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सुधा गुप्ता की मौत के दोषी तीन डॉक्टरों पर एफआईआर, इलाज में लापरवाही के चलते हुई थी मौत
डिजिटल डेस्क शहडोल। नगर के बहुचर्चित सुधा गुप्ता व नवजात की मौत चिकित्सकीय लापरवाही से हुई थी। मामले में करीब 14 माह बाद आई जांच रिपोर्ट के बाद 2 जनवरी को कोतवाली थाने में लापरवाही बरतने वाले जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों डॉ. क्षितिजा मणि, डॉ. रीना गौतम व डॉ. डीके सिंह के विरुद्ध धारा 304 ए, 34 ताहि का प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच मेडिकल कॉलेज रीवा की विशेषज्ञ टीम से कराई गई थी। गौरतलब है कि सुधा गुप्ता उम्र 24 वर्ष पति प्रभात गुप्ता निवासी खैरहा की मौत 22 अक्टूबर 2019 की रात जिला चिकित्सालय में हुई थी। इसके 3 दिन बाद नवजात ने भी दम तोड़ दिया था। दोनों मौतों में लापरवाही के आरोप लगाते हुए परिजनों व सर्व समाज द्वारा कई दिनों तक आंदोलन किया गया। ज्ञापन सौंपे गए। मामले की मजिस्ट्रियल जांच भी हुई थी और चिकित्सा में लापरवाही सामने आई थी। बाद में डॉ. रीना गौतम व डॉ. डीके सिंह को निलंबित किया गया था। बाद में बहाल हुए थे।
22 अक्टूबर की रात हुई थी प्रसूता की मौत-
खैरहा निवासी गर्भवती सुधा गुप्ता की मौत 22 अक्टूबर की रात हुई थी। परिजनों ने डॉक्टरों और स्टॉफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। लिखित शिकायत में परिजनों ने आरोपित किया कि प्रसूता के भर्ती होने के बाद से लेकर अंतिम समय तक वार्ड में गंभीर लापरवाही बरती गई। असहनीय दर्द होने पर स्टाफ नर्स को बार-बार बुलाया जाता रहा लेकिन नहीं आईं। परिजनों ने कहा कि सीजर कर दें, लेकिन डॉक्टर नार्मल बताते रहे। तीन डॉक्टरों को काल किया गया, पर कोई नहीं आया। बेहोशी के डॉक्टर पहुंचे और प्रसूता को बेहोशी का इंजेक्शन लगाकर चले गए। इस बीच सुधा को बच्चा फंस गया, रक्तस्राव होने लगा। इसके बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया और प्रसूता की मौत हो गई।
कई दिनों तक चला आंदोलन-
प्रसूता की मौत के बाद नवजात की हालत गंभीर रही। एसएनसीयू में भर्ती के बाद जबलपुर के लिए रेफर किया गया, लेकिन वहां मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद लोगों का आक्रोश भड़क गया। व्यापारी संघ के अलावा सर्व समाज के लोगों ने कैंडिल मार्च निकाला, धरना प्रदर्शन किया। जनवरी में जिला चिकित्सालय का निरीक्षण करने पहुंचे तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री को परिजनों ज्ञापन भी सौंपा था। प्रारंभिक जांच में चिकित्सकीय लापरवाही सामने आने और दोषियों पर कार्रवाई को लेकर लगातार बढ़ते दवाब के चलते प्रशासन द्वारा दो चिकित्सकों को डॉ. डीके सिंह और डॉ. रीना गौतम को निलंबित भी कर दिया गया था। करीब छह माह पहले ही दोनों बहाल हुए हैं। स्थानीय स्तर पर जांच में किसी प्रकार का नतीजा नहीं निकलने पर मेडिकल कॉलेज रीवा की टीम को जांच की जिम्मेदारी दी गई थी।
डॉक्टरों के लिए सबक-
हम शुरू से ही कह रहे थे कि चिकित्सकीय लापरवाही से सुधा गुप्ता व नवजात की मौत हुई है। जिला चिकित्सालय में चिकित्सक अक्सर बुलाने के बाद भी इलाज के लिए नहीं पहुंचते हैं। तीन डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर होना डॉक्टरों के लिए एक सबक है कि मरीज के इलाज में किसी तरह की लापरवाही न बरतें।
लक्ष्मण गुप्ता
अध्यक्ष केशरवानी समाज
इनका कहना है
मिली जांच रिपोर्ट के बाद तीन चिकित्सकों पर कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। मामले में आगे की विवेचना की जा रही है।
मुकेश वैश्य, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक
Created On :   3 Jan 2021 11:24 PM IST