सरकार के आश्वासन के बाद अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुआ किसान परिवार, आक्रामक विपक्ष 

Farmers family ready for funeral after government assurances
सरकार के आश्वासन के बाद अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुआ किसान परिवार, आक्रामक विपक्ष 
सरकार के आश्वासन के बाद अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुआ किसान परिवार, आक्रामक विपक्ष 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन का कम मुआवजा मिलने से परेशान होकर मंत्रालय में जहर पीने वाले 84 वर्षीय किसान धर्मा पाटील के अंतिम संस्कार के लिए उनका परिवार तैयार हो गया है। रविवार को उनकी मौत के बाद उनका बेटा नरेंद्र पाटील जेजे अस्पताल के सामने धरने पर बैठ गया था और न्याय मिलने तक अंतिम संस्कार न करने की बात कही थी। इसके बाद सरकार से लिखित आश्वासन मिलने के बाद नरेंद्र ने अंतिम संस्कार का फैसला किया। इस बीच किसान की मौत के बाद विपक्ष ने सरकार पर जोरदार हमला बोला है।

पाटील को समझाया बुझाया
सोमवार को धुले के पालक मंत्री और राज्य के पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल ने जेजे अस्पताल पहुंचकर नरेंद्र पाटील को समझाया बुझाया और लिखित आश्वासन दिया। इसके बाद नरेंद्र पिता का शव लेने को राजी हुए। पत्रकारों से बातचीत में नरेंद्र ने कहा कि शुरूआत में उन्होंने फोन किया। लेकिन उनकी मुख्यमंत्री से बात नहीं हो पाई लेकिन बाद में मुख्यमंत्री के अलावा ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले से बात की। बावनकुले ने लिखित आश्वासन दिया कि जमीन का उचित मुआवजा दिया जाएगा और गलत पंचनामा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मंत्री रावल ने इस मौके पर पूर्व सरकार पर हमला बोलते हुए सवाल किया कि कृषि योग्य जमीन के लिए 10 लाख और बागीचे वाली जमीन के लिए दो लाख रुपए मुआवजे का कानून बनाने वाले आखिर कौन लोग थे।

आघाडी सरकार ने खड़ी की थी समस्या: रावल
उन्होंने कहा कि 2007 में मैने यह परियोजना अपने इलाके में शुरू करने की कोशिश की। 2009 से 2012 तक मैने किसानों के लिए लड़ाई लड़ी। लेकिन हमने ज्यादा मुआवजा दिलाने की कोशिश की तो तत्कालीन मंत्रियों और अधिकारियों ने कार्रवाई की धमकी दी। रावल का दावा है कि तल्कालीन सरकार ने 2012 से जबरन भूमिअधिग्रहण शुरू कर दिया और हमारी सरकार आने तक अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। इसके बाद हमारे पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। इसमें गिरह सेन और नरेंद्र पाटील दोनों के मामले थे। सेन का मामला अदालत में आगे बढ़ा लेकिन पाटील का मामला लटका रहा। इसके कारणों कि जांच की जाएगी।

अंगदान का लिया फैसला
धर्मा पाटील की मौत के बाद उनके बेटे नरेंद्र पाटील ने अंगदान का फैसला किया है। नरेंद्र ने जरूरी फार्म भरकर अस्पताल में दे दिया है। जांच के बाद धर्मा पाटील की आंख डॉक्टरों ने किसी नेत्रहीन मरीज को लगाने का फैसला किया है। 
 

Created On :   29 Jan 2018 9:05 PM IST

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