कानूनी संरक्षक नियुक्ति करने को लेकर मुकदमों की भरमार

Full of cases in High Court for appointment of legal guardian
कानूनी संरक्षक नियुक्ति करने को लेकर मुकदमों की भरमार
हाईकोर्ट कानूनी संरक्षक नियुक्ति करने को लेकर मुकदमों की भरमार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या उसने कानूनी संरक्षक नियुक्ति किए जाने की मांग को लेकर दायर की जानेवाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए ‘पर्सन विथ डेसेबिलिटी अधिनियम 2016’ के तहत किसी प्राधिकरण को नामित किया है। क्योंकि संरक्षक नियुक्त किए जाने के विषय को लेकर कोर्ट में कई मामले प्रलंबित हैं। हाईकोर्ट में एक महिला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में महिला ने दावा किया है कि उसके पति साल 2019 से मस्तिष्क संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं। काफी समय से वे बिस्तर पर अचेत अवस्था में पड़े हैं। उनके इलाज में अब तक 20 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। इलाज के लिए उसने अपने रिश्तेदारों से भी कर्ज लिया है। अब उसके पास पति के आगे के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। लिहाजा उसे उसके पति का कानूनी संरक्षक नियुक्त किया जाए। ताकि वह अपने पति के नाम की संपत्तियों को बेच सके और इससे मिलनेवाले पैसों से वह पति का इलाज करा सके। 

न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि कानून में इस तरह के मामले को देखने के लिए विशेष प्राधिकरण को नामित करने का प्रावधान है। खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या ऐसा कोई प्राधिकरण बनाया गया है। वहीं महिला की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि हाईकोर्ट ने अतीत में इस तरह के मामले में पत्नी को उसके पति का कानूनी संरक्षक नियुक्त किया है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद जेजे अस्पताल के अधिष्ठता को महिला के पति की जांच कर अपनी रिपोर्ट दो सप्ताह में पेश करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने अब इस मामले की सुनवाई 20 जून को रखी है। 

 

Created On :   7 Jun 2022 8:58 PM IST

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