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गांधी का अकेलेपन से साक्षात्कार, बा के निधन के बाद मौन धारण कर लिया

प्रकाश दुबे, नागपुर। 1942 के आंदोलन को गांधी जी ने आखिरी लक्ष्य तक पहुंचाने का फैसला कर लिया था। इसलिए उन्होंने ‘करो या मरो’ का नारा दिया। गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा दोनों को पुणे में जेल में रखा गया। वर्ष 1942 के अगस्त महीने में गांधी जी के निजी सचिव महादेवभाई देसाई का निधन हुआ। उनका अंतिम संस्कार आगा खां महल के अंदर ही किया गया। अगले वर्ष इसी महीने हिंदू महासभा के नेता विनायक दामोदर सावरकर ने नागपुर में पत्रकारों से कहा-मैं दो राष्ट्र के सिद्धांत पर मिस्टर जिन्ना से सहमत हूं। गांधी जी के लिए यह दूसरा झटका था। वे साम्प्रदायिक आधार पर विभाजन के कट्टर विरोधी थे।
कुछ महीने बाद बीमार कस्तूरबा का निधन 22 फरवरी 1944 को हुआ। आगा खां का महल अस्थायी रूप से जेल परिसर घोषित किया गया था। गांधी जी चाहते थे कि बा का अंतिम संस्कार जेल से बाहर हो। फिरंगी सरकार ने अनुमति नहीं दी। गांधी और बा के मानस पुत्र जैसे महादेव भाई का जहां अंतिम संस्कार किया गया था वहां से मात्र एक मीटर दूरी पर बा का अंतिम संस्कार किया गया। अंगरेज हुकूमत और आगा खां के वंशज दोनों ने बा की समाधि बनाने की पेशकश की।
गांधी जी ने मना कर दिया। उन्होंने ईंटें मंगवाईं। मिट्टी से जोड़कर समाधि बनाई। कहा-अब मैं अकेला रह गया। समाधि पर ‘हे राम’ लिखा। उसके बाद कई दिन गांधी जी मौन रहे। लिखकर अपनी बात कहते थे। गांधी जी ने चरखे पर बा के लिए साड़ी बुनी थी जो बा की इच्छा के अनुसार मनु गांधी को दी गई। वही मनु जिसका सहारा लेकर गांधी जी प्रार्थना सभा में जाते थे। नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 की शाम मनु को धक्का देकर गिराया और गांधी जी पर गोली चलाई। मनु गांधी ने अपनी डायरी में लिखा-मेरे पुणे पहुंचने के दस महीने के अंदर बा का निधन हो गया। उस दिन से बापू मेरे मां हो गए। बा के निधन के बाद उन्होंने मौन धारण कर लिया था। गांधी जी की हत्या के 15 दिन बाद मनु ने दिल्ली छोड़ दी।
आजादी के बाद आगा खां के वंशजों ने पुणे का महल भारत सरकार को दे दिया। अब यह विरासत स्थल है। कस्तूरबा और महादेव भाई की सादी समाधियों को सरकार ने संवारा। संगमरमर की बनी समाधियों से सादगी झलकती है। दोनों समाधियों पर तुलसी के बिरवे लगे हैं। पुरातत्व विभाग आगा खां महल के परिसर का नवीनीकरण करा रहा है। गांधी का अकेलापन महसूस करना हो, तो आगा खां महल में इस समाधि स्थल के पास कुछ पल आंखें मूद कर बैठ जाना चाहिए।
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