FDA की लापरवाही से घटिया दर्जे की दवाओं का हुआ इस्तेमाल, कैग की रिपोर्ट में खुलासा 

FDAs reckless use of substandard drugs, disclosed in CAG report
FDA की लापरवाही से घटिया दर्जे की दवाओं का हुआ इस्तेमाल, कैग की रिपोर्ट में खुलासा 
FDA की लापरवाही से घटिया दर्जे की दवाओं का हुआ इस्तेमाल, कैग की रिपोर्ट में खुलासा 

डिजिटल डेस्क,मुंबई।  राज्य सरकार की लापरवाही के कारण राज्य में मरीजों को घटिया दर्जे की दवाओं का सेवन करना पड़ा। साल 2012-17 के बीच खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) ने घटिया दर्जे की दवाओं को बाजार से समय पर वापस नहीं लिया। फलस्वरुप मरीजों को घटिया दर्जे की 50 फीसदी दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ा। विधानमंडल में पेश की गई नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। केंद्र सरकार ने अगस्त 2009 में मानकों के अनुसार बाजार में उपलब्ध दवाओं के नमूनों की जांच कर घटिया दर्जे की दवाओं को बाजार से हटाने को लेकर आदेश जारी किया था। इसके अनुसार एफडीए के सहायक आयुक्त और औषध निरीक्षकों पर अपने क्षेत्र में मानक पर खरी न उतरने वाली दवाओं के स्टॉक को बाजार से हटाने की जिम्मेदारी थी।

एफडीए को कार्रवाई के हैं अधिकार
एफडीए के पास घटिया दर्जे की दवाओं को तैयार करने वाले उत्पादक के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार भी है। लेकिन कैग ने जब राज्य की औषधि नियंत्रण प्रयोगशाला की रिपोर्ट का अध्ययन किया तो पाया कि 375 प्रकरणों में से 95 प्रकरणों में घटिया दर्जे की 50 प्रतिशत दवाओं का स्टॉक वापस लेने से पहले ही इस्तेमाल किया जा चुका था। इसमें से 61 प्रकरणों में घटिया दर्जे की दवाओं को बेच दिया गया था एफडीए आयुक्त कार्यालय ने घटिया दर्जे की दवाओं को बाजार से हटाने के लिए संबंधित जिला लाइसेंस प्राधिकारी को देरी से रिपोर्ट भेजी। कैग ने अपने अध्ययन में पाया कि 26 प्रकरण में से 25 प्रकरण की रिपोर्ट देने में 17 से 196 दिन का समय लग गया। इस पर जिला लाइसेंस प्राधिकारी ने स्वीकार किया कि रिपोर्ट देरी से आने और स्टाफ की कमी के कारण बाजार से घटिया दर्जे की दवाओं का स्टॉक हटाना संभव नहीं हो पाया। जबकि खाद्य व औषधि प्रशासन आयुक्त ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। 

1535 मेडिकल की लाइसेंस रद्द नहीं कर पाई एफडीए 
कैग की रिपोर्ट के अनुसार लाइसेंस की समय सीमा सप्ताह होने के बावजूद 1535 मेडिकल दुकानदारों का लाइसेंस रद्द करने संबंधी कार्रवाई में एफडीए विफल रहा। संबंधित मेडिकल दुकानों में बेची जाने वाली दवाओं को खाने से मरीजों को स्वास्थ्य पर खतरा हो सकता है। 

संचालन समिति की पांच साल में केवल 2 बैठक 
अन्न सुरक्षा व मानक को लेकर गठित राज्यस्तरीय संचालन समिति की साल 2012-17 के बीच केवल दो बैठक हो पाई। अन्न सुरक्षा व मानक विनियम- 2011 के अंतर्गत यह समिति गठित की गई है। लेकिन 30 जिला कार्यालय में से पुणे और नांदेड़ जिले में अगस्त 2013 और जून 2017 में चार बैठक आयोजित की गई। जबकि बाकी के 28 जिला कार्यालयों में 2012-17 के बीच एक भी बैठक नहीं बुलाई गई। 

Created On :   31 March 2018 11:56 AM GMT

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