पराबैंगनी किरण से पोल खोलेंगे इनवायरमेंटल सेंसर, 4 दिन बाद शुरु होंगी बौछारें, घट रहा बारिश का मौसम

Environmental sensor will expose damages with ultraviolet rays
पराबैंगनी किरण से पोल खोलेंगे इनवायरमेंटल सेंसर, 4 दिन बाद शुरु होंगी बौछारें, घट रहा बारिश का मौसम
पराबैंगनी किरण से पोल खोलेंगे इनवायरमेंटल सेंसर, 4 दिन बाद शुरु होंगी बौछारें, घट रहा बारिश का मौसम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्मार्ट एंड सस्टेनेबल सिटी डेवलपमेंट के पर्यावरण विभाग ने 10 इनवायरमेंटल सेंसर लगाए हैं। यह इनवायरमेंटल सेंसर 14 मापदंडों में पर्यावरण की स्थिति को मॉनिटर करेंगे। सभी सेंसर हर 15 सेकंड में डाटा अपडेट करेंगे। विशेष बात यह है कि यह सेंसर न्वॉयज यानी ध्वनि, नमी, हवा और अल्ट्रावाइलेट किरणों को भी मापेगा। इन सभी मापदंडों पर मॉनिटरिंग करने से शहर के पर्यावरण की वास्तविक स्थिति पता चलेगी। यदि पर्यावरण से संबंधित कोई योजना भी बनती है तो नागपुर की वास्तविक स्थिति के अनुसार नियोजित की जाएगी। फिलहाल नागपुर में वायु की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है। साथ ही शहर के वायु प्रदूषण को मापने के लिए शहर में केवल 5 स्टेशन हैं जो कि पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के है। यह पांच स्टेशन में तीन स्टेशनों की रिपोर्ट ही रोज अपडेट होती है। नए सेंसर शहर के लगभग हर क्षेत्र को कवर कर लेंगे। यह 10 इनवायरमेंटल सेंसर ऑटोमेटिव स्कवेयर, मानकापुर, पूनम चेंबर्स, गोल काटोल नाका, लाल इमली चौक, शंकर नगर चौक, यशोधाम टी प्वाइंट, प्राइड होटल चौक, दिघोरी चौक अाैर कामठी रोड पर है। यह सेंसर तापमान, हवादाब, नमी, ध्वनि, पीएम 2.5, पीएम 10, सीओ, सीओटू, ओ-थ्री, एनओटू, एसओटू, एक्यू1, पीएम1 और पराबैंगनी किरणों की मॉनिटरिंग करेंगे। इन सेंसर के लगभग एक वर्ष के डाटा का विश्लेषण किया जाएगा, जिससे शहर की वास्तविक स्थिति पता चल पाएगी।  

प्रदूषण नियंत्रण के लिए बनाएंगे योजना

देवेंद्र महाजन, जनरल मैनेजर के मुताबिक हमारे शहर की वायु स्थिति ठीक नहीं है, हम ऐसा नहीं कह सकते कि शहर में प्रदूषण बिल्कुल नहीं है। इसलिए शहर के हर क्षेत्र में यह सेंसर लगाए हैं इन सेंसर से मिलने वाले डाटा का विश्लेषण कर नीरी या अन्य पर्यावरण की संस्था के साथ प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए योजना बनाएंगे।

प्री-मानसून 4 दिन बाद बौछारें

उधर मानसून दूर जाने से गर्मी का प्रकोप जारी है। जून का तीसरा सप्ताह शुरू होने के बाद भी गर्मी चरम पर है। शनिवार को नागपुर का अधिकतम तापमान 43.3 व न्यूनतम तापमान 27.5 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग के अनुसार, दो दिनों तक तापमान 43 डिग्री तक रहेगा। तापमान में कमी के बावजूद दिन में गर्मी ज्यादा महसूस होगी। 3-4 दिन के बाद प्री-मानसून होने की संभावना है। 
बादल आते-जाते रहेंगे : मौसम विभाग के अनुसार, मानसून में और विलंब होने से गर्मी जारी है। तापमान में जरूर कमी आई हैै, लेकिन गर्मी से बहुत ज्यादा राहत नहीं मिल सकी है। पश्चिमी हवा से प्री-मानसून की संभावना बढ़ गई है। अगले 48 घंटे में नागपुर जिले में तापमान इतना ही रह सकता है। आसमान में आंशिक रूप से बादल रह सकते है। कुछ स्थानों पर गरज के साथ बारिश हो सकती है। इस साल रिकार्ड तोड़ गर्मी का खुमार वातावरण में बना हुआ है। हल्की बारिश होने से जमीन पूरी तरह ठंडी नहीं हो पाती और उमस महसूस होती है। अब तक रुक-रुककर जितनी बार बारिश हुई, उससे जमीन के अंदर व वातावरण में फैली गर्मी से छुटकारा नहीं मिल सका है। तापमान में कमी होगी, लेकिन गर्मी से बहुत ज्यादा राहत मिलने की संभावना कम है।

भीषण गर्मी के दिनों की संख्या बढ़ी

हाल ही राज्य के वन व वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की ओर जारी की गई फॉरेस्ट कवर चेंज रिपोर्ट राज्य में घटते वन क्षेत्र और घने वनों के लगातार विरल होने की तस्वीर पेश करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, नागपुर में 18.99 वर्ग किमी घने वन ओपन वन में बदल चुका है। घने वनों में वृक्षों का घनत्व 70 फीसदी जबकि ओपन वन में यह 40 फीसदी होता है। जाहिर है पेड़ों की संख्या में काफी कमी आई है। शहर में जारी कई प्रोजेक्टों के कारण भी बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए, पिछले तीन साल में मनपा की ओर से पांच हजार पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई है। शहर के लैंडयूज में भी बदलाव आता जा रहा है। बिल्टअप एरिया लगातार बढ़ रहा है और ग्रीन एरिया में कमी आ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार पहले से ही भीषण गर्मी झेलने वाले शहर में इन कारणों से अत्यधिक तापमान के दिन बढ़ रहे हैं और बारिश का मौसम घटता जा रहा है। इस वर्ष भी शहर में मॉनसून आने का इंतजार खिसक कर जून के तीसरे सप्ताह पर जा टिका है।

10000 पेड़ काटने की मनपा ने दी अनुमति

पिछले दस वर्षों में मनपा की ओर से दस हजार पेड़ों को काटने की अनुमति प्रदान की गई है। पिछले तीन वर्ष में यह आकड़ा पांच हजार का है। मनपा की ओर से पेड़ काटे जाने के बाद पेड़ लगाए जाने का प्रावधान का बड़े स्तर पर उल्लंघन भी हुआ है। इसके लिए उद्यान विभाग ने अप्रैल 2016 से मार्च 2019 के बीच 2.69 करोड़ का जुर्माना भी वसूला है। 2010-11  के बाद नहीं हुई वृक्ष गणना : वर्ष 2010-11 में हुए वृक्ष गणना के अनुसार हुए शहर में कुल 2143838 पेड़ थे, यानी हर दस व्यक्ति पर नौ पेड़। आदर्श स्थिति में एक व्यक्ति पर कम से कम दस पेड़ की आवश्यकता होती है। 2012 के बाद अब तक शहर में वृक्षों की गणना हुई ही नहीं है। शहर में कई विभागों ने पेड़ों की कटाई की है। काटे गए अधिकतर पेड़ साठ से सत्तर वर्ष पुराने थे। बड़े स्तर पर पेड़ों की कटाई करने वाले विभागों में मेट्रो, नेशनल हाईवे अथॉरिटी, कैंसर रिलीफ सोसाइटी, आयुर्वेद कॉलेज, वीएनआईटी, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। उनकी जगह अगर नए पेड़ लगा भी दिए जाए तो उस स्थिति में पहुंचने में वर्षों लगेंगे। 

तीन वर्ष में काटे गए पेड़

मेट्रो व सेंट्रल रेलवे            2000 
नेशनल हाईवे अथॉरिटी       572
कैंसर रिलीफ सोसाइटी       194
आयुर्वेद कॉलेज                 206
वीएनआईटी                     128
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज     78

पेड़ लगाने में लापरवाही

शहर में काटे गए पेड़ों में केवल मेट्रो की ओर से अमरावती रोड और कुछ अन्य स्थानों पर पेड़ लगाए गए हैं, बाकी विभागों में एक भी पेड़ नहीं लगाया। इसके कारण मनपा ने 2.69 करोड़ का जुर्माना भी वसूला। हालांिक शहर के ग्रीन कवर को इससे धक्का लगा है। 

 

Created On :   16 Jun 2019 1:07 PM GMT

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