EWS और SEBC स्टूडेंट्स को एनआरआई कोटे की सीट

Ews and sebc students get nri quota seats maharashtra
EWS और SEBC स्टूडेंट्स को एनआरआई कोटे की सीट
EWS और SEBC स्टूडेंट्स को एनआरआई कोटे की सीट

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  प्रदेश में सीईटी सेल द्वारा आयोजित की जा रही उच्च पाठ्यक्रमों की प्रवेश प्रक्रिया में लगातार गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। एमबीए की प्रवेश प्रक्रिया में धांधली के बाद ऐसा ही संदेह एमबीबीएस की प्रवेश प्रक्रिया पर भी उठ रहा है। सीईटी सेल ने हाल ही में जो एमबीबीएस और बीडीएस की दूसरी सिलेक्शन लिस्ट जारी की है, उसमें एक बड़ी विसंगति देखने को मिल रही है।

जानकारी के अनुसार, इस सूची में कई ऐसे स्टूडेंट्स ने महंगी एनआरआई कोटे की सीटों पर प्रवेश लिए हैं, जो "इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन' (ईडब्ल्यूएस) कोटे के हैं। इन स्टूडेंट्स ने खुद को आर्थिक रूप से कमजोर दर्शा कर पहले राउंड में प्रवेश पाने की कोशिश की। सीट न मिलने पर अब यही स्टूडेंट कम से कम 50 लाख रुपए के खर्च वाली एनआरआई कोटे की सीट पर प्रवेश लेने को तैयार हैं। दूसरी सिलेक्शन लिस्ट में उन्हें यह सीट भी मिल गई है। इन स्टूडेंट्स  को नागपुर समेत, अमरावती, सोलापुर, बीड, पालकर के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिले हैं। 

एनआरआई कोटे के नियम

एनआरआई कोटे के तहत वह स्टूडेंट प्रवेश ले सकते हैं, जो स्वयं एनआरआई हों या फिर उनका कोई एनआरआई रिश्तेदार उनकी शिक्षा का खर्च उठाने को तैयार हो। इसके लिए जरूरी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने होते हैं। इस कोटे की सीट भी महंगी होती है। एनआरआई कोटे की फीस आम सीट की फीस से पांच गुना महंगी होती है। इस लिहाज से एनआरआई एमबीबीएस की शिक्षा 50 लाख और डेंटल की 25 लाख रुपए से भी ऊपर होती है। ईडब्लूएस कोटे का लाभ लेने के लिए परिवार की आय सालाना 8 लाख से अधिक की नहीं होनी चाहिए। 

ये हुईं गलतियां 

मेडिकल शिक्षा में पारदर्शिता लाने के लिए आवाज उठाने वाले श्रीकृष्ण बूटी के अनुसार, राज्य में जारी मेडिकल-डेंटल की प्रवेश प्रक्रिया में बड़ी धांधली नजर आती है। केवल ईडब्लूएस ही नहीं, एसईबीसी, एससी, एसटी जैसे आरक्षित प्रवर्ग के स्टूडेंट्स ने पहले राउंड में सीट न मिलने पर दूसरे राउंड में एनआरआई कोटे की सीट पर प्रवेश लेना पसंद किया। सवाल उठता है कि आखिर अचानक इतनी महंगी शिक्षा के लिए उनके पास पैसा कहां से आ गया। एक संभावना यह भी है कि उनके पास पैसा है, फिर उनका ईडब्लूएस प्रमाण-पत्र कैसे बन गया? अन्य मुद्दा यह भी है कि कहीं न कहीं, सीईटी सेल ने स्टूडेंट्स द्वारा दिए गए प्रमाण-पत्रों की पड़ताल में बड़ी चूक की है। 

शिकायत मिली तो जांच होगी

हम स्टूडेंट्स को एनआरआई कोटे की सीट पर प्रवेश लेने से कैसे रोक सकते हैं? हो सकता है कि स्टूडेंट्स  को कहीं से लोन मिल गया हो या वे अपनी कोई संपत्ति बेचकर फीस चुकाने वाले हों। सिलेक्शन लिस्ट के अनुसार स्टूडेंट्स के केवल प्राथमिक प्रवेश है। जब प्रवेश फायनल होंगे, तब हम सारी चीजों की जांच करते हैं। शिकायत मिली तो ऐसे संदिग्ध स्टूडेंट्स की भी पड़ताल करेंगे।  - आनंद रायते, आयुक्त सीईटी सेल, महाराष्ट्र

Created On :   6 Aug 2019 6:05 AM GMT

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