संसार में जन्म लेना आसान , सद्गति  पाना बहुत कठिन :  सुवीरसागर

Easy to take birth in the world, it is very difficult to achieve salvation said suvirsagar
संसार में जन्म लेना आसान , सद्गति  पाना बहुत कठिन :  सुवीरसागर
संसार में जन्म लेना आसान , सद्गति  पाना बहुत कठिन :  सुवीरसागर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संसार में जन्म लेना बहुत सरल है, पर मरण सुधारना उतना ही कठिन। यह उद्गार आचार्य सुवीरसागरजी ने अपने उद्बोधन में श्री पार्श्वप्रभु दिगंबर जैन सेनगण मंदिर में व्यक्त किए। जीव अनादिकाल से 84 लाख योनि में जन्म-मरण का परिभ्रमण करता आया है। द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव और भाव में पंच परावर्तन करते आया है। काल में दो प्रकार से परावर्तन होते हैं। अवसर्पिणी व उत्सर्पिणी। विदेह क्षेत्र में हमेशा चौथा काल रहता है। वहां पर निरंतर तीर्थंकर विराजते हैं। एक समय में कम से कम 4 और ज्यदा से ज्यदा 32 तीर्थंकर होते हैं। हम विदेह क्षेत्र नहीं पहुंच सकते, पर भाव, वंदना, नंदीश्वर द्वीप के चैत्यालय एवं विद्यमान तीर्थंकरों की अर्चना कर सकते हैं। मंदिर में विवाद नहीं करना चाहिए।

देव-शास्त्र-गुरु की भक्ति के लिए पद और पैसों की आवश्यकता नहीं होती। आचार्यश्री ने मुनिश्री चिन्मयसागर महाराज जंगल वाले बाबा के समाधि मरण की चर्चा की। उन्होंने बताया कि उन्हें  आचार्य विद्यासागर ने दीक्षा दिलाई थी। परिशह सहन करते समाधि होती है, तो भव-भव सुधारते हैं। 8 भव में मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं। थोड़ा सा धर्म कर लिया, तो अच्छा फल प्राप्त होता है। जैसे अंजन, धनंजय, सीता, अंजना और मनोरमा के जीवन में चमत्कार हुआ था। दृष्टि फल पर नहीं भक्ति पर होनी चाहिए। साधना का अच्छा फल समाधि है। प्रभु परमात्मा हर किसी के जीवन में प्रभु का नाम लेते-लेते गुरु के चरणों में समाधि हो, यही भावना भानी चाहिए। दिगंबर मुनि साधना का फल उत्तम समाधि चाहते हैं।    दीप प्रज्वलन शशिकांत मुधोलकर, अजीत पेंढारी, दिनेश जैन, अनिल जोहरापुरकर, अनंतकुमार शिवणकर, शरद मचाले,  हीराचंद मिश्रीकोटकर ने किया।  मंगलाचरण  पंकज खेड़कर ने गाया व संगीत प्रभाकर डाखोरे ने दिया।

चरण प्रक्षाल शशिकांत मुधोलकर परिवार एवं पन्नालाल खेड़कर ने किया। जिनवाणी भेंट महिला मंडल ने की। शरद मचाले, कुलभूषण डहाले, रमेश उदेपुरकर, पुलकमंच शाखा तथा तीर्थंंकर मुर्ति प्रदाता अनंत शिवणकर परिवार का स्वागत किया गया। संचालन सूरज पेंढारी सतीश पेंढारी ने किया। प्रमुखता से  चातुर्मास का प्रथम कलश स्थापनाकर्ता सोनू-मोनू जैन कोयलावाले, अध्यक्ष पवन जैन कान्हीवाड़ा, महामंत्री पंकज बोहरा, मंत्री जयमामू, कोषाध्यक्ष चंद्रकुमार चौधरी, विपुल कासलीवाल, राजकुुमार जेजानी, नरेंद्र तुपकर, कैलाशचंद जैन, विजय पोलिस्टर, निर्मल मोदी, चंद्रकुमार भाग्यांजलि, छगनलाल खेड़कर, राजकुमार खेड़कर,  दिनकर जोहरापुरकर,  रविंद्र महाजन, सुधा चौधरी, प्रतिभा जैन आदि उपस्थित थे।

गाजे-बाजे के साथ हुई अगवानी

बाजे-गाजे के साथ बालयोगी ज्योतिपुंज आचार्यश्री सुवीरसागर महाराज व संघस्थ आर्यिका 105 श्रीसुपार्श्वमति माताजी, क्षुल्लक 105 सुप्रज्ञसागरजी महाराज, क्षुल्लिका श्री 105 श्रीसुधर्यमति माताजी की अगवानी  श्री पार्श्वप्रभु दिगंबर जैन सेनगण मंदिर लाड़पुरा में की गई। मंदीर के प्रवेश-द्वार पर मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सतीश पेंढारी, मंत्री उदय जोहरापुरकर ने चरण प्रक्षाल किया। आचार्यश्री ने ससंघ मंदिर में प्रवेश कर सर्वप्रथम भगवान पारसनाथ के दर्शन किए। 8.30 बजे सन्मति भवन में प्रवचन प्रारंभ हुए। 
 

Created On :   21 Oct 2019 7:30 AM GMT

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