अदालतों में लंबे अवकाश को लेकर अपेक्षा सही पर न्यायाधीशों की कमी पर भी विचार जरुरी

Expectation regarding long leave in courts is correct but it is also necessary to consider the shortage of judges - HC
अदालतों में लंबे अवकाश को लेकर अपेक्षा सही पर न्यायाधीशों की कमी पर भी विचार जरुरी
हाईकोर्ट अदालतों में लंबे अवकाश को लेकर अपेक्षा सही पर न्यायाधीशों की कमी पर भी विचार जरुरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अदालत के लंबे अवकाश को लेकर दायर की गई  याचिका परसुनवाई के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका में व्यक्त की गई अपेक्षा वैध है किंतु कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या पर भी विचार होना जरुरी है। पेशे से वकील सबीना लकड़ावाला ने अदालत की लंबी छुट्टियों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में मुख्य रुप से अदालत के लंबे अवकाश से जुड़ी प्रथा को चुनौती दी गई है। याचिका में दावा किया गया है कि कोर्ट की साल में करीब 70 दिनों की लंबी छुट्टियां न सिर्फ पक्षकारों के न्याय पाने के मौलिक अधिकार को प्रभावित करती है बल्कि इसका मामलों की सुनवाई पर भी असर पड़ता  है। कोर्ट की लंबी छुट्टियां औपनिवेशिक काल की याद दिलाती है। हाईकोर्ट गर्मियों,दिवाली व क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान बाद रहता है कि लेकिन जरुरी मामलों की सुनवाई के लिए अवकाश पीठ उपलब्ध रहती है

मंगलवार को न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसजी दिगे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिका में व्यक्त की गई अपेक्षा वैध नजर आती है। हम इसे समझते भी है किंतु न्यायाधीशों की कमी के मुद्दे पर भी विचार किया जाना जरुरी है। आखिर हमे न्यायाधीश कहां से मिलेंगे जिससे मामले की सुनवाई के लिए ज्यादा बेंच(पीठ) गठित की जाए। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मैथ्यू निदुंबरा ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग(एनजेएसी) न्यायाधीशों की नियुक्ति की दिशा में सार्थक पहल कर न्यायाधीशों की कमी का सामाधान कर सकता है। न्यायाधीश की बजाय आयोग के जरिए ही न्यायाधीशों की नियुक्ति की जानी चाहिए। 

इस पर खंडपीठ ने कहा कि अदालत में मामलों की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध न होने का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के भी सामने आया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में वहां के रजिस्ट्रार  से सफाई भी मांगी थी। इस मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया(बीसीआई) को पक्षकार बनाना जरुरी नजर आ रहा है। इसलिए उसे नोटिस जारी की जाती है। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता न्यायाधिशों की छुट्टियों के खिलाफ नहीं है उनका सिर्फ इतना कहना है कि न्यायपालिका से जुड़े सभी लोग एकसाथ छुट्टियां न ले। जिससे अदालत का कामकाज पूरे साल चलता रहे और लोगों की न्याय तक पहुंच बनी रहे है। इस पर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से  कहा कि फर्ज कीजिए  कि यदि कोर्ट स्कूल होता तो जनवरी में गणित की शिक्षक छुट्टी ले लेता व फरवरी में विज्ञान का शिक्षक छुट्टी ले लेता और अन्य महीने में दूसरे विषयों का शिक्षक छुट्टी ले लेता तो स्कूल कैसे चलता।

 

Created On :   15 Nov 2022 10:39 PM IST

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