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बेटी-दामाद के खराब व्यवहार के कारण अपनी मर्जी से गए हैं पुस्तैनी गांव उत्तर प्रदेश के महोबा
डिजिटल डेस्क शहडोल । जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉ. सुनील स्थापक के ससुर शिवकुमार तिवारी के अपहरण की कहानी झूठी निकली है। 76 वर्षीय शिवकुमार तिवारी अपने दामाद डॉ. स्थापक व बेटी के व्यवहार से ही दुखी होकर और अपनी मर्जी से अपने गृह ग्राम उत्तर प्रदेश के महोबा चले गए थे। महोबा पहुंची जिला पुलिस की टीम के सामने उन्होंने इस बात का खुलासा किया है। पुलिस ने उसने बातचीत का एक वीडियो भी जारी किया है। पुलिस के अनुसार शिवकुमार तिवारी शासकीय सेवा से रिटायर हैं। अधिकांश समय वे सागर में रहे हैं। सागर में उनका मकान भी है। वहीं उत्तर प्रदेश के ग्राम झरका थाना करबई जिला महोबा में उनकी पैतृक जमीन है। इसमें वे बंटाईधार (अधियार) के माध्यम से खेती कराते हैं। मंगलवार को अपने बंटाईदार अखिलेश मिश्रा के साथ ही कार से वे महोबा गए हैं। पुलिस को आशंका है पैतृक संपत्ति में हिस्सा बांट की वजह से शायद यह स्थिति निर्मित हुई है। हालांकि कोई भी खुलकर इस बारे में बात नहीं कर रहा है। पुलिस इस मामले में बेटी और दामाद के फिर से कथन ले सकती है। शिवकुमार तिवारी की दो बेटियां हैं। छोटी बेटी दिल्ली में सेटल हैं। जबकि बड़ी बेटी डॉ. सुनील स्थापक की पत्नी हैं और शहडोल में रहती हैं।
वीडियो में बताई सच्चाई
पुलिस ने शिवकुमार तिवारी का एक वीडियो जारी किया है। जिसमें वे कह रहे हैं कि मैं शहडोल में किराए के मकान में रहता था। मेरी लड़की और दामाद का व्यवहार अच्छा नहीं था। मैंने अपने बंटाईदार अखिलेश मिश्रा निवासी ग्राम झरका को फोन करके शहडोल बुलाया था। उसके साथ सफेद रंग की कार से 24 अगस्त को सुबह अपनी मर्जी से ग्राम झरका जिले महोबा उत्तर प्रदेश आया था। मुझे कोई जबरदस्ती शहडोल से नहीं लाया है। वहीं इस संबंध में डॉ. सुनील स्थापक का कहना है कि जैसा उनको सिखाया गया है, वे वैसा बोल रहे हैं। कोविड के दौरान हमने उनकी सेवा की है। अगर हमारा व्यवहार ठीक नहीं था तो सासु मां को साथ क्यों नहीं ले गए। वह तो हमारे साथ ही रह रही हैं।
Created On :   25 Aug 2021 6:19 PM IST