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अब गड़चिरोली पुलिस के लिए संकटमोचन बनेगा हेलिकाप्टर एच.145
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। पिछले 2 दशक से नक्सली समस्या से जूझ रहे गड़चिरोली जिला पुलिस को अब विशेष हेलिकाप्टर मुहैया कराने की सारी अटकलें दूर हो गयी हैं। संकटमोचन पवनहंस की जगह अब एअरबस हेलिकाप्टर कंपनी का एच. 145 नामक विशेष हेलिकाप्टर जवानों के लिए संकटमोचन की भूमिका निभाएगा। राज्य सरकार ने तकरीबन 72 करोड़ 43 लाख की निधि से इस हेलिकाप्टर की खरीदी की गई है। आगामी सितंबर माह के बाद यह हेलिकाप्टर गड़चिरोली पुलिस दल में शामिल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
बता दें कि, वर्ष 2009 से गड़चिरोली जिला पुलिस दल में पवनहंस नामक हेलिकाप्टर जवानों का साथी बना हुआ है। सरकार ने पवनहंस हेलिकाप्टर पर अब तक किराए के रूप में तकरीबन 40.85 करोड़ की निधि खर्च की है। किराए तत्व पर हो रहे खर्चे को बचाने के लिए ही राज्य सरकार ने नए हेलिकाप्टर खरीदने का निर्णय लिया। गृह मंत्रालय ने हाल ही में निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर खरीदी प्रक्रिया पूर्ण कर ली है। सूत्रों के अनुसार एच. 145 हेलिकाप्टर विशेष सुविधा से लैस रहेगा। इस हेलिकाप्टर में 9 जवानों के बैठने की सुविधा उपलब्ध होगी। वहीं यहां पर सभी प्रकार की वैद्यकीय सुविधाओं के संसाधन भी उपलब्ध होंगे।
हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव की मतदान प्रक्रिया के दौरान पवनहंस ने अहम भूमिका निभायी थी। लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलग्रस्त क्षेत्र में पुलिस जवानों को पहुंचाना, ईवीएम मशीनों को मतदान केंद्रों पर पहुंचाना और वापिस जिला मुख्यालय में लाना, नक्सल विरोधी अभियान के दौरान अधिकारियों व जवानों को अपातकालीन सुविधा पहुंचाना, मतदान अधिकारियों व कर्मचारियों को बूथ तक पहुंचाना आदि प्रकार के कार्य पवनहंस के माध्यम से सफल किए गये। अब भविष्य में यही कार्य एअरबस कंपनी के एच. 145 हेलिकाप्टर के सहयोग से पूर्ण होंगे। इस हेलिकाप्टर का उपयोग नक्सलग्रस्त गड़चिरोली समेत चंद्रपुर, गोंदिया व भंड़ारा जिले में किया जाएगा।
अब केवल साढ़े चार माह का मेहमान हैं पवनहंस
गत 9 अक्टूबर 2009 को धानोरा तहसील के मरकेगांव में नक्सली हमले में शहीद हुए 14 जवानों की घटना के बाद प्रदेश के तत्कालीन गृहमंत्री दिवंगत आर. आर. पाटील के प्रयासों के बाद गड़चिरोली पुलिस दल में पवनहंस नामक हेलिकाप्टर को शामिल किया गया। तकरीबन साढ़े आठ वर्षों की कालावधि से पवनहंस पुलिस जवानों के लिए संकटमोचन की भूमिका निभा रहा है। अब तक विभिन्न मुठभेड़ों में घायल हुए जवानों को अस्पताल में दाखिल कराने के साथ जवानों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का कार्य पवनहंस के माध्यम से किया गया। आगामी 21 सितंबर 2019 को पवनहंस का किराया करार खत्म होने जा रहा है। जिसके चलते यह हेलिकाप्टर केवल साढ़े चार महीनों के लिए मेहमान की तरह कार्यरत रहेगा। पवनहंस के बाद एअरबस हेलिकाप्टर कंपनी का एच. 145 ही जवानों के लिए हमसफर की भूमिका निभाएगा।
Created On :   20 April 2019 6:32 PM IST