लकवाग्रस्त मोर फिर नाच सकेगा जंगल में, सड़क किनारे बेहोश मिला था

Forest department and veterinary team saved paralyzed peacock
लकवाग्रस्त मोर फिर नाच सकेगा जंगल में, सड़क किनारे बेहोश मिला था
लकवाग्रस्त मोर फिर नाच सकेगा जंगल में, सड़क किनारे बेहोश मिला था

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। वन विभाग और वेटनरी की टीम ने न सिर्फ एक मोर की जान बचाई बल्कि उसे बीमारी से उबारकर दोबारा जंगल में छोड़ा है। दरअसल मोर पैरालाइज्ड था। चार दिन पहले कुछ लोगों ने रामगढ़ी के पास सड़क किनारे बेहोशी की अवस्था में देखा था। सूचना पर वन विभाग के उड़नदस्ते ने मोर को मरणासन्न अवस्था में बरामद किया था। डीएफओ एसएस उद्दे के मार्गदर्शन में रेजर एसएस राजपूत ने मोर का इलाज डॉ पंकज माहोरे से कराया। चार दिनों के सघन इलाज के बाद करीब डेढ़ वर्ष उम्र का नर मोर दोबारा अपने पंजों पर खड़ा हो गया। शनिवार को वन अमले ने मोर को पोआमा के जंगल में छोड़ दिया। वन अमले से छूटते ही मोर जंगल की ओर तेजी से भागा। 

ट्यूब से कराई पानी व दवाई की फीडिंग

पशु चिकित्सक डॉ पंकज माहोरे के मुताबिक पहले पानी की कमी की वजह से मोर का बेहोश होना माना जा रहा था। पहले दिन इलाज के बाद मोर खड़ा भी हो गया था, लेकिन वह 20 मीटर से ज्यादा नहीं चल सका और गिर गया। उसके पंजे सिकुड़ गए थे। विटामिन बी टू की कमी से मोर में कल्र्ड टो पैरालिसिस के सिम्सटम पाए गए। आमतौर पर पक्षियों में ऐसा होता है। पैरालाइल्ड मोर खड़ा नहीं हो पा रहा था। न ही कुछ खा-पी रहा था। फीडिंग ट्यूब से मोर को पानी और दवाइयां पिलाई गई। लगातार चार दिन के इलाज के बाद मोर स्वस्थ हो गया।

गर्मी से बचाने कूलर की ठंडक में रखा

रेंजर एसएस राजपूत के मुताबिक डॉ पंकज माहोरे के इलाज और आब्जर्वेशन में गंभीर बीमार मोर की सेवा की गई। उसे गर्मी व उमस से बचाने कूलर की ठंडक में रखा गया। स्वस्थ होने के बाद शनिवार को उसे पोआमा के जंगल में पानी की उपलब्धता वाले स्थान पर छोड़ा गया है। छोडऩे के बाद आधा घंटा मॉनीटर भी किया गया।मोर सामान्य रूप से विचरण करता रहा।
 

Created On :   24 Jun 2019 7:41 AM GMT

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