एमएसपी पर अनाज बेचने आगे नहीं आ रहे महाराष्ट्र के किसान, लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी सरकार

Farmers of Maharashtra are not coming forward to sell food grains on MSP
एमएसपी पर अनाज बेचने आगे नहीं आ रहे महाराष्ट्र के किसान, लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी सरकार
एमएसपी पर अनाज बेचने आगे नहीं आ रहे महाराष्ट्र के किसान, लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों में फसलों की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) न होने से नाराज होकर किसान संगठन महिनों से आंदोलन कर रहे हैं। दूसरी तरफ महाराष्ट्र में किसान खरीफ विपणन सीजन 2020-21 में एमएसपी पर मूंग, उड़द और सोयाबीन बेचने के लिए खरीद केंद्रों पर पहुंचे ही नहीं। राज्य सरकार मूंग, उड़द और सोयाबीन की खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाई। इन तीनों फसलों की खरीद की स्थिति नगण्य रही। 

रजिस्ट्रेशन 29692 का, बेचने आए सिर्फ 3 किसान  

राज्य में पिछले साल सितंबर से दिसंबर महीने के बीच एमएसपी पर मूंग बेचने के लिए 7 हजार 573 किसानों ने पंजीयन कराया था। लेकिन खरीद केंद्र पर मूंग बेचने के लिए केवल 972 किसान ही आए। इसी तरह उड़द बेचने के लिए 1623 किसानों ने पंजीयन कराया था पर सिर्फ 173 किसानों ने उड़द बेचा। वहीं सोयाबीन बेचने के लिए अपना पंजीकरण कराने वाले 29 हजार 692 किसानों में से केवल 3 किसान सोयाबीन बेचने के लिए खरीद केंद्रों पर पहुंचे।  

प्रदेश सरकार के विपणन विभाग के एक अधिकारी ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में बताया कि पिछले साल भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति के कारण फसलों का उत्पादन कम हुआ है। फसलों की खराब गुणवत्ता और कोरोना संकट के कारण किसानों ने फसलों को बेचने के लिए खरीद केंद्रों पर जाने से परहेज किया। राज्य में विपणन महासंघ के माध्यम से तीनों फसलों की खरीद के लिए केंद्र शुरू किए गए थे। तीनों फसल बेचने वाले किसानों को एमएसपी के अनुसार भुगतान किया जा चुका है।

5 हजार 597 क्विंटल मूंग की खरीद

विपणन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में पिछले साल एमएसपी पर 34 हजार 950 मीट्रिक टन मूंग खरीदने का लक्ष्य रखा गया था। पिछले साल 1 अक्टूबर से 16 दिसंबर के बीच मूंग खरीदी के लिए 250 खरीद केंद्र शुरू किए गए थे। मूंग बेचने के लिए 7 हजार 573 किसानों ने पंजीयन कराया था पर 972 किसानों से 5597.36 क्विंटल मूंग ही खरीदी जा सकी। मूंग के लिए एमएसपी प्रति क्विंटल 7 हजार 196 रुपए निश्चित की गई थी। वहीं साल 2019 में एमएसपी पर 35 हजार 386 किसानों से मूंग खरीदा गया था।

1 हजार 371 क्विंटल उड़द की खरीद 

प्रदेश में उड़द के लिए 32 हजार 175 मीट्रिक टन खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। 1 अक्टूबर 2020 से 26 दिसंबर 2020 तक उड़द खरीदने के लिए 250 खरीद केंद्र शुरू किए गए थे। उड़द बेचने के लिए 1 हजार 623 किसानों ने पंजीयन भी कराया था लेकिन 173 किसानों से 1371.60 क्विंटल उडद ही खरीदी जा सकी। किसानों को उड़द के लिए प्रति क्विंटल 6 हजार रुपए दिया गया। जबकि साल 2019 में 20 हजार 70 किसानों ने एमएसपी पर उड़द बेचा था। 

सरकार ने बरती ढिलाई - खोत 

रयत क्रांति संगठन के अध्यक्ष तथा राज्य के पूर्व कृषि व विपणन राज्य मंत्री सदाभाऊ खोत ने कहा कि राज्य सरकार की ढिलाई के कारण मूंग, उड़द और सोयाबीन की खरीद कम हुई है। सरकार ने किसानों को एमएसपी पर अनाज बेचने के लिए पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकी। खरीद केंद्रों पर मानव संसाधन की कमी थी। खोत ने कहा कि फसलों के एमएसपी के लिए दिल्ली में आंदोलन भी चल रहा है लेकिन पंजाब और हरियाणा को छोड़कर पूरे देश में एमएसपी पर केवल 8 से 9 प्रतिशत खरीद हो पाती है। बाजार में फसलों की कीमत को गिरने से रोकने के लिए सरकार की ओर से एमएसपी दी जाती है। सरकार किसानों की मदद के लिए एमएसपी देती है। पर किसान केवल सरकार पर निर्भर रहकर खेती नहीं कर सकते। 

 

Created On :   20 Jan 2021 8:15 PM IST

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