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हाईकोर्ट में सुनवाई : ‘पीएम मोदी’ की रिलीज पर चुनाव आयोग ले फैसला, नीरव की पेंटिंग नीलामी पर रोक नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने फिल्म अभिनेता विवेक ओबेराय अभिनीत फिल्म ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ के प्रदर्शन को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग को निर्णय लेने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में फिलहाल हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए इस याचिका को समाप्त कर दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता सतीश गायकवाड ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता तौफिक शेख ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी फिल्म आचार संहिता का उल्लंघन करती है। फिल्म का नाम व उसे प्रदर्शित करने का समय आपत्तिजनक है। मौजूदा प्रधानमंत्री के बचपन से लेकर प्रधानमंत्री बनाने के सफर को दर्शानेवाली यह फिल्म अप्रत्यक्ष रुप से उनका प्रचार करती है। चूंकि प्रधानमंत्री खुद चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए यह फिल्म मतदाताओं के मन को प्रभावित करेगी। क्योंकि यह फिल्म पूरे भारत व विश्वभर में प्रदर्शित हो रही है। यह फिल्म जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। इसलिए 5 अप्रैल को प्रदर्शित होने वाली इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाई जाए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि क्या याचिकाकर्ता ने इस मामले में चुनाव आयोग को निवेदन दिया है? जवाब में फिल्म निर्माता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता बिरेंद्र श्राफ ने कहा कि हमारे मुवक्किल को याचिकाकर्ता के निवेदन के आधार पर चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया था। हमारे मुवक्किल ने नोटिस का जवाब दे दिया है। उन्होंने कहा कि ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ फिल्म एक बायोपिक है। इससे पहले भी इस तरह की फिल्म चर्चित व्यक्तियों पर बन चुकी है। फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।
सेंसर बोर्ड ने अभी तक नहीं दिया है प्रमाणपत्र
वहीं सेंसर बोर्ड की ओर से पैरवी कर रहे वकील ए सेठना के ने कहा कि बोर्ड ने अब तक फिल्म को प्रदर्शन के लिए प्रमाणपत्र नहीं जारी किया है। हमने सिर्फ फिल्म के ट्रेलर को प्रमाणपत्र दिया है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने चुनाव आयोग को इस मामले में निर्णय लेने को कहा और याचिका को समाप्त कर दिया।

बांबे हाईकोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक के करोड़ा रुपए के घोटाले के मामले में आरोपी नीरव मोदी की पेंटिंग की नीलामी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए नीलामी की कार्रवाई को रद्द करने से इंकार कर दिया है। मोदी की फर्म कैमलाट एंटरप्राइजेज ने आयकर विभाग की ओर से शुरु की गई पेंटिंग की नीलामी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए कहा कि फर्म पहले उपलब्ध दूसरे कानूनी विकल्पों का सहारा ले। खंडपीठ ने कहा कि फर्म इस मामले में आयकर विभाग के अपीलीय आयुक्त के सामने अपनी बात रखे। क्योंकि इस प्रकरण में कई विवादित तथ्य जुड़े हैं। इसलिए बेहतर होगा कि याचिकाकर्ता आयतक विभाग के अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपनी बात रखे। याचिका में दावा किया गया था कि आयकर विभाग ने इस मामले को लेकर पहले कोई नोटिस नहीं जारी किया है। इसके अलावा जिन पेंटिंग की नीलामी की गई है, उसमे से कई पेंटिंग का मालिकाना हक याचिकाकर्ता के पास नहीं है। पिछले दिनों पीएमएलए कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के आवेदन पर आयकर विभाग को मोदी की 68 पेंटिंग की नीलामी की इजाजत दी थी। इसके बाद आयकर विभाग ने पेंटिंग की नीलामी शुरु की। इस बीच नीलामी प्रक्रिया के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया के दौरान कोई भी यह दावा करने के लिए नहीं आया की पेंटिंग उसकी है। यह कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया ।

उधर बैंक घोटाले के मामले में भगौडे आरोपी विजय माल्या ने अपने वकील के माध्यम से बांबे हाईकोर्ट में कहा है कि उसकी संपत्ति को जब्त करने से मुझे कर्ज देनेवालों बैंकों को कोई लाभ नहीं मिलेगा। और संपत्ति जब्त करने का कदम काफी कठोर है। पिछले दिनों प्रिवेंशन आफ मनी लांडरिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत बनी विशेष अदालत ने माल्या को फगेटिव इकोनामिक अफेंडर एक्ट के तहत ‘भगौड़ा अपराधी’ घोषित किया था। पीएमएलए कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ माल्या ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिस पर न्यायमूर्ति इंद्रजीत मंहती व न्यायमूर्ति एएम बदर की खंडपीठ के सामने सुनवाई चल रही है। इस दौरान माल्या की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से मेरे मुवक्किल की संपत्ति को जब्त करने के कदम सें माल्या को कर्ज देनेवाले को कोई फायदा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल अपनी संपत्ति को वापस नहीं चाहते हैं। लेकिन संपत्ति को जब्त करने से बैंक को कोई फायदा नहीं मिलेगा और न ही समस्या का समाधान निकलेगा। वहीं ईडी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि हमारा उद्देश्य बैंको के साथ धोखाधड़ी करके विदेश भागे आरोपी को दोबारा भारत लाना है। इसलिए कानून के तहत ईडी ने अपनी कार्रवाई शुरु की है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 24 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   1 April 2019 8:49 PM IST