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प्रदर्शनी केवल हिंदी पत्रकारिता तक सीमित नहीं : केजी सुरेश
डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदर्शनी केवल हिंदी पत्रकारिता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक मुद्दे भी हैं। यह सच्चाई है कि हिंदी या क्षेत्रीय भाषा की पत्रकारिता में काफी मौके हैं और यही जमीन से जुड़े मुद्दों को उठाती हैं, फिर भी अंग्रेजी मीडिया ही क्यों एजेंडा सेट करती है? यह बात केजी सुरेश ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में पत्रकारिता पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी ‘तस्वीरें बोलती हैं’ के उद्घाटन के अवसर पर कही।
उन्होंने कुंभ का उदाहरण देते हुए कहा कि विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम को अंग्रेजी मीडिया उतना महत्व नहीं दे रहा है, जितना देना चाहिए। बावजूद इसके हिंदी के प्रति बदलाव आ रहा है। आज हर एयरपोर्ट पर हिंदी और स्थानीय भाषा के समाचार पत्र उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि पोस्टर प्रदर्शनी एक शानदार पहल है। 14 फरवरी तक चलने वाली प्रदर्शनी का आयोजन हिंदी के नामी साहित्यकार और पत्रकार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की जन्मतिथि के अवसर पर शहर की कवयित्री दीप्ति कुशवाह द्वारा किया गया है। प्रदर्शनी का आयोजन प्रदर्शनी हॉल बोर्ड रूम के समाने मान सिंह रोड नई दिल्ली में किया गया है।
पत्रकारिता के सभी पहलुओं के दर्शन
कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने की। उन्होंने प्रदर्शनी को एक अभिनव प्रयोग बताते हुए कहा कि इसमें आपातकाल को भी शामिल किया गया है, क्योंकि आपातकाल की बात किए बगैर भारतीय पत्रकारिता की बात नहीं हो सकती। संस्था के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि भारतीय पत्रकारिता ने काफी लंबा सफर तय कर लिया है, परंतु उसे अभी तक कला का दर्जा नहीं मिला है। उम्मीद है कि यह प्रदर्शनी पत्रकारिता को कलात्मकता से जोड़ेगी।
दीप्ति कुशवाह ने कहा कि उन्होंने इन पोस्टरों में पत्रकारिता के सभी पहलुओं को प्रदर्शित किया है। देश के प्रथम समाचार पत्र, हिंदी के प्रथम समाचारपत्र से लेकर पत्रकारिता से संबंधित विभिन्न पहलुओं को दिखाया है। उन्होंने प्रथम हिंदी समाचार पत्र ‘उदंत मार्तंड" का उदाहरण देते हुए कहा कि इस समाचार पत्र को कई तरह की चुनौतियों के कारण बंद करना पड़ा था।
Created On :   13 Feb 2019 8:32 AM GMT