पूर्व सीएमओ व सैनेटरी इंस्पेक्टर को एक-एक वर्ष की सजा

Former CMO and Sanitary Inspector sentenced to one year each
पूर्व सीएमओ व सैनेटरी इंस्पेक्टर को एक-एक वर्ष की सजा
पूर्व सीएमओ व सैनेटरी इंस्पेक्टर को एक-एक वर्ष की सजा


डिजिटल डेस्क शहडोल। नगरीय ठोस अपशिष्ट नियम 2000 के प्रावधान के उल्लंघन के मामले में पिछले दिनों सीधी के पूर्व सीएमओ मकबूल खान और सैनेटरी इंस्पेक्टर इंद्रभान सिंह परिहार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीधी ने एक-एक वर्ष की सजा सुनाई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की ओर से दायर किए गए केस पर यह फैसला आया है। शहडोल नगर पालिका परिषद के खिलाफ भी पीसीबी ने इस तरह का केस दायर किया है।
  जानकारी के अनुसार करीब छह वर्ष पहले 2015 में पीसीबी ने नपा पर सीजेएम कोर्ट शहडोल में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 एवं 16 के अंतर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन एवं हस्तन) नियम 2000 के नियम 4 के प्रावधानों के उल्लंघन का केस दायर किया है। मामला अभी भी लंबित है। पिछले वर्ष जनवरी में इसकी सुनवाई हुई थी। कोविड लॉकडाउन में कोर्ट बंद होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो सकी है। केस दायर किए छह वर्ष से अधिक समय हो गया है, इसके बाद भी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के इंतजाम नगर पालिका ने नहीं किए हैं। नपा की यह लापरवाही न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है।
छह वर्ष पहले दायर हुआ था केस, सीजेएम कोर्ट में लंबित है मामला-
29 जनवरी 2015 को पीसीबी के तत्कालीन क्षेत्रीय अधिकारी आलोक कुमार जैन की ओर से नपा शहडोल के तत्कालीन सीएमओ शैलेंद्र बहादुर सिंह पर न्यायालय में प्रकरण पंजीबद्ध कराया गया था। प्रकरण के अनुसार नपा द्वारा नियम 4 (1) नगरीय ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन एवं हस्तन) नियम 2000 का पालन नहीं किया गया। पीसीबी के अधिकारियों द्वारा नवंबर 2013 में निरीक्षण किया गया एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 5 के अंतर्गत जनवरी 2014 में नपा को नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद भी नियमानुसार नगरीय ठोस अपशिष्टों के उपयुक्त संग्रहण, परिवहन, प्रसंस्करण तथा निपटान के लिए उचित कार्रवाई नहीं की गई।
आज भी हालात जस के तस-
नगर में आज भी वही स्थिति है, जो छह वर्ष पहले थी। घरों से निकलने वाले कचरा (ठोस अपशिष्ट) के प्रबंधन और निस्तारण के लिए अब तक किसी तरह के इंतजाम नहीं किए गए हैं। कचरा पृथकीकरण भी कोई व्यवस्था नहीं, ताकि कचरा अलग-अलग किया जा सके। सुबह घर-घर पहुंचने वाली गाड़ी सभी तरह का कचरा एक साथ कलेक्ट करती है और इसे एक साथ ही डंप कर दिया जाता है। न तो नगर में कहीं पर कचरा सेग्रीगेशन प्वाइंट बनाए गए हैं और न ही ट्रेंचिंग ग्राउंड में कचरा पृथकीकरण के इंतजाम हैं। वर्षों से नगर पालिका में यही ढर्रा चल रहा है।
सीएमओ होते हैं उत्तरदायी-
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं हस्तन नियम 2000 अधिसूचित किया गया है। इसके तहत नगरीय सीमा में इस नियम के पालन के लिए मुख्य नगर पालिका अधिकारी उत्तरदायी होते हैं। सीएमओ के नियंत्रण में ही ठोस अपशिष्टों के संग्रहण, परिवहन, प्रसंस्करण व निपटान करने का वैधानिक उत्तरदायित्व होता है। नगर पालिका द्वारा धारा 5 का उल्लंघन करना पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 अंतर्गत दंडनीय अपराध है।
3 नगरीय निकायों के खिलाफ दायर है केस-
पीसीबी के शहडोल क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से उसके क्षेत्र अंतर्गत आने वाले तीन नगरीय निकायों के खिलाफ न्यायालीन प्रकरण दर्ज कराए गए हैं। शहडोल नगर पालिका परिषद के खिलाफ जहां पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 एवं 16 के अंतर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन एवं हस्तन) नियम 2000 के नियम 4 के प्रावधानों के उल्लंघन का केस 29 जनवरी 2015 को दायर किया गया है। वहीं नगर परिषद अमरकंटक के खिलाफ 4 दिसंबर 2014 और नगर पालिका  डिंडौरी के खिलाफ 24 दिसंबर 2014 को जल अधिनियम 1974 की धारा 43, 44 एवं 47 के तहत प्रकरण दायर किया गया है।
इनका कहना है
नगर पालिका में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के कोई इंतजाम नहीं हैं। खुले में ही कचरा डंप किया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से यह ठीक नहीं है। हमने इसके लिए नपा पर केस किया हुआ है। लगातार नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं।
-संजीव मेहरा, क्षेत्रीय अधिकारी पीसीबी

Created On :   24 Jan 2021 11:50 AM GMT

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