Shahdol News: हड़ताल का असर बैंकों में भी कामकाज पर पड़ा असर

हड़ताल का असर बैंकों में भी कामकाज पर पड़ा असर
  • अधिकारी बैठे पर उपभोक्ताओं का काम नहीं हुआ
  • यूजी माइंस में कोयला उत्पादन प्रभावित
  • ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि आर्थिक नीतियों के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ रही है।

Shahdol News: ट्रेड यूनियनों व किसानों के बुधवार को देशव्यापी हड़ताल का असर शहडोल जिले में संचालित कोयले की अंडर ग्राउंड (यूजी) माइंस पर पड़ा। श्रम संगठन प्रतिनिधियों का कहना है कि एसईसीएल के सोहागपुर, जमुना-कोतमा, जोहिला व हसदेव एरिया में सभी यूजी माइंस में लगभग 50 प्रतिशत तक कोयला उत्पादन असर पड़ा। हालांकि ओपन कॉस्ट माइन (ओसीएम) में मशीनों से कोयला उत्पादन होने के कारण यूजी खदान की कमी की भरपाई की गई।

एसईसीएल के सोहागपुर एरिया में प्रतिदिन दोपहर तक लगभग 4 हजार टन कोयला उत्पादन होता है, बुधवार को 3 हजार टन कोयला उत्पादन होने का दावा प्रबंधन के अधिकारियों ने किया है। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के हड़ताल का असर बैंकिंग सेवाओं पर भी पड़ा। संभाग मुख्यालय शहडोल में संचालित बैंकों में उपभोक्ता पहुंचे तो अधिकारी तो मिले पर कामकाज इसलिए नहीं हुआ क्योंकि लिपिक वर्ग के कर्मचारी हड़ताल पर रहे।

इससे उपभोक्ताओं को बैंकों से मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। हड़ताल को लेकर सोहागपुर एरिया के महाप्रबंधक मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि आंशिक असर पड़ा है पर खदानों में कोयला उत्पादन का काम पूर्व की तरह की हुआ। अमलाई ओसीएम, रामपुर बटुरा ओसीएम सहित अन्य ओपनकास्ट परियोजनाओं में कोयला उत्पादन व डिस्पैच सामान्य रूप से चलता रहा। मैनपावर डिस्पैच के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद ही यह तय हो सकेगा कि हड़ताल से क्षेत्र को वास्तविक रूप से कितना नुकसान हुआ है।

इन मांगों लेकर रहे हड़ताल में

खाली पड़े सरकारी पदों को भरा जाए। नई नौकरियां पैदा की जाए। मनरेगा में काम के दिन और मजदूरी बढ़ाई जाए। गांव की तरह शहर में भी रोजगार गारंटी कानून बनाया जाए।

इन बातों को लेकर हड़ताल

ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि आर्थिक नीतियों के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। जरूरी चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक सुविधाओं पर लगातार कटौती की जा रही है। आम आदमी को मिलने वाली नौकरी, वेतन व सुविधाओं में लगातार कटौती हो रही है। यूनियनों ने सरकारी संस्थाओं में निजीकरण का भी विरोध किया।

कलेक्ट्रेट में लगे नारे

नौ जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल के मद्देनजर कलेक्टर कार्यालय शहडोल में आशा-ऊषा-आशा पर्यवेक्षक एकता यूनियन मध्यप्रदेश के बैनर तले आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं ने जमकर नारे लगाए। प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपा। इसमें मांग रखी कि एनएचएम को सरकार का स्थाई स्वास्थ्य कार्यक्रम बनाया जाए।

आशा कार्यकर्ताओं और सुविधाओं प्रदाता पर 45वें और 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू किया जाए। आशा-ऊषा-आशा कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। श्रम संहिताओं को वापस लिया जाए। आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटर्स को श्रम कानूनों के दायरे में शामिल किया जाए।

Created On :   10 July 2025 1:39 PM IST

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