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10 साल बाद बनीं मां, चंद घंटे में सूनी हो गई गोद, एंबुलेंस न मिलने से शिशु की मौत
डिजिटल डेस्क, अहेरी(गड़चिरोली) । मातृत्व के बिना स्त्री का जीवन अधूरा माना जाता है। कोई भी स्त्री मां बनने के बाद ही पूरी होती है। एक दंपति ने संतान की लालसा में 10 साल तक तपस्या की और जब उनके यहां नन्हा मेहमान आया तो वह भी उपचार के अभाव में चल बसा। यह दुखद घटना गड़चिरोली के अहेरी में सामने आई। मदर्स डे पर एक महिला को अपने शिशु का अंतिम संस्कार करना पड़ा।
घर में ही हुई थी डिलीवरी
जानकारी के अनुसार, अहेरी तहसील मुख्यालय से 43 कि.मी. दूर बसे तथा कमलापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत ग्राम ताटीगुड़म निवासी कृष्णा व विनोदा पेंदाम के आंगन में 10 वर्ष बाद 11 मई को बेटे की किलकारी गूंजी। विनोदा की शुक्रवार को घर में ही प्रसूति हुई। जिसमें उसने स्वस्थ नवजात को जन्म दिया। जन्म से ही नवजात का वजन 2 किलो 400 ग्राम था। काफी मिन्नतों के बाद घर में बच्चे की किलकारी सुनकर पेंदाम दंपति की खुशी को कोई ठिकाना ही नहीं था, पर जन्म के कुछ घंटे बाद नवजात मां का दूध नहीं पी रहा था। इसके लिए कृष्णा ने गांव की आशा वर्कर सरिता पेंदाम से संपर्क किया। आशा वर्कर ने राजाराम अस्पताल के स्वास्थ्य वैद्यकीय अधिकारी राजेश मानकर से संपर्क कर इस संबंध में जानकारी दी। उस पर डाक्टर मानकर ने शिशु को गाय का दूध पिलाने की सलाह दी।
अस्पताल पहुंचाने नहीं मिली एंबुलेंस
डाक्टर की सलाह और आशा वर्कर के कहने पर दंपति शिशु को गाय का दूध पिलाने लगे, पर वह भी शिशु ने नहीं पीया। पेंदाम दंपति की चिंता बढऩे लगी। उधर धीरे-धीरे नवजात की तबीयत बिगडऩे लगी। उसके कान और नाक से खून बहने लगा। शुक्रवार की शाम 4 बजे आशा वर्कर ने एम्बुलेंस के लिए कमलापुर के अस्पताल में संपर्क किया, लेकिन अस्पताल की एक एम्बुलेंस खराब थी तो दूसरी अस्पताल की डाक्टर डोंगरे के अपने साथ लेकर जाने की जानकारी मिली। इसके बाद 108 क्रमांक को संपर्क किया गया। यह वाहन भी उपलब्ध नहीं हो सका। दूसरे दिन, शनिवार को सुबह से ही एम्बुलेंस आने की आस दंपति लगाए बैठा।
अंतत: शनिवार शाम 6 बजे एम्बुलेंस ताटीगुडम गांव पहुंची। यह एम्बुलेंस माता व नवजात को लेकर अहेरी के उपजिला अस्पताल की ओर रवाना हुई। कमलापुर पार करते ही नवजात की हलचल बंद हो गई। रात में दोनों मां-बेटे को अहेरी के उपजिला अस्पताल में लाया गया। यहां डाक्टरों ने नवजात को मृत घोषित कर दिया और माता का उपचार जारी रखा। रविवार दोपहर विनोदा को अस्पताल से छुट्टी देकर उसके बेटा का अंतिम संस्कार करने उसे गांव भेज दिया गया। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की लचर कार्यप्रणाली के जिम्मेदार होने की बात कही जा रही है। यदि कमलापुर अस्पताल की एम्बुलेंस समय पर उपलब्ध हो जाती तो नवजात की जान बच सकती थी। रविवार को विश्व मामृत्व दिवस पर एक मां ने अपना बेटा खो दिया।
गंभीरता से होगी मामले की जांच
उपचार के अभाव में नवजात की मृत्यु होना दुखद बात है। इस मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी। इस मामले में दोषी पाए जानेवालों के खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई होगी।
(डा. शशिकांत शंभरकर, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, गड़चिरोली)
Created On :   14 May 2018 12:16 PM IST