अब भैंसों की लड़ाई पर लगने लगा सट्‌टा, दिन ब दिन बढ़ रहा प्रचलन

Gambling on fights of buffaloes is rapidly increasing in Nagpur
अब भैंसों की लड़ाई पर लगने लगा सट्‌टा, दिन ब दिन बढ़ रहा प्रचलन
अब भैंसों की लड़ाई पर लगने लगा सट्‌टा, दिन ब दिन बढ़ रहा प्रचलन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अब भैसों की लड़ाई पर भी सट्‌टा लगने लगा है इसके लिए कोडवर्ड का इस्तेमाल होता है। महाराष्ट्र में हेले की टक्कर के नाम से पहचाने जाने वाली भैंसे की लड़ाई पर सट्टा लगाने का चलन दिनों-दिन बढ़ रहा है। वाट्सएप ग्रुप व सोशल मीडिया पर बकायदा सप्ताह भर प्रचार चलता है। वीकेंड अर्थात सप्ताहांत शनिवार या रविवार को तो हद ही पार होने लगती है। खुले तौर पर शर्त लगती है। हार जीत की रकम की राशि हजारों से लाखों में पहुंचने लगती है। राजनीतिक कार्यकर्ताओं का संरक्षण मिलने से इस आयोजन को भव्य स्वरूप मिलने लगा है। हेले की टक्कर का आयोजन पूरी तरह से अवैध है, प्रतिबंधित है। दैनिक भास्कर ने इस संबंध में पहले भी रिपोर्ट प्रकाशित की थी, लेकिन प्रशासन का नियंत्रण नहीं होने से हेले की टक्कर का आयोजन बढ़ता ही जा रहा है। 

ऐसे हुआ आयोजन
बीते रविवार को दक्षिण नागपुर के पेवठा क्षेत्र में हेले की टक्कर का आयोजन हुआ था। एक लैंड डेवलपर ने खेत की जमीन पर प्लाॅट बिक्री के लिए निकाले हैं। क्षेत्र विकास एजेंसी के निर्देश पर प्लाॅट के अलग-अलग हिस्से को विकसित किया जा रहा है। उसी ले-आउट पर 25 से अधिक कार खड़ी हैं। मोटरसाइकिल की संख्या 200 से कम नहीं होगी। 500 से भी अधिक लोगों की भीड़ के बीच हेले की टक्कर चल रही थी। आसपास कुछ ऐसे युवक भी घूम रहे थे, जिनका संबंध सीधे तौर पर अपराध से जुड़ा रहा है। काफी शोर शराबे के बीच हार जीत का ब्रेक लग रहा था। बैलजोड़ी दौड़ स्पर्धा की तरह बाकायदा माइक से लोगों को जानकारियां दी जा रही हैं। पूछने पर बताया गया कि इस स्पर्धा का आयोजन अजनी क्षेत्र के एक जनप्रतिनिधि ने किया है। राजनीति में प्रदेश स्तर पर चर्चा में रहे उस जनप्रतिनिधि का हेले की टक्कर के आयोजन से काफी पुराना संबंध रहा है। जमीन हड़पने से लेकर मारपीट के मामलों में चर्चा में रहने वाले असामाजिक तत्व भी सक्रिय नजर आए। बताया गया कि लाखों के जुआ के रूप में चलने वाली इस टक्कर के आयोजन का नेटवर्क काफी बड़ा है। जिनके खेत या जमीन में यह आयोजन होता है उन्हें भी कई बार आयोजन की जानकारी नहीं रहती है।

सोशल मीडिया पर प्रचार
सोशल मीडिया पर हेले की टक्कर का बाकायदा वीडियो वायरल किया जाता है। बहू-काका के हेले की टक्कर, कामठी के हेले की टक्कर, नारा का शेर, दबंग वर्सेस बिल्ला, दबंग वर्सेस सिंघम, नागपुर की धड़क, रामटेक का धमाका जैसे कोडवर्ड से आयोजनाें का प्रचार किया जाता है। 

सरकार ने की थी नियंत्रण की पहल
कांग्रेस-राकांपा के नेतृत्व की सरकार के समय ऐसे आयोजनों पर नियंत्रण की पहल की गई थी। बैलजोड़ी स्पर्धा की आड़ में जुआ का मामला चर्चा में था। सरकार ने पाबंदी के कुछ नियम भी तय किए थे। ग्रामीण परंपरा के नाम पर कुछ लोगों ने स्पर्धा शुरू रखने का निवेदन उच्च न्यायालय से किया था। ठोस नीति बन रही थी, लेकिन बाद में इस मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
- शिवाजीराव मोघे, पूर्व पशु संवर्धन मंत्री, महाराष्ट्र

इन क्षेत्रों में होते हैं सबसे अधिक आयोजन

उत्तर नागपुर में नारा गांव, समतानगर, नारी गांव, कलमना गांव, पूर्व नागपुर में भांडेवाड़ी, पवनगांव, भरतवाड़ा, तरोडी, दक्षिण नागपुर में बेलतरोड़ी, हुड़केश्वर, पश्चिम नागपुर में दाभा, वाड़ी, काटोल रोड, दक्षिण पश्चिम में जयताला, अंबाझरी। कामठी में हेले की टक्कर के पचासों स्थान हैं। रामटेक में भी यही स्थिति है। 

राज्य में पाबंदी
हेले की टक्कर की चलन राज्य में नहीं है। यह अन्य राज्यों में देखा जाता है। फिर भी यहां आयोजन हो रहा हो तो उसके नियमों का पालन करना होगा। पशुओं को लड़ाने पर पूरी तरह से पाबंदी है। पशु क्रूरता प्रतिबंध अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। शिकायत मिलने पर संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी।
- महादेव जानकर, पशु संवर्धन मंत्री, महाराष्ट्र
 

Created On :   23 Feb 2019 1:54 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story