो चुका है। इसके बावजूद बच्चों को शिक्षा देने का कार्य किया जा रहा है। 
समस्याएं हल की जा रही हैं

दिलीप दिवे, सभापति, शिक्षा समिति मनपा का कहना है कि ऑनलाइन व ऑफलाइन शिक्षा व्यवस्था में जो खामियां सामने आ रही हैं, उसके अनुसार समय-समय पर बदलाव किया जा रहा है। बच्चों को टैब देने का प्रस्ताव समिति द्वारा मंजूर हो चुका है। जल्द ही इस पर अंतिम मुहर लगेगी। इसी तरह स्मार्ट सिटी में फ्री वाईफाई देने में जो समस्या आ रही है, उसे भी दूर किया जाएगा। पासवर्ड की समस्या होगी तो वह भी हल की जाएगी। कोरोना के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग सकारात्मक कार्य कर रहा है। 

Created On :   12 Oct 2020 9:16 AM GMT

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