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गैर सिफारिशी कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें किसान, सरकार ने मांगा सुझाव

डिजिटल डेस्क, मुंबई। यवतमाल कीटनाशक कांड के बाद प्रदेश सरकार के कृषि विभाग ने अब जिला और विभागवार फसलों के अनुसार कीटनाशक बेचने को लेकर नीति तैयार की है। यवतमाल में मिलावटी कीटनाशकों के छिड़काव से हुई विषबाधा से किसानों की हुई मौत की घटना के बाद यह नीति बनाई गई है। कृषि विभाग ने राज्य के नागरिकों से इस नीति को लेकर आपत्तियां व सुझाव मांगे हैं। किसानों से कहा गया कि वे गैर सिफारिशी कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें। कृषि विभाग ने विक्रेताओं से स्पष्ट कहा कि गैर पंजीकृत और फसलों के लिए गैर सिफारिशी कीटनाशकों की बिक्री न करें।
सरकार की किसानो को सलाह
उसके अलावा विक्रेताओं से फसलों के लिए आवश्यक कीड़ रोग नियंत्रण वाले किटनाशक की बिक्री करने को कहा गया है। कृषि विभाग की तरफ से फसलों के अनुसार सिफारिश किए गए पंजीकृत कीटनाशकों का उपयोग करने की अपील की गई है। कृषि विभाग के अनुसार कीटनाशक कानून 1968 व कीटनाशक नियम 1971 के प्रावधानों के अनुसार राज्य में कीटनाशकों का उत्पादन, स्टॉक रखने और बिक्री करने का लाइसेंस दिया जाता है। फरीदाबाद के केंद्रीय कीटनाशक मंडल व पंजीयन समिति के माध्यम से लाइसेंस उपलब्ध कराया जाता है। सरकार ने कृषि विभाग की तरफ से तैयार की गई नीति के बारे में नागरिकों से सुझाव और आपत्तियां मंगाई है। पुणे स्थित कृषि आयुक्तालय में मुख्य गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी के पास अपने सुझाव भेज सकते हैं।
बिना सिफारिश वाले कीटनाशकों की होती है बिक्री
राज्य सरकार और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कीटनाशकों के छिड़काव के कारण किसानों और खेतिहर मजदूरों की मौत के मामले का अध्ययन किया है। अध्ययन में पता चला है कि प्रदेश में फसलों और कीड़ों के लिए सिफारिश किए गए कीटनाशकों के अलावा बिना सिफारिश वाले कीटनाशकों की बिक्री और इस्तेमाल होता है। फसल संरक्षण के लिए सिफारिश न किए गए कीटनाशकों का मिश्रण बेचा और इस्तेमाल किया जाता है। मानक से ज्यादा तीव्रता वाले कीटनाशक भी धड़ल्ले से बेचे जाते हैं।
Created On :   5 Jan 2018 11:34 PM IST