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चंद रूपयों में घर बैठे बेंच रहे थे फर्जी सर्टिफिकेट, दो आरोपी गिरफ्तार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमण के दौरान जहां एक ओर पढ़ाई और परीक्षाओं को लेकर घमासान मचा हुआ है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बिना किसी पढ़ाई के कुछ पैसों में मनचाही डिग्री बांट रहे हैं। मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने ऐसे ही दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो कंप्यूटर की मदद से किसी भी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय का सर्टिफिकेट बनाने में माहिर थे। गुप्त सूचना के आधार पर जाल बिछाकर आरोपियों को बांद्रा इलाके से गिरफ्तार किया गया। सीनियर इंस्पेक्टर संजय निकुंबे ने बताया कि सूचना मिलने के बाद फर्जी ग्राहक भेजकर आरोपियों से संपर्क किया गया। ग्राहक बनाकर गए व्यक्ति ने दसवीं, बारहवीं और वाणिज्य शाखा की पहले वर्ष, द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष का सर्टिफिकेट के अलावा बोर्ड सर्टिफिकेट की भी मांग की। आरोपी ने बताया कि ये सभी सर्टिफिकेट बनाने का खर्च 19 हजार 600 रुपये आएगा। वह व्यक्ति पैसे देने के लिए तैयार हो गया और उसने 14 हजार 600 रुपये एडवांस में दे दिए बाक़ी के पैसे बाद में देने की बात कही। फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर आरोपी उसे देने पहुंचा तो पुलिस ने मुनावर सैयद नाम के आरोपी को दबोच लिया। पूछताछ करने पर पता चला कि यह सारा रैकेट चेंबूर इलाके से चलता है। जहां पर पुलिस ने छापेमारी की और कंप्यूटर जब्त कर दूसरे आरोपी हसमुद्दीन शाह को गिरफ्तार किया गया। जांच में आरोपी के कंप्यूटर में सरकारी विभागीय शैक्षिण मंडल, महाविद्यालय की मार्कशीट, सर्टिफिकेट, एनओसी आदि मिला। मौके से पुलिस ने कंप्यूटर, प्रिंटर आदि समान जब्त किया है। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें अदालत में पेश किए जाने पर 7 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है।
कर्ज दिलाने के नाम पर लाखों का चूना लगाने वाला गिरोह गिरफ्तार
वहीं आसानी से निजी कर्ज दिलाने का झांसा देकर जरूरतमंदों को लाखों रुपए का चूना लगाने वाले एक गिरोह का नई मुंबई पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी खुद को कर्ज देने वाले संस्थानों का एजेंट बताते थे और लोगों का भरोसा जीतने के लिए मंहगी कारों में उनसे मिलने जाते थे। आरोपी लोगों से जल्द और कम ब्याज पर कर्ज दिलाने का वादा करते और प्रोसेसिंग फीस के नाम पर लाखों रुपए ऐंठ लेते। गिरफ्तार आरोपियों के नाम रोहित नागवेकर, भालचंद्र पालव और ओमकार हाटले है। आरोपियों ने नेरुल में रहने वाले तीन लोगों से 8 लाख रुपए की ठगी की थी जिन्होंने एपीएमसी पुलिस स्टेशन मेंं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। सीनियर इंस्पेक्टर सतीश निकम ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों को कोर्ट में पेशी के बाद 7 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। आशंका है कि आरोपियों के हाथों ठगी के शिकार हुए लोगों की संख्या काफी ज्यादा है।
बेरोजगारी दूर करने शुरू कर दी ठगी
आरोपियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि उनके पास कोई काम नहीं था। इसलिए उन्होंने लोगों से ठगी की योजना बनाई। कोरोना संक्रमण के दौरान ज्यादातर लोगों को पैसों की जरूरत थी ऐसे में उन्होंने पर्चे छपवाए जिसमे लिखा था कि वे आसानी से कम ब्याज दर पर पर्सलन लोन दिला सकते हैं। इसमें संपर्क के लिए मोबाइल नंबर भी दिए गए थे। आरोपियों ने जगह-जगह पर्चे बंटवाए थे। इसके बाद जो जरूरतमंद कर्ज के लिए संपर्क करते थे। उन्हें डहाणू की विजयदीप सहकारी संस्था के फर्जी कागजात दिखाए जाते। फिर लोगों से कहा जाता कि कर्ज लेने के लिए उन्हें संस्था की सदस्यता लेनी होगी। फिर पैसे लेकर लोगों को फर्जी रसीद दे दी जाती। यहीं नहीं लोगों से इंश्यूरेंस और प्रोसेसिंग फीस के नाम पर पैसे ऐंठते और फिर संपर्क तोड़ लेते।
Created On :   4 Sept 2020 9:19 PM IST