अपग्रेडेशन पर जोर, खराब चावल गोदाम तक कैसे पहुंचा इसको लेकर सभी विभाग मौन

Emphasis on upgrade, all departments silent on how the poor rice reached the godown
अपग्रेडेशन पर जोर, खराब चावल गोदाम तक कैसे पहुंचा इसको लेकर सभी विभाग मौन
अपग्रेडेशन पर जोर, खराब चावल गोदाम तक कैसे पहुंचा इसको लेकर सभी विभाग मौन

डिजिटल डेस्क शहडोल । एफसीआई की सजगता से घटिया चावल गरीबों का निवाला बनने से रोक तो दिया गया, लेकिन गोदामों तक खराब चावल पहुंचाने की सारी कवायदों को पूरी तरह नजर अंदाज किया जा रहा है। जिन संस्थाओं और विभागों की लापरवाही के चलते गोदामों तक खराब चावल पहुंचाया गया उनकी जिम्मेदारी तय करने की बजाय सिर्फ अपग्रेडेशन पर ही जोर दिया जा रहा है। जबकि फीड-1 (पूरी तरह उपयोगहीन) की श्रेणी में मिले 23 हजार क्विंटल चावल की ओर किसी प्रकार की कार्रवाई सामने नहीं आई है। वहीं अपगे्रडेशन को लेकर भी मिलरों द्वारा अधिक रुचि नहीं दिखाई जा रही है। जबकि जिला प्रशासन की टीम द्वारा जायजा भी लिया जा रहा है। अभी तक 18 हजार क्विंटल चावल का उठाव ही मिलरों द्वारा किया गया है।
गौरतलब है कि जिले के विभिन्न गोदामों में एफसीआई की टीम द्वारा किए गए निरीक्षण में 55 हजार क्विंटल से अधिक चावल वितरण लायक नहीं पाया गया। जिन्हें मिलरों को वापस कर अपग्रेडेशन कराया जा रहा है। वहीं 23 हजार क्विंटल से अधिक चावल ऐसा था जो उपयोग ही नहीं था। दोनों ही प्रकार का चावल मिलरों से गोदामों तक पहुंचाया गया था।
यहां बरती गई लापरवाही
जानकारों की मानें तो चावल खराब होने के मामले में धान उपार्जन से लेकर  मिलिंग और गोदामों तक पहुंचाने की समूची प्रक्रिया में संबंधित विभागों द्वारा लापरवाही बरती गई। इस वर्ष बारिश के कारण खरीदी केंद्रों और कैपों में बड़ी मात्रा में धान भीगी। ज्यादा नुकसान कैपों में हुआ। खराब धान को भी मिलिंग के लिए भेजा गया। जहां से खराब चावल लगातार गोदामों तक पहुंचाया जाता रहा। जबकि गुणवत्ता की निगरानी के लिए नागरिग आपूर्ति विभाग के क्वालिटी निरीक्षक, फूड विभाग के अधिकारियों की तैनाती की गई थी। यहीं नहीं गोदामों में रखवाए जाने के पूर्व वेयर हाउसिंग के जिम्मेदार आंखे बंद किए रहे। कहा जा रहा है कि यदि उपरोक्त सभी विभागों के लोग अपना दायित्व ईमानदारी से निभाते तो आज ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होती।
इस तर्क के साथ कर रहे बचाव
अब कोई भी विभाग अपनी जिम्मेदारी लेना नहीं चाहते। मिलरों द्वारा जब खराब गुणवत्ता का चावल लाया जा रहा था उसी समय उन्हें वापस क्यों नहीं किया गया। सारी प्रक्रिया में मिलीभगत स्पष्ट नजर आ रही है। इस संबंध में जब नागरिक आपूर्ति विभाग और फूड विभाग से चर्चा की जाती है तो उनका तर्क होता है कि बारिश के दौरान धान भीगी थी, बड़े पैमाने पर होने वाले कार्य में थोड़ी बहुत इस प्रकार की स्थितियां निर्मित तो होती ही हैं। इस सवाल का जवाब भी संतोषजनक नहीं मिलता कि गुणवत्ताहीन चावल मिलरों के यहां से जमा ही क्यों कराया गया। कुछ मिलरों ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि नान और फूड विभाग द्वारा जैसा है वैसे धान की मिलिंग का दवाब बनाया गया।
इनका कहना है
अपग्रेडेशन के लिए अभी तक लगभग 18 हजार क्विंटल चावल का उठाव मिलरों द्वारा किया जा चुका है। जिला प्रशासन की टीम इसकी निगरानी कर रही है। फीड-1 चावल के बारे में अभी शासन से कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
एमएस उपाध्याय, डीएम नागरिक आपूर्ति निगम

Created On :   12 Oct 2020 1:10 PM GMT

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