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12 घंटे के भीतर हुई चार बच्चों की मौत , पूरे मामले की जांच के आदेश, 3 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी
डिजिटल डेस्क शहडोल । जिला चिकित्सालय में 12 घंटे के भीतर हुई चार बच्चों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सीएमएचओ ने रविवार को जहां मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने के आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं कांग्रेस के आईटी सेल ने लापरवाह चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हॉस्पिटल में प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा है। इधर, रविवार दोपहर भी जिला चिकित्सालय के शिशु गहन चिकित्सा इकाई में एक तीन माह की बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई।
जानकारी के अनुसार कटहरी निवासी मुकेश बैगा ने अपनी तीन माह की बच्ची काजल को 27 नवंबर को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया था। शनिवार से ही उसकी हालत गंभीर बनी हुई थी। इलाज के दौरान रविवार को दोपहर करीब 12 बजे उसकी मौत हो गई। मौत का कारण निमोनिया जैसा लक्ष्ण बताया जा रहा है। पिछले चार तीन दिनों के भीतर बच्चा वार्ड में यह पांचवीं मौत है। इससे पहले 26 नवंबर रात से 27 नवंबर तक चार बच्चों की मौत हुई थी। उमरिया से रेफर होकर आई एसएनसीयू में भर्ती बच्ची की मौत 26 नवंबर की रात हुई थी, जबकि पीआईसी में इलाजरत तीन बच्चों की मौत 27 नवंबर हो हुई थी। बच्चों की मौत के मामले में परिजनों पर अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
शाम तक दल गठित नहीं
सीएमएचओ डॉ. राजेश पांडेय की ओर से सिविल सर्जन डॉ. वीएस बारिया को रविवार को जारी किए गए पत्र में जांच कमेटी गठित करते हुए मामले की जांच कराने और तीन दिन में प्रतिवेदन भेजने को कहा है। पत्र में यह भी कहा कि अगर किसी की लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी प्रतिवेदन के साथ ही प्रस्तावित की जाए। वहीं सिविल सर्जन का कहना है कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की जा रही है। इसमें दो चिकित्सक शहडोल मेडिकल कॉलेज के रहेंगे, जबकि एक चिकित्सक जिला चिकित्सालय का रहेगा। हालांकि शाम तक जांच कमेटी का गठन नहीं किया गया था।
छह चिकित्सकों की तैनाती
जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू के प्रभारी डॉ. सुनील हथगेल हैं, लेकिन कोविड पॉजिटिव होने के कारण वे अवकाश पर चल रहे हैं। जिला चिकित्सालय में वे इकलौते बच्चा रोग विशेषज्ञ हैं। इस समय बच्चा वार्ड और एसएनसीयू की जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक संभाल रहे हैं। इसके लिए छह चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है। मेडिकल कॉलेज के प्रशांत प्रभाकर एसएनसीयू के प्रभारी का काम देख रहे हैं। बच्चों की मौत की घटना के बाद डीन मेडिकल कॉलेज डॉ. मिलिंद शिरालकर ने भी रविवार को मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों की बैठक लेते हुए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
जिला चिकित्सालय में लगातार चल रही मनमानी
ओपीडी में समय पर नहीं पहुंचते डॉक्टर, भटकते हैं मरीज
जिला चिकित्सालय में बच्चा वार्ड ही नहीं अन्य वार्डों में भी पिछले कुछ दिनों से लापरवाही का आलम है। ओपीडी में चिकित्सक समय पर नहीं पहुंचते हैं और निर्धारित समय पर नहीं बैठते हैं। ओपीडी का समय सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक निर्धारित है, लेकिन 10 बजे के पहले कोई डॉक्टर ओपीडी में नहीं आते हैं। वहीं दोपहर में डेढ़ बजे से 2.15 बजे तक लंच ब्रेक का प्रावधान है पर लंच बे्रक में ही डॉक्टर हॉस्पिटल ने निकल जाते हैं।
विशेषज्ञ चिकित्सक केबिन में नहीं मिलते
हॉस्पिटल में विशेषज्ञ चिकित्सक भी अपने केबिन में मिलते ही नहीं हैं। इसके चलते ओपीडी में भीड़ लगी रहती है। इसके अलावा ओपीडी के सामने बनाए गए इमरजेंसी वार्ड में इन्जेक्शन नहीं लगाया जाता है। पिछले दिनों सीएमएचओ कार्यालय से सिविल सर्जन को ओपीडी में समय पर चिकित्सकों के उपलब्ध नहीं होने तथा अनियमितताओं को दुरुस्त करने के लिए पत्र जारी किया था। इसके बाद भी व्यवस्थाओं में किसी तरह का सुधार नहीं किया।
विशेषज्ञ चिकित्सक पीजीएमओ के अधीन
जिला चिकित्सालय में चल रही मनमानी का एक और उदाहरण यह है कि हॉस्पिटल में सर्जरी के हेड प्रथम श्रेणी विशेषज्ञ के पद पर पदस्थ डॉ. वीपी पटेल हैं। हॉस्पिटल में विशेषज्ञता प्रशिक्षण कार्यक्रम (सीपीएस) में डॉ. राजा शीतलानी पीजीएमओ को यूनिट हेड बताया गया है, जबकि वीपी पटेल को सहायक बताया गया है। इसके लिए बकायदा सिविल सर्जन द्वारा आदेश जारी किया गया है।
Created On :   30 Nov 2020 5:12 PM IST