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देवास की संस्था ने 4 युवकों को बंधुआ मजदूरी से दिलाई मुक्ति
डिजिटल डेस्क गड़चिरोली। आजाद भारत में जहां परिंदों को भी आजाद छोड़ने का नियम बना है वहीं कुछ जगहों पर आज भी बंधुआ मजदूरी चलती है। ऐसा ही एक मामला जब सामने आया तो मध्य प्रदेश के देवास जिले की सामाजिक संस्था ने चार युवकों को बंधुआ मजदूरी से मुक्ति दिलाई। जानकारी के अनुुसार कर्नाटक से गड़चिरोली जिले के एक आदिवासी युवक को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया गया है। युवक का नाम एटापल्ली तहसील के गरतावाही गांव निवासी रामेश्वर चरणसाय एक्का (23) है। सोमवार को वह अपने गांव पहुंचा और परिजनों से मिलकर बेहद खुश था। संस्था ने रामेश्वर के अलावा अन्य राज्यों के 4 युवकों को भी गुलामी की बेड़ियों से छुटकारा दिलाया। दरअसल मोटी तनख्वाह, भोजन व निवास की अच्छी सुविधा देने का लालच देकर सितंबर, 2017 में रामेश्वर को कर्नाटक का एक शख्स अपने साथ ले गया। उसने रामेश्वर को चिकमंगलूर जिले में ले जाकर बंधुआ मजदूर बना दिया। रामेश्वर के साथ राजेश भी गया हुआ था। उससे भी बंधुआ मजदूरी कराई जा रही थी। हालांकि राजेश वहां से भागने में सफल रहा। लेकिन रामेश्वर गुलामी की जंजीरों में ही जकड़ा रहा। उसके साथ अन्य राज्यों के चार युवक भी थे।
बताई आपबीती
इस बीच जनवरी में बंधुआ मजदूर बने एक युवक ने मध्यप्रदेश के देवास जिले की जनसाहस संस्था के हेल्पलाइन क्रमांक पर संपर्क कर आपबीती सुनाई। जिसके बाद संस्था के समन्वयक करण राठोड़, समेत 10 लोगों की टीम उन्हें रिहा करवाने के लिए कर्नाटक पहुंची। चिकमंगलूर जिले के केचटनली गांव में पांच युवकों को बंधुआ मजदूर बनाने की बात स्पष्ट हुई। जिसके बाद टीम ने वहां के पुलिस अधीक्षक को मामले से अवगत करवाया। पुलिस ने एक दस्ता बनाकर सभी युवकों को रिहा करवा दिया। कर्नाटक सरकार ने सभी को रिहाई का प्रमाणत्र भी दिया। सोमवार को संस्था के सदस्य रामेश्वर का गड़चिरोली लेकर पहुंचे, जहां से उसे उसके गांव पहुंचा दिया गया है।
Created On :   6 Feb 2018 3:46 PM IST