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आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट-2018-19 : विपक्ष के नेता मुंडे की मांग, जांच के लिए गठित हो सर्वदलिय समिति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने प्रदेश सरकार की ओर से सदन में पेश राज्य की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2018-19 के आंकड़ों की जांच के लिए विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्यों की सर्वदलीय समिति गठित करने की मांग की है। सोमवार को सदन में मुंडे ने कहा कि मार्च 2019 में विश्व के 108 अर्थशास्त्रियों और सांख्यिकी वैज्ञानिकों ने कहा है कि भारत में अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़ों को बढ़ाकर पेश किया जा रहा है। देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम ने भी इसका समर्थन किया है। इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप हो रहा है। केंद्र ने भारत की विकास दर 2.50 ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताई है। इसलिए देश और महाराष्ट्र में पेश किए गए आंकड़ों को लेकर आशंका है। राज्य की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के आंकड़ों को लेकर प्रदेश की जनता के मन में संदेह हैं। इसलिए आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट की जांच के लिए दोनों सदनों के सदस्यों की समिति का गठन किया जाना चाहिए। इस पर प्रदेश के वित्त राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण के रिपोर्ट में जीडीपी से जुड़े आंकड़े बाजार के नहीं बल्कि स्थिर कीमतों पर आधारित होते हैं। इसलिए इसमें छेड़छाड़ किए जाने का सवाल नहीं उठता है। वहीं सभापति रामराजे नाईक-निंबालकर ने कहा कि विपक्ष के सदस्य अतिरिक्त बजट पर चर्चा के दौरान यह मुद्दा उठा सकते हैं।
राज्य से फलों के निर्यात में आई कमी
प्रदेश में अंगूर, आम, अनार और केला निर्यात किए जाने वाले प्रमुख फल हैं लेकिन पिछले तीन सालों में इन फलों के निर्यात में कमी आई है। परिणाम स्वरूप राज्य को मिलने वाले निर्यात मूल्य में भी कमी आई है। साल 2016-17 और साल 2017-18 के मुकाबले साल 2018-19 में अंगूर, आम, अनार और केले का निर्यात कम हुआ है।
अंगूर के निर्यात में भारी गिरावट
विधानमंडल के दोनों सदनों में सरकार की तरफ पेश साल 2018-19 की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2016-17 में 1960 करोड़ रुपए कीमत का 1,87,296 मेट्रिक टन और साल 2017-18 में 2106 करोड़ रुपए का 2,00,203 मेट्रिक टन अंगूर का निर्यात हुआ। जबकि साल 2018-19 में अंगूर के निर्यात में भारी गिरावट आई। इस साल महज 243 करोड़ रुपए का 21,322 मेट्रिक टन अंगूर निर्यात किया जा सका।
आम का निर्यात भी घटा
इसी तरह साल 2016-17 में 386 करोड़ रुपए के 37,180 मेट्रिक टन आम कि निर्यात किया गया था। साल 2017-18 में 309 करोड़ रुपए के 35,343 मेट्रिक टन आम निर्यात हुआ। जबकि साल 2018-19 में आम निर्यात घटकर 26,936 मेट्रिक टन (283 करोड़ रुपए मूल्य) हो गया। इसी तरह अनार के निर्यात में भी कमी आई। केले के निर्यात का भी यही हाल रहा। 2016-17 में 130 करोड़ रुपए की कीमत का 38,487 मेट्रिक टन और 2017-18 में 149 करोड़ रुपए का 44,559 मेट्रिक टन केले का निर्यात हुआ। जबकि साल 2018-19 में केवल 75 करोड़ रुपए का 22,475 मेट्रिक टन केले का निर्यात हो सका।
वन क्षेत्र के मामले में चार राज्यों से पीछे है महाराष्ट्र
प्रदेश सरकार के पौधारोपण अभियान के बावजूद वनक्षेत्र के मामले में महाराष्ट्र देश के चार राज्यों से पीछे है। देश भर में सबसे अधिक वनक्षेत्र केरल, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में हैं। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 16.5 प्रतिशत वनक्षेत्र है। जबकि केरल में कुल भौगोलिक क्षेत्र में से 52.3 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 25.1 प्रतिशत, कर्नाटक में 19.3 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में 17.3 प्रतिशत वन क्षेत्र है।
महाराष्ट्र में बढ़ रही हिंदीभाषियों की संख्या
राज्य में हिंदी भाषियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। साल 2071 के पांच फीसदी के मुकाबले साल 2011 तक राज्य में हिंदी भाषियों की संख्या बढ़कर 12.9 फीसदी हो गई। जबकि इस दौरान मराठी, उर्दू, गुजराती और दूसरी भाषाएं बोलने वालों की संख्या घटी है। राज्य में साल 1971 में मराठी भाषियों की संख्या 76.5 फीसदी थी जो साल 2011 तक आते-आते घटकर 68.9 फीसदी रह गई।
कौन सी भाषा बोलने वालों की कितनी आबादी
भाषा 1971 1981 1991 2001 2011
मराठी 76.5 72.8 73.3 68.8 68.9
हिंदी 5.0 6.6 7.8 11.0 12.9
उर्दू 7.3 6.9 7.3 7.1 6.7
गुजराती 2.8 2.7 2.5 2.4 2.1
अन्य 8.4 11.0 9.1 10.7 9.4
Created On :   17 Jun 2019 9:40 PM IST